उत्तर भारत में अकेले Punjab में क्यों बहती है अलग सियासी हवा, क्या भाजपा का जादू चल पाएगा?
Punjab Politics: पंजाब की 13 लोकसभा सीटों पर 1 जून को वोटिंग होनी है. तीन दशक में पहली बार भाजपा अकेले चुनाव लड़ रही है. खास बात यह है कि नॉर्थ इंडिया के सियासी ट्रेंड से अलग पंजाब में माहौल दिखता है.
Punjab Lok Sabha Chunav: हाल के वर्षों में किसान आंदोलन को लेकर पंजाब सुर्खियों में रहा है. अब लोकसभा चुनाव में कई तरह की बातें हो रही हैं. खास बात यह है कि भाजपा अकेले चुनाव लड़ रही है. उत्तर भारत की राजनीति में इस राज्य की भूमिका को लेकर पंजाब विश्वविद्यालय, चंडीगढ़ में राजनीति विज्ञान के प्रोफेसर आशुतोष कुमार ने एक लेख लिखा है. उन्होंने कुछ कारण गिनाते हुए समझाया है कि आखिर पंजाब नॉर्थ इंडियन पॉलिटिक्स में सबसे अलग क्यों खड़ा दिखता है?
हां, जैसे नॉर्थ इंडिया का ट्रेंड देखिए तो 2014 से लगातार भाजपा को सफलता मिलती रही. हालांकि पंजाब में भाजपा का जादू नहीं चला और वह इसके लिए आज भी संघर्ष करती दिख रही है. एक्सपर्ट कहते हैं कि कृषि प्रधान राज्य की दिशा हमेशा से क्षेत्रीय ट्रेंड से उलट रही है. TOI में प्रकाशित लेख में आशुतोष कहते हैं कि भारत के सभी राज्य अपने विशिष्ट चुनावी विकल्पों और पार्टी सिस्टम के कारण एक 'मिनी डिमोक्रेसी' के रूप में हमारे सामने हैं. हालांकि चुनावी स्टडी में पंजाब का केस बिल्कुल अलग है. यह अपने रुझानों को तो दिखाता है लेकिन अपवाद रहता है.
ऐसे में उन प्रमुख कारणों को समझना दिलचस्प है जिस वजह से इसे नॉर्थ के ट्रेंड में 'गैर' समझा जाता है.