Saran Lok Sabha Chunav Result 2024: लोकनायक जय प्रकाश नारायण की जन्मभूमि और भिखारी ठाकुर की कर्मभूमि 'सारण' राजनीतिक रूप से  बिहार की सबसे अहम लोकसभा सीटों में एक है. बिहार के 40 लोकसभा क्षेत्रों में एक सारण में भारतीय जनता पार्टी और राष्ट्रीय जनता दल में लगातार सीधी टक्कर होती रही है. नए परिसीमन के बाद 2008 से सारण लोकसभा सीट अस्तित्व में आई थी. इससे पहले यह सीट छपरा लोकसभा सीट के नाम से जानी जाती थी. लोकसभा चुनाव 2024 के पांचवे चरण में 25 मई को सारण में मतदान होगा. 


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

सारण में गहरी पकड़ के बावजूद राजद की हार


सारण लोकसभा सीट पर वैसे तो राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव की गहरी पकड़ मानी जाती रही है, लेकिन साल 1996 से अब तक भाजपा के राजीव प्रताप रूडी इस सीट पर चार बार जीत हासिल कर चुके हैं. उन्होंने लोकसभा चुनाव 2014 में लालू प्रसाद यादव की पत्नी पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी को हराया. इसके बाद 2019 में भी इस सीट पर कब्जा बरकरार रखा. इस बार के चुनाव में एनडीए के बीच सीट बंटवारे में सारण लोकसभा सीट भाजपा के खाते में आई है. 


सारण लोकसभा क्षेत्र का मौजूदा सियासी समीकरण


सारण लोकसभा क्षेत्र में 6 विधानसभा सीटें मरहौरा, छपरा, गरखा, अमनौर, परसा और सोनपुर शामिल है. इनमें से 4 सीटों पर राजद का कब्जा है. वहीं दो सीटों पर भाजपा के विधायक हैं. हालांकि, लोकसभा चुनाव 2019 में भाजपा उम्मीदवार राजीव प्रताप रूडी ने सभी 6 विधानसभा क्षेत्रों में बढ़त बनाते हुए 51 प्रतिशत वोट हासिल किए थे. उन्होंने करीब 1.40 लाख वोटों के अंतर से राजद के उम्मीदवार चंद्रिका राय को मात दी थी. चंद्रिका राय अब जदयू में हैं. लोकसभा चुनाव 2024 के लिए एनडीए से भाजपा या इंडिया गठबंधन से राजद ने अपने उम्मीदवारों का एलान नहीं किया है. 


सारण लोकसभा क्षेत्र की डेमोग्राफी और जातीय समीकरण
 
सारण लोकसभा क्षेत्र में कुल वोटरों की संख्या 1,268,338  है. इसमें 580,605 महिला मतदाता हैं. वहीं, पुरुष वोटरों की आबादी 687,733 हैं. सारण में जातीय समीकरण भी दिलचस्प है. सारण में यादवों की आबादी 25 फीसदी और राजपूतों की 23 फीसदी है. राजद यादव और भाजपा राजपूत जाति के उम्मीदवार उतारती है. इनके अलावा सारण में वैश्य वोटर 20 फीसदी, मुस्लिम 13 फीसदी और दलित 12 फीसदी हैं. बिहार की राजनीति में लालू परिवार के दखल के कारण सारण लोकसभा वीआईपी सीटों में गिना जाता है. 


सारण (छपरा) लोकसभा सीट का चुनावी इतिहास


सारण लोकसभा सीट साल 2008 तक छपरा लोकसभा सीट थ. एक बार कांग्रेस के हाथ से सीट निकली तो हमेशा के लिए निकल ही गई. पहले लोकसभा चुनाव में इस सीट पर प्रजा सोशलिस्ट पार्टी के राजेंद्र सिंह ने जीत हासिल की. इसके बाद तीन बार कांग्रेस के रामशेखर प्रसाद सिंह सांसद बने. आपातकाल के बाद 1977 में पहली बार लालू प्रसाद यादव ने कांग्रेस को हरा दिया. इस सीट पर कांग्रेस को फिर कभी जीत नसीब नहीं हो पाई. पहले जनता पार्टी, फिर जनता दल, फिर भारतीय जनता पार्टी, फिर राष्ट्रीय जनता दल और फिर भारतीय जनता पार्टी का ही छपरा (सारण) में दबदबा रहा.


1996 से लालू परिवार और राजीव प्रताप रूडी में टक्कर


इस लोकसभा सीट पर साल 1996 से लालू परिवार और राजीव प्रताप रूडी के बीच ही लड़ाई चल रही है. साल 1996 में राजीव प्रताप रूडी ने जीत हासिल की, तो 1998 में राजद के हीरालाल राय ने. साल 1999 में फिर से रूडी ने जीत हासिल की, तो 2004 में लालू प्रसाद यादव ने जोरदार वापसी की. सारण लोकसभा सीट बनने के बाद 2009 में भी लालू ने जीत हासिल की थी. चारा घोटाले में सजायाफ्ता हो जाने के बाद लालू प्रसाद यादव के चुनाव लड़ने पर रोक लग गई. उसके बाद से सारण लोकसभा सीट भाजपा के कब्जे में है.