Varanasi Lok Sabha Election 2024: वाराणसी लोकसभा क्षेत्र देश की सबसे VVIP सीट है. यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का संसदीय क्षेत्र है. वाराणसी से तीसरी बार पीएम मोदी की जीत तय मानी जा रही है. 2014 में बीजेपी के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार के रूप में मोदी ने वाराणसी से लड़ने का फैसला किया था. जीत के बाद तय हो गया कि उत्तर प्रदेश की संसदीय राजनीति का केंद्र वाराणसी रहेगा. मोदी ने 2019 लोकसभा चुनाव में प्रचंड बहुमत के साथ वापसी की. वाराणसी ऐसी सीट है जहां समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी जैसे क्षत्रप कभी जीत ही नहीं पाए. मोदी के वाराणसी से मैदान में उतरने के बाद मुकाबला एकतरफा हो चला है. देखना होगा कि इस बार कौन-कौन सामने उम्मीदवार बनता है. गंगा के तट पर बसी बाबा विश्वनाथ की काशी से अब पूर्वांचल की सियासत सधती है. वाराणसी लोकसभा सीट के दायरे में पांच विधानसभा क्षेत्र आते हैं. चार पर बीजेपी और एक पर NDA में उसकी सहयोगी अपना दल (सोनेलाल) काबिज है. वाराणसी लोकसभा क्षेत्र से जुड़ी हर जानकारी नीचे देखिए.


वाराणसी लोकसभा चुनाव रिजल्ट


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वाराणसी सीट पर लोकसभा चुनाव के सातवें चरण में, 01 जून को मतदान कराया जाएगा. चुनाव आयोग 04 जून को वाराणसी लोकसभा चुनाव का रिजल्ट जारी करेगा.


वाराणसी लोकसभा क्षेत्र की जानकारी


वाराणसी संसदीय क्षेत्र कुल पांच विधानसभा क्षेत्रों से मिलकर बना है. वाराणसी नॉर्थ, वाराणसी साउथ, वाराणसी कैंट और सेवापुरी विधानसभा में बीजेपी के विधायक हैं. रोहनिया विधानसभा पर अपना दल (सोनेलाल) का कब्जा है. वाराणसी का चुनावी इतिहास देखें तो कम ही बार मुकाबला कांटे का हुआ है. यहां के वोटर्स जिसे चुनते हैं, पूरे मन से चुनते हैं. 2009 में वाराणसी सीट पर बीजेपी को 30.52% वोट मिले थे. 2014 में मोदी 56.37% वोट पाकर वाराणसी के सांसद बने. 2019 में रिकॉर्ड 63.62% वोटों के साथ मोदी वाराणसी से दूसरी बार निर्वाचित हुए. 2024 में बीजेपी को वाराणसी में मोदी के नाम पर एक-चौथाई वोट (75%) पाने की आस होगी.


वाराणसी लोकसभा सीट का इतिहास


एक लोकसभा सीट के रूप में वाराणसी ने कांग्रेस का दौर भी देखा है और जनता पार्टी का भी. राष्ट्रीय राजनीति में बीजेपी के उभार के साथ ही वाराणसी में भी वह मजबूत होती गई. 2004 लोकसभा चुनाव को छोड़ दें तो 1991 से वाराणसी लोकसभा सीट पर बीजेपी का उम्मीदवार ही जीतता आ रहा है. 2004 में वाराणसी से कांग्रेस के राजेश कुमार मिश्रा सांसद चुने गए थे. मंगलवार (05 मार्च 2024) को उन्‍होंने बीजेपी की सदस्‍यता ग्रहण कर ली. वाराणसी ने एक से एक दिग्गजों को लोकसभा भेजा है. उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री बनने से पहले त्रिभुवन नारायण सिंह और कमलापति त्रिपाठी यहां से सांसद रहे. पूर्व पीएम चंद्र शेखर भी 1977 में जनता पार्टी के टिकट पर वाराणसी से लोकसभा पहुंचे थे. पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्‍त्री के बेटे अनिल शास्त्री ने 1989 में जनता दल के टिकट पर वाराणसी की नुमाइंदगी की. 2009 में वाराणसी की जनता ने बीजेपी के वरिष्ठ नेता मुरली मनोहर जोशी को जिताया. 2014 से वाराणसी की पब्लिक का भरोसा पीएम नरेंद्र मोदी के साथ है.


वाराणसी लोकसभा सीट : अब तक के सांसदों की सूची


 
साल सांसद पार्टी
2019 नरेंद्र मोदी भारतीय जनता पार्टी (BJP)
2014 नरेंद्र मोदी भारतीय जनता पार्टी (BJP)
2009 मुरली मनोहर जोशी भारतीय जनता पार्टी (BJP)
2004 राजेश कुमार म‍िश्रा भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (INC)
1999 शंकर प्रसाद जायसवाल भारतीय जनता पार्टी (BJP)
1998 शंकर प्रसाद जायसवाल भारतीय जनता पार्टी (BJP)
1996 शंकर प्रसाद जायसवाल भारतीय जनता पार्टी (BJP)
1991 श्रीश चंद्र दीक्षित भारतीय जनता पार्टी (BJP)
1989 अनिल शास्‍त्री जनता दल

वाराणसी का इतिहास


वाराणसी या बनारस या काशी... सब एक ही शहर के नाम हैं. इसकी गिनती दुनिया के प्राचीनतम शहरों में होती है. वाराणसी के बारे में कभी मार्क ट्वेन ने लिखा, 'बनारस इतिहास से भी पुराना है, परंपराओं से पुराना है, किंवदंतियों से भी पुराना है और अगर इन सबको मिला दें तो उस संग्रह से भी दोगुना पुराना है.' हिंदुओं की आस्था के प्रमुख केंद्र, वाराणसी की धरती को मोक्षदायिनी कहा गया है. गौतम बुद्ध ने वाराणसी के पास सारनाथ में अपना पहला उपदेश दिया. जैन धर्म के 23वें तीर्थंकर वाराणसी में जन्मे. वाराणसी के घाटों पर ही बैठकर गोस्‍वामी तुलसीदास ने रामचरितमानस लिखा. वाराणसी में शास्‍त्रीय नृत्‍य और संगीत की बड़ी समृद्ध परंपरा रही है.