Congress Lok Sabha Chunav 2024: जब पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव के नतीजे आए थे, तब कहा गया कि कांग्रेस अब साउथ में सिकुड़ कर रह गई है. वैसे हिमाचल में भी कांग्रेस की सरकार है लेकिन तेलंगाना की एकतरफा जीत ने बड़ा संदेश दिया. यह कांग्रेस के लिए जितनी बड़ी जीत साबित हुई, भाजपा के लिए उतना बड़ा संदेश भी कि अभी उसे दक्षिण में एंट्री के लिए लंबा रास्ता तय करना है. अगर आप जेहन में भारत का नक्शा सोचें और उसमें भाजपा शासित राज्यों को भगवा रंग में रंगें तो दिखेगा कि भाजपा पश्चिम और मध्य क्षेत्र के साथ पूर्वोत्तर में छाई हुई है, जबकि पंजाब-हिमाचल, बंगाल, ओडिशा से लेकर केरल तक विपक्ष शासित सरकारें चल रही हैं. कर्नाटक में भी कांग्रेस की सरकार है. जिस तरह बंगाल में भाजपा को निराशा मिली, उसी तरह तेलंगाना में भी दाल नहीं गली.


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अब लोकसभा चुनाव से ठीक पहले आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री जगन मोहन रेड्डी की बहन वाईएस शर्मिला ने कांग्रेस में अपनी पार्टी का विलय कर दिया है. क्या इसे यह माना जाए कि शर्मिला के जरिए कांग्रेस (Congress Mission South) ने भाजपा के मिशन साउथ को और मुश्किल बना दिया है? 


शर्मिला का असर क्या होगा?


भाजपा के मिशन साउथ पर इस घटनाक्रम का क्या असर होगा, इसे समझने के लिए यह जानना जरूरी है कि शर्मिला का राजनीतिक बैकग्राउंड क्या है. शर्मिला के जरिए कांग्रेस तेलंगाना ही नहीं, आंध्र प्रदेश की राजनीति में भी अपनी स्थिति मजबूत कर सकती है. शर्मिला अविभाजित आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिवंगत वाई. एस. राजशेखर रेड्डी की बेटी हैं. वह आंध्र के मौजूदा सीएम वाईएस जगन मोहन रेड्डी की छोटी बहन हैं. खबर है कि कांग्रेस में आने के बाद शर्मिला को जल्द ही राष्ट्रीय स्तर पर कोई पद दिया जा सकता है. शर्मिला ने तेलंगाना के चुनाव में कांग्रेस को अपना समर्थन देने की घोषणा की थी. तभी से माना जा रहा था कि वह कांग्रेस में आने वाली हैं. उनकी पार्टी ने वो चुनाव ही नहीं लड़ा था और कांग्रेस को बिना शर्त समर्थन दिया जिससे बीआरएस के खिलाफ वोट न बंटे. 


प्लेन क्रैश में पिता की मौत और...


हां, शर्मिला के पिता वाई एस राजशेखर रेड्डी दक्षिण में कांग्रेस के कद्दावर नेता थे. उन्होंने जो भी चुनाव लड़ा जीतते गए. 2003 में उन्होंने तीन महीने तक 1500 किमी की पदयात्रा की थी. उनके कारण ही कांग्रेस आंध्र में 2004 और 2009 के विधानसभा चुनाव जीत सकी. 2009 में सितंबर के महीने में उनका हेलिकॉप्टर जंगल में क्रैश हो गया. जनता की सहानुभूति बेटे के साथ गई. हालांकि जगन मोहन ने कांग्रेस से अलग नई पार्टी बना ली. इससे कांग्रेस के लिए राह मुश्किल होती गई. आखिरकार 2019 में जगन मोहन रेड्डी प्रचंड जीत हासिल कर सीएम बन गए. उन्हीं की छोटी बहन को अब कांग्रेस बड़ी जिम्मेदारी देने वाली है. 


आंध्र में कांग्रेस में जान फूंकेंगी!


कांग्रेस अपने दिवंगत नेता के काम और लोकप्रियता के सहारे बेटी को लोकसभा चुनाव में आंध्र में कैंपेनिंग की कमान सौंप सकती है. जी हां, कांग्रेस नेतृत्व उन्हें आंध्र प्रदेश में पार्टी को पुनर्जीवित करने का काम दे सकता है. 2014 में आंध्र के विभाजन के बाद पार्टी का लगभग सफाया हो गया था. वह 2014 और 2019 में आंध्र प्रदेश में एक भी विधानसभा या लोकसभा सीट जीत नहीं सकी और उसका वोट शेयर दो प्रतिशत से भी कम हो गया. कर्नाटक और हाल में तेलंगाना की जीत से उत्साहित कांग्रेस शर्मिला के पिता और दिवंगत मुख्यमंत्री वाईएस राजशेखर रेड्डी की विरासत का सहारा लेकर आंध्र कांग्रेस में नई जान फूंकने की उम्मीद कर रही है. आंध्र प्रदेश में विधानसभा चुनाव लोकसभा के साथ ही अप्रैल-मई में होने वाले हैं.


शर्मिला ने 2019 के चुनावों में भाई की पार्टी वाईएसआरसीपी (वाईएसआर कांग्रेस) के लिए प्रचार किया था. हालांकि मतभेद होने पर 2021 में शर्मिला ने वाईएसआरटीपी बना ली. उन्होंने तेलंगाना में पदयात्रा भी की, लेकिन परिणाम उम्मीद के मुताबिक नहीं रहे. अब वह कांग्रेस में आ गई हैं. शर्मिला ईसाई हैं. उनके पति अनिल कुमार ने आज कहा कि शर्मिला के कांग्रेस में आने से आंध्र प्रदेश की राजनीति में निश्चित तौर पर असर पड़ेगा. 


पिता का सपना बता राहुल पर कही बड़ी बात


आज मुस्कुराते हुए कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और राहुल गांधी ने शर्मिला का कांग्रेस में वेलकम किया. YSR तेलंगाना पार्टी का कांग्रेस में विलय करने के बाद शर्मिला ने कहा, 'आज, मैं अपनी पार्टी का कांग्रेस में विलय कर बहुत खुश हूं. यह प्रसन्नता की बात है कि वाईएसआर तेलंगाना पार्टी आज से भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का हिस्सा बन गई है.' शर्मिला ने आगे कहा, 'राहुल गांधी को हमारे देश का प्रधानमंत्री बनते देखना मेरे पिता का सपना था. मैं खुश हूं कि इसे पूरा करने के अभियान का मैं हिस्सा बनने जा रही हूं. जो भी जिम्मेदारी कांग्रेस पार्टी मुझे देगी, मैं पूरी निष्ठा के साथ उसे पूरा करने का वादा करती हूं.'


शर्मिला ने कहा कि मेरे पिता ने कांग्रेस के लिए पूरा जीवन समर्पित किया. आज उन्हें खुशी होगी कि उनकी बेटी उनके दिखाए रास्ते पर चल रही है और कांग्रेस पार्टी का हिस्सा बनने जा रही है. 


42 सीटों पर कांग्रेस की नजर


शर्मिला का राहुल गांधी को लेकर दिया बयान यूं ही नहीं है. उनके पिता को चाहने वाले आज भी आंध्र और तेलंगाना में हैं जो उनके काम को याद करते हैं. अपने पिता के सपने को पूरा करने के लिए शर्मिला कांग्रेस के लिए वोट मांगेंगी तो संभव है कि आंध्र में लोकसभा की 25 सीटों पर फायदा दिखे. वैसे भी पिछले 2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को एक भी सीट नहीं मिली थी.


उधर, तेलंगाना में सत्ता हासिल करने के बाद कांग्रेस ने राज्य की 17 लोकसभा सीटों में से कम से कम 12 सीटें जीतने का महत्वाकांक्षी लक्ष्य रखा है. 2019 में कांग्रेस पार्टी को 17 में से तीन सीटें ही मिली थीं. 


दोनों राज्यों में प्रभाव को देखते हुए चर्चा है कि शर्मिला को कांग्रेस पार्टी दक्षिणी राज्य में चुनाव का प्रभारी बना सकती है. तेलंगाना-कर्नाटक में कांग्रेस की स्थिति पहले से मजबूत दिख रही है. केरल-तमिलनाडु में भाजपा के लिए सीट निकालना आसान नहीं होगा. ऐसे में कांग्रेस की शर्मिला ने बीजेपी को टेंशन तो दे दी है. हो सकता है कि भाजपा अब भाई को करीब लाना चाहे.