Maharashtra Election Result: महाराष्ट्र चुनाव के नतीजे आने में थोड़ा वक्त लगेगा, पर सरकार कैसी बनेगी ये पहले तय है!
Maharashtra Election Result 2024 News: महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव 2024 का नतीजा चाहे जैसा आए, एक बात तो तय है कि राज्य में अगली सरकार किस तरह बनेगी.
Maharashtra Vidhan Sabha Election Result: महायुति या महाविकास आघाडी (MVA), महाराष्ट्र में अगली सरकार चाहे जिसकी बने, यह लगभग तय है कि गठबंधन राजनीति का दौर जारी रहेगा. महाराष्ट्र के पिछले 34 सालों के राजनीतिक इतिहास में कोई एक पार्टी अपने दम पर बहुमत नहीं पा सकी है. राज्य में 1995 से शुरू हुआ गठबंधन पॉलिटिक्स का सिलसिला बदस्तूर जारी है. शनिवार (23 नवंबर 2024) को जब महाराष्ट्र चुनाव के नतीजे आएंगे, तब भी यही ट्रेंड बरकरार करने की उम्मीद है. यानी सरकार किसी की भी बने, यह पहले से तय है कि बनेगी कैसे. नतीजों से यह साफ हो जाएगा कि महाराष्ट्र में अगली सरकार महायुति की होगी या महाविकास आघाड़ी की.
महायुति और महाविकास आघाड़ी, दोनों ही तीन-तीन प्रमुख राजनीतिक दलों के गठबंधन हैं. महायुति में सीएम एकनाथ शिंदे की शिवसेना, भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) और अजित पवार के नेतृत्व वाली राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) शामिल हैं. MVA की तीन महत्वपूर्ण पार्टियां- कांग्रेस, शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे या UBT) और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरद पवार या एसपी) हैं.
सारे विकल्प खुले, बस कैसे भी बात बन जाए!
बीजेपी ने सबसे ज्यादा 148 सीटों पर चुनाव लड़ा है, लेकिन उसे भी बहुमत का आंकड़ा (145) जुटाने के लिए शिवसेना और एनसीपी का साथ चाहिए होगा. 101 सीटों पर लड़ी कांग्रेस को भी शिवसेना (यूबीटी) और एनसीपी (एसपी) के भरोसे रहना होगा. चूंकि, इस साल 1995 के बाद सर्वाधिक मतदान प्रतिशत (66.05) दर्ज किया गया है, इसलिए दोनों गठबंधनों को यह लग रहा है कि नतीजे निर्णायक होंगे. कुनबा मजबूत रहे, उसके लिए सभी बड़ी पार्टियों में बैठकों का दौर जारी है. उम्मीदवारों, बागियों से लेकर छोटे दलों और निर्दलीयों से संपर्क में रहकर सभी विकल्पों को खुला रखा जा रहा है. यही तो महाराष्ट्र का वो सियासी तिलिस्म है जो तीन दशकों से भी अधिक समय से बना हुआ है.
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महाराष्ट्र की जुबान को लगा गठबंधन राजनीति का स्वाद
1 मई, 1960 को महाराष्ट्र का गठन हुआ और पहले विधानसभा चुनाव 1962 में कराए गए. कांग्रेस को प्रचंड बहुमत मिला, उसने 215 सीटें जीतीं. 1967 के चुनाव में भी कांग्रेस को 203 सीटें मिलीं. 1978 के चुनाव कांग्रेस में टूट के बीच हुए और खंडित जनादेश आया. कांग्रेस को 69 सीटें, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (आई) को 62, तथा जनता पार्टी को 99 सीटें मिलीं. यही वह समय था जब शरद पवार ने मुख्यमंत्री वसंतदादा पाटिल के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार से हाथ खींच लिए.
पवार ने 40 बागियों के साथ भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (सोशलिस्ट) का गठन किया. फिर जनता पार्टी और भारतीय किसान और श्रमिक पार्टी की मदद से प्रगतिशील लोकतांत्रिक मोर्चा सरकार बनाई.38 साल की उम्र में पवार देश के सबसे युवा मुख्यमंत्री बने लेकिन 1980 में सरकार को बर्खास्त कर दिया गया. मध्यावधि चुनावों में कांग्रेस को 186 सीटें हासिल हुईं और उसके धड़े INC (U) ने 47 सीटें हासिल कीं. बाद में INC (U) का मुख्य पार्टी में विलय हो गया.
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अप्रैल 1980 में जनसंघ की राजनीतिक इकाई के रूप में बीजेपी का उभार हुआ. शिवसेना जिसका अस्तित्व 1966 से थे, अभी तक स्थानीय चुनावों की राजनीति तक सीमित थी. 1989 में, शिवसेना और बीजेपी साथ आए और लोकसभा व विधानसभा के चुनाव साथ मिलकर लड़ने लगे. हालांकि, महाराष्ट्र की सियासत में कांग्रेस का दबदबा 1990 तक जारी रहा. 1990 में, कांग्रेस को 141 सीटें मिलीं, शिवसेना को 52 और बीजेपी को 42. अगले विधानसभा चुनाव में महाराष्ट्र की सियासी तस्वीर हमेशा-हमेशा के लिए बदलने वाली थी.
1995 के चुनाव में शिवसेना को 73 सीटें मिलीं, बीजेपी को 65 सीटें. 40 बागियों को साथ लेकर दोनों पार्टियां पहली बार सत्ता में आईं. शिवसेना के मनोहर जोशी मुख्यमंत्री बने और बीजेपी के गोपीनाथ मुंडे डिप्टी सीएम. 80 सीट पाकर कांग्रेस अब सत्ता से बाहर हो चुकी थी. महाराष्ट्र में गठबंधन राजनीति का दौर शुरू हो चुका था.
करीब पांच साल बाद, शरद पवार ने कांग्रेस से नाता तोड़ राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) बनाई. अब राज्य में दो राजनीतिक मोर्चे थे, बीजेपी-शिवसेना और कांग्रेस-एनसीपी. 1999 से 2019 तक महाराष्ट्र में लगातार गठबंधन सरकारें बनीं. 1999 से 2009 के बीच कांग्रेस-एनसीपी की सत्ता रही और शिवसेना-बीजेपी विपक्ष में बैठे.
2014 के विधानसभा चुनावों में, बीजेपी 122 सीटें जीतकर सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी. उसने शिवसेना की मदद से सरकार बनाई, जिसने 63 सीटें जीती थीं. बीजेपी को देवेंद्र फडणवीस के रूप में महाराष्ट्र का पहला मुख्यमंत्री मिला. इस गठबंधन ने पांच साल का कार्यकाल पूरा किया. 2019 के विधानसभा चुनावों के बाद, उद्धव ठाकरे ने बीजेपी से नाता तोड़ लिया और कांग्रेस-एनसीपी गठबंधन में शामिल हो गए. अब यह तीन पार्टियों वाला गठबंधन- महाविकास आघाड़ी बन गया. उद्धव ने इसका नेतृत्व मुख्यमंत्री के रूप में किया.
तीन साल बाद 'ऑपरेशन लोटस' हुआ. शिवसेना में फूट डाली गई. जून 2022 में, एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में बीजेपी और शिवसेना ने MVA को हटाकर सरकार बनाई. एक साल बाद, जुलाई 2023 में, अजित पवार के अपने चाचा से अलग होकर महायुति में शामिल होने के बाद NCP दो गुटों में बंट गई. अजित पवार की NCP ने बीजेपी-शिवसेना से हाथ मिलाया और इस तरह महायुति बनी.