Pulwama: बहिष्कार से मतदान तक.. लोकतंत्र की ओर बढ़ता नया कश्मीर
Jammu Kashmir Election: कभी आतंकवाद और पत्थरबाजी के लिए कुख्यात जम्मू-कश्मीर के पुलवामा जिले में आज लोकतंत्र की नई लहर दौड़ रही है. जहां कभी बहिष्कार और विरोध के स्वर गूंजते थे, अब वहां चुनावी रैलियों और प्रचार का रंगारंग माहौल देखने को मिल रहा है.
Jammu Kashmir Election: कभी आतंकवाद और पत्थरबाजी के लिए कुख्यात जम्मू-कश्मीर के पुलवामा जिले में आज लोकतंत्र की नई लहर दौड़ रही है. जहां कभी बहिष्कार और विरोध के स्वर गूंजते थे, अब वहां चुनावी रैलियों और प्रचार का रंगारंग माहौल देखने को मिल रहा है. इस परिवर्तन की सबसे बड़ी गवाह पुलवामा की युवा पीढ़ी है. जिसने अब लोकतंत्र और वोटिंग की शक्ति को पहचाना है.
पुलवामा के लोग खासकर युवा अब बेहतर भविष्य की तलाश में अपने मताधिकार का इस्तेमाल करने के लिए आगे आ रहे हैं. शौकत अहमद डार, जो पहली बार किसी राजनीतिक रैली में शामिल हुए, कहते हैं, "लोग तंग आ चुके हैं और अब वे पूरे मन से अपने वोट का इस्तेमाल करना चाहते हैं. यह हमारी समस्याओं का समाधान खोजने में हमारी सबसे बड़ी ताकत है."
कभी अलगाववादी विचारधारा और आतंकवादियों के समर्थन के लिए प्रसिद्ध पुलवामा अब लोकतंत्र के जश्न का प्रतीक बनता जा रहा है. यहां की चुनावी रैलियां और युवाओं की भागीदारी यह साबित करती है कि पुलवामा अब बदलाव की ओर बढ़ रहा है. मोहम्मद यूसुफ़ कहते हैं, "पुलवामा निश्चित रूप से हर पहलू में बदल रहा है, और यहां के युवा अब बेहतरी की ओर बढ़ रहे हैं."
इस परिवर्तन का सबसे बड़ा उदाहरण यह है कि पुलवामा, जहां पहले चुनावों का बहिष्कार होता था. अब वहां के लोग चुनावी प्रक्रिया का हिस्सा बन रहे हैं. यहां तक कि जमात-ए-इस्लामी, जो कि 35 वर्षों तक चुनावों का बहिष्कार करता रहा, अब चुनावी प्रक्रिया में शामिल हो रहा है. पूर्व जमात सदस्य और उम्मीदवार डॉ. कलीमुल्लाह बताते हैं, "2019 के बाद जमात के लोगों ने चर्चा की और इच्छा जताई कि प्रतिबंध हटना चाहिए. अब 8-9 लोग निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं और अगर परिणाम हमारे पक्ष में रहे तो हम आगे सोचेंगे."
पुलवामा के इस बदलाव को देखकर यह कहा जा सकता है कि जम्मू-कश्मीर में धारा 370 के बाद का परिवर्तन वास्तव में उल्लेखनीय है. युवा अब लोकतंत्र में विश्वास दिखा रहे हैं. जो कल के कश्मीर को शांतिपूर्ण और समृद्ध बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे.
पहली बार वोट देने वाले अदनान गुलज़ार कहते हैं, "मैं पहली बार वोट कर रहा हूं. युवा लोग चुनाव लड़ रहे हैं. और हम शिक्षित उम्मीदवारों का समर्थन करेंगे. वोट बहुत शक्तिशाली होता है जब हम किसी ऐसे व्यक्ति को चुनते हैं जो हमारे लिए बात कर सके.” पुलवामा का यह सफर बहिष्कार से लेकर मतदान तक, लोकतंत्र की शक्ति और नए कश्मीर की उम्मीद को दर्शाता है.