UP Bypolls 2024: कानपुर के सीसामऊ विधानसभा सीट पर सपा प्रत्याशी नसीम सोलंकी सोमवार को चुनावी रैली के दौरान फफक-फफक कर रो पड़ीं. अपने पति और सपा विधायक इरफान सोलंकी की रिहाई की मांग करते हुए उन्होंने जनता से भावुक अपील की. रैली में शिवपाल यादव भी मौजूद थे और इस पूरे घटनाक्रम ने रैली को एक इमोशनल मोड़ दे दिया.


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जेल में बंद पति की रिहाई की मांग


जनसभा में नसीम सोलंकी ने अपने पति इरफान सोलंकी को जेल से रिहा कराने की गुहार लगाई. वह भावुक होकर कहने लगीं, "छुड़वा दो विधायकजी को," और जनता से वोट की अपील के साथ-साथ दुआओं की भी मांग की. इस दौरान उनकी आंखों से आंसू थमने का नाम नहीं ले रहे थे.


शिव मंदिर में दर्शन के बाद मंच पर भावुकता


चंद दिन पहले नसीम सोलंकी शिव मंदिर में पूजा करते हुए नजर आई थीं, जो सियासी हलकों में चर्चा का विषय बनी. अब रैली में उनके आंसुओं ने यह जताने की कोशिश की कि वह सियासी भवसागर पार करने के लिए हर दांव आजमाने को तैयार हैं. उनकी इस भावुकता को भी कुछ लोग सियासी दांव मान रहे हैं.


शिवपाल यादव की रणनीतिक सलाह


रैली में मौजूद शिवपाल यादव ने सपा कार्यकर्ताओं को चुनाव से जुड़े विशेष निर्देश दिए. उन्होंने कहा कि चुनाव से दो दिन पहले सपा या कांग्रेस का कोई भी कार्यकर्ता पुलिस की पकड़ में नहीं आना चाहिए, और अगर पुलिस घर पर आए, तो मिलने से भी मना कर दें. शिवपाल की यह सलाह सीधे तौर पर प्रशासन के खिलाफ सख्त रुख को दिखा रही थी.


शिवपाल की सीख: लड़ो, बचो और सतर्क रहो


शिवपाल यादव ने नसीम सोलंकी को समझाते हुए कहा कि चुनाव में हर दांव-पेंच अपनाने होंगे. उन्होंने कार्यकर्ताओं को सतर्क रहने की सलाह देते हुए कहा कि चुनाव वाले दिन हर मुश्किल का सामना करने को तैयार रहें. रैली में यह संदेश देना भी एक तरह से सियासी रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है.


आंसुओं के पीछे वोटों की ताकत


नसीम सोलंकी के इन आंसुओं का मकसद साफ है: जनता की सहानुभूति बटोरना और इसके बदले में अधिक से अधिक वोट हासिल करना. उनका उद्देश्य न सिर्फ इरफान सोलंकी की राजनीतिक साख को बचाना है बल्कि जेल में बंद इरफान की रिहाई के लिए एक जनसमर्थन भी तैयार करना है.


जनता के बीच उठता सवाल


हालांकि, कानपुर की जनता में इस बात की चर्चा है कि इरफान सोलंकी पर लगे आरोपों में सचाई क्या है. जिस महिला का घर जलाने के आरोप में इरफान जेल में हैं, उस महिला के दर्द का क्या? सीसामऊ की जनता के लिए अब यह एक कठिन फैसला है कि सहानुभूति के आंसुओं का जवाब वोट से दिया जाए या नहीं.