Top Ki Flop: 5 साल में लिखी गई 2 घंटे की फिल्म, ऐसे बोर हुए दर्शक कि हॉल में आई नींद
Amitabh Bachchan Film: फिल्मों में उम्रदराज रोल निभाने के बावजूद अमिताभ बच्चन लंबे समय तक कहानियों के केंद्र में रहे. विधु विनोद चोपड़ा की महत्वाकांक्षी फिल्म थी, एकलव्यः द रॉयल गार्ड. परिंदा, 1942 अ स्टोरी और मिशन कश्मीर बनाने वाले विधु ने इस फिल्म तक आते-आते अपनी चमक खो दी.
Vidhu Vinod Chopra Film: विधु विनोद चोपड़ा ने परिंदा, 1942 अ लव स्टोरी और मिशन कश्मीर जैसी फिल्में दी हैं. लेकिन मिशन कश्मीर के सात साल लंबे अंतराल के बाद जब उन्होंने एकलव्य: द रॉयल गार्ड बनाई तो वह फेल हो गए. फिल्म बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप साबित हुई. फिल्म 2007 में रिलीज हुई थी. विधु विनोद चोपड़ा का यह ड्रीम प्रोजेक्ट था. उन्होंने फिल्म की कहानी तथा स्क्रिप्ट अभिजात जोशी के साथ मिलकर लिखी थी. प्रोड्यूसर-डायरेक्टर वही थे. इस फिल्म को लिखने में 5 साल का लंबा समय लगा. फिल्म की कहानी तथा स्क्रिप्ट पर उन्होंने काफी मेहनत की. लेकिन दर्शकों ने फिल्म को सिरे से खारिज कर दिया.
खत में छुपा राज
एकलव्य एक्शन ड्रामा फिल्म थी. अमिताभ बच्चन, सैफ अली खान, संजय दत्त, जिमी शेरगिल, जैकी श्रॉफ, बोमन ईरानी, विद्या बालन, रायमा सेन तथा शर्मिला टैगोर की फिल्म में मुख्य भूमिकाएं थी. अमिताभ बच्चन टाइटल रोल यानी एकलव्य की भूमिका में थे. वह राजस्थान के एक राजसी परिवार के संरक्षक की भूमिका में थे. उनका किरदार इस तरह से गढ़ा गया था कि राज परिवार के लिए वह अपनी जान तक न्यौछावर कर सकते थे. सैफ अली खान राजा (बोमन ईरानी) के बेटे प्रिंस हर्षवर्धन की भूमिका में थे. यह एकमात्र फिल्म है, जिसमें शर्मिला टैगोर ने पर्दे पर भी सैफ अली खान की मां की भूमिका निभाई. मरने से पहले राजमाता अपने बेटे के नाम एक खत छोड़कर जाती है, जिसमें बताती है कि सैफ के बायलॉजिकल पिता एकलव्य यानी अमिताभ बच्चन हैं. फिल्म में सत्ता हासिल करने के लिए राजघराने की आपसी रंजिश, षड्यंत्र तथा लड़ाई को दिखाया गया था.
शेक्सपीयर की छाया
फिल्म की सबसे बड़ी कमी यह थी कि इसकी रफ्तार बहुत धीमी थी. सीन बहुत लंबे-लंबे फिल्माए गए थे. फिल्म की अवधि यूं तो दो घंटे से कम थी, लेकिन फिल्म दर्शको को बांध नहीं पाई. फिल्म शेक्सपियर के नाटक हेमलेट की याद दिलाती है, लेकिन ऐसा लगता है कि फिल्म में उस नाटक की आत्मा कहीं खो गई. लिखने में लंबा समय लगाकर भी विधु विनोद चोपड़ा और अभिजात जोशी फिल्म में जान नहीं फूंक पाए. यहां मनोरंजन का रेगिस्तान बिखरा था. यह फिल्म अभिनेताओं से सर्वश्रेष्ठ काम निकालने में विफल रही. फिल्म से यह भी स्पष्ट नहीं था कि निर्देशक आखिर कहना क्या चाहता है? नतीजा यह कि बड़े-बड़े सितारों से सजी फिल्म बॉक्स ऑफिस पर धराशायी हो गई.
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