Arnold Schwarzenegger: हॉलीवुड के एक्शन स्टार अर्नोल्ड श्वार्जनेगर पूरी दुनिया के साथ भारत में भी बेहद लोकप्रिय हैं. 1980 के दशक में वह फिटनेस (Fitness) और बॉडीबिल्डिंग (Bodybuilding) का दूसरा नाम थे. जिम से लेकर लोगों के घरों में तक उनकी तस्वीरें रहा करती थीं. अपने दौर में वह हॉलीवुड के सबसे बड़े एक्शन सितारों में से एक थे और आज भी उन्हें आइकन माना जाता है. श्वार्जनेगर को हॉलीवुड फिल्मों (Hollywood Films) में उनकी पहली प्रमुख भूमिका जॉन मिलियस द्वारा निर्देशित कॉनन द बारबेरियन (1982) में मिली थी. फिल्म में उन्हें न केवल कड़ी मेहनत वाले एक्शन करने पड़े बल्कि एक ऐसा सीन भी कैमरे के आगे फिल्माना पड़ा, जिसकी कल्पना करना तक मुश्किल लगता है. इस सीन में उन्हें एक गिद्ध को चबाना था.


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बात क्लोज-अप की
द टर्मिनेटर, प्रिडेटर, टोटल रिकॉल और ट्रू लाइज जैसी फिल्मों के लिए पहचाने जाने वाले अर्नोल्ड श्वार्जनेगर ने कॉनन द बारबेरियन में अपनी भूमिका के बारे में बात करते हुए एक इंटरव्यू (Arnold Schwarzenegger Interview) में इस दृश्य पर बात की थी. फिल्म के एक सीन में एक गिद्ध (Vulture) अर्नोल्ड श्वार्जनेगर को चोंच मारता और काटता हुआ दिखाया गया है. लेकिन बाद में यह हीरो उसे अपने दांतों से पकड़ कर चबा डालता है. उस दौर में फिल्मों में आज की तरह वीएफएक्स (VFX) का बड़े पैमाने पर नहीं का इस्तेमाल नहीं होता था. श्वार्जनेगर ने बताया कि यह सच है कि मुझे एक असली मगर मरे हुए गिद्ध के साथ वह सीन करना पड़ा. मैंने चबाया और काटा. उन दिनों वीएफएक्स से वे गिद्ध नहीं बना सकते थे, जो क्लोज-अप में अच्छा लगे.



पहले मारे बेक्टीरिया
श्वार्जनेगर ने आगे बताया कि इस सीन के लिए एक मरे हुए गिद्ध को लेकर पहले से उसे शराब में भिगोया और सुखाया. ताकि उसमें मौजूद बेक्टीरिया मर जाएं. हालांकि ऐसा करने के बावजूद उस मरे हुए गिद्ध के पंखों में जूं मौजूद थी. एक्शन से भरपूर इस फिल्म के लिए श्वार्जनेगर को 18 महीने कड़े प्रशिक्षण से गुजरना पड़ा था. जिसमें रेस, वेट लिफ्टिंग, घुड़सवारी, तैराकी और रस्सी पर चढ़ना शामिल था. श्वार्जनेगर ने कहा था कि उस समय मैंने नया-नया मिस्टर ओलंपिया खिताब जीता था और फिल्म में हीरो बनने के लिए सब कुछ करने को तैयार था.