भगवान दादा (Bhagwan Dada), फिल्म इंडस्ट्री का एक ऐसा नाम जिसका 50 और 60 के दशक में बॉलीवुड में दबदबा था. भगवान दादा एक समय फिल्म इंडस्ट्री के सबसे अमीर स्टार्स में से एक हुआ करते थे हालांकि, वक्त ने ऐसी पल्टी मारी की बुढ़ापे में वे पाई-पाई के लिए मोहताज हो गए थे. फिल्म इंडस्ट्री के इस चर्चित स्टार की कहानी बिलकुल किसी मसाला फिल्म के जैसी है. भगवान दादा के राजा से रंक बनने की यही कहानी आज हम आपको सुनाने जा रहे हैं. 


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कभी 25 कमरों के घर में रहते थे भगवान दादा 


भगवान दादा के बारे में ऐसा कहा जाता है कि वे एक समय फिल्म इंडस्ट्री के सबसे अमीर स्टार हुआ करते थे. भगवान दादा के पास मुंबई के जुहू इलाके में समंदर किनारे एक बेहद शानदार 25 कमरों का घर हुआ करता था. यही नहीं, भगवान दादा के बारे में यह भी मशहूर था कि वे गाड़ियों के बड़े शौक़ीन थे. एक्टर के पास उस जमाने में सात गाड़ियां थीं जिसे वे हफ्ते के अलग-अलग दिनों में चलाया करते थे. पैसे खर्चने को लेकर भी भगवान दादा के किस्से बहुत मशहूर हैं, कहते हैं कि वे बिना सोचे-समझे जमकर पैसा खर्च किया करते थे. हालांकि, एक्टर की इस शानो शौकत पर जल्द ग्रहण लगने वाला था. 


इस फिल्म को बनाने के चक्कर में कंगाल हो गए थे भगवान दादा 


मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, भगवान दादा की लाइफ में सबकुछ ठीक चल रहा था लेकिन फिल्म ‘हंसते रहना’ बनाने का निर्णय उन्हें ले डूबा था. असल में इस फिल्म को बनाने के लिए भगवान दादा ने अपना सारा पैसा, यहां तक की जमा पूंजी भी लगा दी थी. फिल्म में उन्होंने किशोर कुमार को कास्ट किया था. खबरों की मानें तो किशोर कुमार की लेट लतीफी के चलते फिल्म की शूटिंग समय पर नहीं हो पाती थी और इससे खर्चा बढ़ता चला गया. कहते हैं यह फिल्म कभी पूरी ही नहीं हो सकी और इसका खामियाजा भगवान दादा ने कंगाल होकर भुगता था. भगवान दादा इस फिल्म की मेकिंग के चक्कर में पूरी तरह से कंगाल हो गए थे और उनका आख़िरी समय मुंबई की चॉल में कटा था.