Pran Life Facts: लाहौर फिल्मी इंडस्ट्री में निगेटिव रोल में कामयाब प्राण को हिंदी फिल्मी इंडस्ट्री में पहला ब्रेक फिल्म खानदान से मिला था.प्राण ने 350 फिल्मों में काम किया था. प्राण एक्टिंग में इतने डूब जाते थे कि ये साबित हो जाता था कि उनके बिना वो किरदार कोई और नहीं कर सकता है.इसी वजह से 'जिस देश में गंगा बहती है' के 'डाकू राका' , 'उपकार' के अपाहिज 'मलंग चाचा', 'जंजीर' में 'शेरखान' के पठान जैसे किरदारों को दर्शक आज भी याद करते हैं. वैसे, पहले प्राण फोटोग्राफर बनना चाहते थे और इसी वजह से उन्होंने एक कंपनी में इंटर्न के तौर पर भी काम किया था लेकिन किस्मत को कुछ और ही मंजूर था.


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पान की दुकान पर मिला फिल्म का ऑफर

एक दिन राइटर मोहम्मद वली ने पान की दुकान पर प्राण को खड़े देखा और उन्हें अपनी पंजाबी फिल्म यमला जट में काम करने का ऑफर दे दिया. प्राण पहले नहीं माने लेकिन बाद में वली ने उन्हें मना लिया. यहीं से उनके फिल्मी सफर की शुरुआत हुई लेकिन बतौर विलेन पहली फिल्म खानदान थी. विलेन के रोल में ऐसे जमे कि खुद कभी हीरो बनने को तैयार नहीं हुए. लोगों के बीच पॉपुलैरिटी का आलम ये था कि रास्ते पर अगर ये दिख जाएं तो लोग इन्हें गालियां देते थे क्योंकि ऑन स्क्रीन वो ऐसे विलेन थे जिससे हर कोई खौफ खाए.


असल में भी खौफ खाते थे लोग

एक समय तो आलम ये था कि अगर वो दोस्त के घर मिलने जाते थे तो लड़कियां उन्हें देखकर कमरे में भाग जाया करती थीं. इतना ही नहीं, एक आउटडोर शूटिंग के सिलसिले में जब अरुणा ईरानी को रात में उनके साथ होटल में स्टे करना पड़ा तो वो घबरा गईं कि कहीं प्राण उनके साथ कोई छेड़छाड़ न कर दें. 2013 में 93 साल की उम्र में प्राण ने दुनिया को अलविदा कह दिया था. वह लंबे समय से बीमार थे.