Dilip Kumar Happy Birthday: दिलीप कुमार ने की यह फिल्म डायरेक्ट, मगर आज तक है डिब्बे में बंद
100 Years Of Dilip Kumar: हिंदी सिनेमा के इतिहास के सर्वश्रेष्ठ अभिनेता दिलीप कुमार आज जीवित होते, तो 100वां जन्मदिन मनाते. दिलीप कुमार का असली नाम मोहम्मद यूसुफ खान था. करीब 60 फिल्मों में अभिनय करने वाले दिलीप कुमार ने एक फिल्म का निर्देशन भी किया था, कलिंगा. मगर यह कभी सामने नहीं आई.
Dilip Kumar Film Kalinga: यूं तो दिलीप कुमार पर्दे पर ट्रेजडी किंग थे, परंतु सैट पर उनका रौब होता था. अपने शिखर के दिनों में कई बार यह कहा-सुना गया कि वह राइटर की स्क्रिप्ट में बदलाव करने से लेकर सैट पर खुद निर्देशक हो जाते थे. गंगा जमुना और बैराग जैसी फिल्मों में निर्देशक वही थे, परंतु नाम किसी और का गया. मगर एक फिल्म ऐसी थी, जिससे दिलीप कुमार ने आधिकारिक रूप से निर्देशित किया. फिल्म थी, कलिंगा. प्रोड्यूसर के साथ विवादों की वजह से यह फिल्म अधूरी रही और कभी सिनेमाघरों में नहीं आ सकी. 19 अप्रैल, 1991 को फिल्म का मुहूर्त मुंबई के पांच सितारा होटल में हुआ था. फिल्म में दिलीप कुमार खुद लीड रोल में थे और उनके साथ राज बब्बर, राज किरण, अमजद खान, मीनाक्षी शेषाद्री, अमतोज मान और शिल्पा शिरोडकर जैसे एक्टर थे.
बाप-बेटों के टकराव की कहानी
फिल्म की कहानी बदलते पारिवारिक मूल्यों और पीढ़ियों के टकराव की थी. दिलीप कुमार फिल्म में जस्टिस कलिंगा बने थे. जस्टिस कलिंगा के रिटायर होने के बाद उनकी पहली पत्नी से हुए दो बेटे उनसे अच्छा बर्ताव नहीं करते और गलत रास्ते पर भी चलते. ये बेटे अपने पिता को खत्म करने की कोशिश करते हैं और तब जस्टिस उनसे बदला लेते हैं. फिल्म के प्रोड्यूसर सुधाकर बोकाड़े थे. बोकाड़े और दिलीप कुमार के बीच शुरुआत से ही किसी न किसी बात पर मतभेद थे. दिलीप कुमार पहले धर्मेंद्र को लेना चाहते थे मगर बोकाड़े को वह पसंद नहीं थे. बाद में फिल्म में सनी देओल की एंट्री हुई, मगर वह भी विदा हो गए. फिल्म की मेकिंग के दौरान एक बार दिलीप कुमार बीमार पड़े और 1992 के दंगों की वजह से भी फिल्म की शूटिंग बाधित होती रही. तय समय से साल भर ऊपर होने पर भी कलिंगा पूरी नहीं हुई. होते-होते फिल्म का बजट उस दौर में साढ़े तीन करोड़ रुपये के ऊपर पहुंच गया. दिलीप कुमार और प्रोड्यूसर में विवाद बढ़ते गए और अंततः फिल्म की शूटिंग रुक गई. आखिर में फिर फिल्म बंद हो गई.
हुआ ट्रायल शो मगर...
बंद होने से पहले फिल्म लगभग 80 फीसदी शूट हो चुकी थी. हालांकि कुछ दावे यह भी हैं कि फिल्म पूरी हो चुकी थी. दिलीप कुमार ने इसका एक स्पेशल ट्रायल सुभाष घई और विजय आनंद जैसे निर्देशकों के लिए रखा था. फिल्म खत्म होने के बाद सुभाष घई तो चुपचाप वहां से निकल गए परंतु विजय आनंद ने दिलीप कुमार से साफ-साफ कहा कि फिल्म बहुत कमजोर है. विजय आनंद ने दिलीप कुमार से यह भी कहा कि अगर आप चाहें तो मैं खुद इस फिल्म को नए सिरे से संपादित कर सकता हू. तब दिलीप कुमार ने कहा कि ठीक है, फिल्म का एक ट्रायल और करेंगे. तब आगे विचार करेंगे. परंतु वह दूसरा ट्रायल फिर कभी नहीं हुआ.
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