Govinda: मनी है तो हनी है, 2008 में आई ऐसी फिल्म थी जो बॉक्स ऑफिस पर बुरी तरह से फ्लॉप हुई. 18 करोड़ में बनी इस फिल्म का वर्ल्डवाइड बॉक्स ऑफिस कलेक्शन सिर्फ 5 करोड़ था, जबकि भारत में यह सिर्फ 3 करोड़ कमा पाई. यह कॉमेडी फिल्म थी. गोविंदा, आफताब शिवदासानी, मनोज बाजपेयी, रवि किशन, उपेन पटेल, हंसिका मोटवानी, सेलिना जेटली की फिल्म में मुख्य भूमिकाएं थी. फिल्म को मशहूर कोरियोग्राफर गणेश आचार्य ने डायरेक्ट किया था. फिल्म का बॉक्स ऑफिस पर हाल तो खराब रहा लेकिन इस फिल्म के बाद गोविंदा का करियर भी दांव पर लग गया. उनका बॉलीवुड करियर लगभग खत्म हो गया. उन्होंने कुछ ऐसा कर दिया कि उनकी स्टार वाली इमेज को काफी नुकसान पहुंचा.


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एक थप्पड़ की गूंज...
हुआ यूं कि फिल्म की शूटिंग के दौरान मुंबई के फिल्मिस्तान स्टूडियो में गोविंदा का एक फैन संतोष राय स्टार्स के पीछे वाली लाइन में बैठा हुआ था. एक शॉट के बीच में अचानक गोविंदा पीछे मुड़े और उस व्यक्ति से पूछने लगे कि वह कौन है. उसके जवाब देने पर कि वह उनका प्रशंसक है और शूटिंग देखने आया है, गोविंदा ने उसे जोर का चांटा जड़ दिया. इस करतूत पर मीडिया तथा आम पब्लिक के बीच गोविंदा की काफी आलोचना हुई. इस मामले को लेकर अदालत में केस भी चला. हालांकि बाद में गोविंदा ने इस मामले में अपनी सफाई दी तथा सार्वजनिक रूप से संतोष राय से माफी भी मांगी. उन्हें 5 लाख हर्जाने के तौर पर भी दिए, लेकिन तब तक चिड़िया खेत चुग चुकी थी. गोविंदा की इस हरकत से न सिर्फ गोविंदा के करियर को बल्कि फिल्म को भी नुकसान हुआ.



बेटी से छोटी हीरोइन
मनी है तो हनी है छह ऐसे लोगों की कहानी थी जो जीवन में किसी न किसी समस्या से जूझ रहे हैं. एक दिन, उन सभी को एक एसएमएस आता है कि वे शहंशाह जायसवाल (प्रेम चोपड़ा ) की हजार करोड़ की कंपनी के मालिक हैं. यह जानकर सब खुश हो जाते हैं लेकिन खुशी लंबे समय तक नहीं रहती. उन्हें पता चलता है कि कंपनी पर 1200 करोड़ का कर्ज है और उन्हें इसे चुकाना होगा. जब तक कर्ज नहीं चुकाया जाता, तब तक उन्हें नजरबंद रखा जाएगा. किस तरह यह सभी लोग इस मुसीबत से निकल पाते हैं. यही फिल्म की कहानी थी. गणेश आचार्य फिल्म को कॉमेडी बनाना चाहते थे लेकिन दर्शकों और समीक्षकों को कॉमेडी जैसा फिल्म में नहीं दिखा. उस पर से गोविंदा के साथ हंसिका मोटवानी की बेमेल जोड़ी दिखाई गई थी. जबकि हंसिका की उम्र गोविंदा की बेटी से भी कम थी. हंसिका का हीरो बनने के लिए भी गोविंदा की काफी आलोचना हुई.


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