OTT In India: हल्ला है ओटीटी का, लेकिन रोज कितनी देर देखते हैं इंडियन और खर्च करते हैं महीने में कितनाॽ
OTT Platforms: कोरोना काल से ओटीटी ने भारत में लंबी छलांग लगाई है. ओटीटी ने लोगों की फिल्मों की रुचि को भी बदला है और बीते दो-ढाई साल में यह बात खूब ढंग से सामने आई है. अब एक शोध ने बताया है कि लोग ओटीटी पर हर दिन कितना समय दे रहे हैं और कितना पैसा महीने में खर्च कर रहे हैं. जानिए...
OTT Platforms In India: एंटरटमेंट की दुनिया तेजी से बदल रही है. साथ ही मोबाइल और इंटरनेट ने लोगों के आपसी संवाद के तरीके भी बदल दिए हैं. अब एक नए अध्ययन के मुताबिक ओटीटी भले ही भारत में तेजी से जगह बना रहा है, लेकिन आज भी लोग सबसे ज्यादा समय सोशल मीडिया पर बिता रहे हैं. ओटीटी और गेमिंग पीछे हैं. टेक्नोलॉजी और पॉलिसि थिंक टैंक द एस्या सेंटर की रिपोर्ट के अनुसार भारत के लोग हर दिन 24 घंटे में औसतन 194 मिनट (तीन घंटे 14) सोशल मीडिया पर बिता रहे हैं. जबकि ओटीटी पर भारतीय क्रमशः औसतन 44 मिनट और गेमिंग पर 46 मिनिट दे रहे हैं.
डिजिटल दुनिया के रिश्ते
न्यू-एज डिजिटल कंजम्पशन: ए सर्वे ऑफ सोशल मीडिया, ओटीटी कंटेंट एंड ऑनलाइन गेमिंग टाइटल की इस रिपोर्ट में भारत के लोगों के डिजिटल दुनिया से रिश्तों की पड़ताल की गई है. रिपोर्ट में बताया गया है कि भारतीय ओटीटी प्लेटफॉर्म, गेमिंग और सोशल मीडिया पर कितना समय और पैसा खर्च करते हैं. तय है कि सोशल मीडिया अब भी सबसे ज्यादा समय ले रहा है. वहीं तेजी से लोकप्रिय होते ओटीटी और युवाओं के क्रेज गेमिंग पर खर्च होने वाला औसत समय एक घंटे से भी कम है. रजत शर्मा और विकाश गौतम ने अपने शोध के आधार पर यह रिपोर्ट बना गई है. शर्मा आईआईएम-अहमदाबाद में एसोसिएट प्रोफेसर हैं और गौतम द एस्या सेंटर में सहायक फेलो हैं.
अच्छे कंटेंट की जरूरत
यह रिपोर्ट दिल्ली एनसीआर, बेंगलुरु, चेन्नई, मुंबई, कोलकाता, पटना और अन्य दस प्रमुख शहरों में दो हजार लोगों से बातचीत तथा 20.6 लाख यूजर्स के इन-एप डेटा के विश्लेषण के आधार पर तैयार की गई है. बड़ी संख्या में लोगों ने बताया कि ओटीटी से वह अपना तनाव दूर करते हैं. जहां तक इन माध्यमों पर धन खर्च करने की बात है, तो गेमिंग पर यूजर्स प्रति माह 100 रुपये से भी कम खर्च करते हैं, जबकि ओटीटी का इस्तेमाल करने वाले महीने में औसतन 200 से 400 रुपये के बीच खर्च कर रहे हैं. ओटीटी पर लोगों के समय और धन खर्च को देखते हुए माना जा सकता है कि यहां लोगों को अच्छे कंटेंट की जरूरत है. तभी वे यहां लंबे समय तक टिक सकते हैं.