Salman Khan: नकली से जब मिल रहा सम्मान, तो असली टाइगर की बायोपिक से डर गए सलमान
Tiger 3: इस साल सलमान खान की टाइगर 3 का इंतजार किया जा रहा है. टाइगर फ्रेंचाइजी फिल्मों ने सलमान की लोकप्रियता को ऊंचाइयां दी है. लेकिन खबर यह भी है कि उन्होंने भारतीय जासूसी के इतिहास में बेहद सम्मान से याद किए जाने वाले रवींद्र कौशिश की बयोपिक करने से इंकार कर दिया है. वजह अनोखी है.
Salman Khan Films: सलमान खान बॉलीवुड के बड़े सुपरस्टार हैं और उनका हर कदम सुर्खियां बटोरता है. कोरोना के समय में, सलमान ने मीडिया से बातचीत में पुष्टि की थी कि वह निर्देशक राजकुमार गुप्ता के साथ भारतीय जासूस रवींद्र कौशिक की आधिकारिक बायोपिक के लिए बातचीत कर रहे हैं. लेकिन बाद में पता चला कि बात बनी नहीं. अब सलमान के एक करीबी सूत्र के हवाले से बॉलीवुड हंगामा ने बताया है कि भाईजान फिल्म क्यों नहीं कर रहे हैं. सूत्र के अनुसार, सलमान खान पहले से ही यशराज फिल्म्स की टाइगर फ्रैंचाइजी में काम कर रहे हैं. उन्हें भरोसा है कि आने वाले वर्षों में इसकी लोकप्रियता बढ़ेगी. इस साल टाइगर 3 रिलीज होने वाली है. यही वजह है कि सलमान एक और जासूसी फिल्म नहीं करना चाहते थे. उन्हें डर है कि अगर वह रवींद्र कौशिश की बायोपिक करेंगे, तो उसकी तुलना टाइगर से होगी.
कोड नेम टाइगर
दिलचस्प बात यह है कि महान भारतीय जासूस, रवींद्र कौशिक का कोड नेम टाइगर था. फिल्म टाइगर में निर्माताओं ने इसी टाइगर कोड नेम को अपनी कहानी में लेकर उसे अपना ब्रांड बना लिया है. खबरों के मुताबिक रवींद्र कौशिक पर फिल्म बनाने के अधिकार निर्देशक राजकुमार गुप्ता ने खरीदे थे. लेकिन तय समय पर फिल्म न बना पाने के कारण अधिकार उनके हाथ से फिसल गए. अब खबर है कि अनुराग बसु ने रवींद्र कौशिक की बायोपिक अधिकार खरीदे हैं. वह फिल्म बनाने की तैयारी कर रहे हैं. हालांकि उन्होंने अभी तय नहीं किया है कि कौशिक की भूमिका में किस एक्टर को लेंगे. बताया जा रहा है कि इस फिल्म का टाइटल ब्लैक टाइगर रहेगा.
हो रहा है इंतजार
उल्लेखनीय है कि भारतीय जासूसों के इतिहास में रवींद्र कौशिक रॉ सबसे प्रतिष्ठित जासूस नाम है. उनकी बायोपिक का लंबे समय से इंतजार किया जा रहा है. बताया जाता है कि पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने रवींद्र कौशिक को द ब्लैक टाइगर नाम दिया था. सिर्फ 20 साल की उम्र में वह अंडरकवर एजेंट बने थे. कौशिक रॉ के एजेंट थे, जिन्होंने 1975 से 1983 तक पाकिस्तान में जासूसी की थी. उन्होंने पाकिस्तान में वहीं के आर्मी ऑफिसर के रूप में रॉ के लिए काम किया और लंबे समय तक भारत को खुफिया जानकारी भेजते थे. हालांकि 1983 में उनका भेद खुल गया और उन्हें गिरफ्तार करके पाकिस्तान ने उम्रकैद की सजा सुनाई. वे टीबी का शिकार हो गए. रवींद्र कौशिक की मौत पाकिस्तान की ही जेल में हुई थी.
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