Madhumita Shukla Hatyakand Documentary: भारतीय राजनीति में भले नेताओं और सुंदरियों के किस्सों पर मीडिया पर्दा डाले रहता है, लेकिन विदेश में अक्सर ऐसे स्कैंडल सामने आते हैं. हालांकि ऐसा नहीं है कि देश की राजनीति में ऐसी घटनाएं पूरी तरह से छुपी ही रही हैं. कई बार यह बड़ी सुर्खियां बनकर सामने आईं. कुछ मौकों पर इसमें खूनी खेल भी देखने मिले. यूपी में हुए चर्चित मधुमिता हत्याकांड को इस साल 20 बरस पूरे हो रहे हैं. 20 साल बाद भी ऐसा नहीं लगता कि यह कोई बहुत पुरानी घटना है. उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ की पेपर मिल कॉलोनी में उस दौर की चर्चित कवयित्री मधुमिता शुक्ला और यूपी मंत्रीमंडल के बाहुबली मंत्री अमरमणि त्रिपाठी के प्यार की दबी-छुपी कहानी में तब धमाका हुआ, जब नौ मई 2003 को मधुमिता की घर में घुस कर गोली मारकर हत्या कर दी गई.


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सबके अपने दावे
ओटीटी प्लेटफॉर्म डिस्कवरी इंडिया की नई सीरीज लव किल्सः मधुमिता शुक्ला हत्याकांड इसी घटनाक्रम से लेकर बाद में अमरमणि त्रिपाठी और उसकी पत्नी मधुमणि त्रिपाठी के जेल की सलाखों के पीछे जाने तक की कहानी कहती है. यह सीरीज तमाम लोगों के इंटरव्यू पर आधारित है. जिसमें ड्रामा का प्रयोग हुआ है. पांच एपिसोड की इस सीरीज के अभी दो भाग प्लेटफॉर्म ने रिलीज किए हैं. अगले दो 16 फरवरी को और अंतिम 23 फरवरी को रिलीज किया जाएगा. सीरीज इस घटनाक्रम के दोनों पक्ष सामने लाने की कोशिश करती है. एक तरफ मधुमिता शुक्ला की बहन निधि शुक्ला हैं. जिनका कहना है कि इस घटना ने उनकी जिंदगी ही खत्म कर दी और वह अब मधुमिता का जीवन जीते हुए उस त्रासदी को भुगत रही हैं. दूसरी तरफ अमरमणि और मधुमणि की दो बेटियां भी सीरीज में नजर आती हैं. जो अपने पिता को बेहद सुदर्शन बताते हुए कहती हैं कि हो सकता है कि उनके संबंध रहे हों, परंतु जिस हत्या की सजा उन्हें मिली, वह उन्होंने की ही नहीं है.


पुलिस और राजनीति का खेल
लव किल्स की कहानी में दो पक्ष पुलिस और राजनीति के भी हैं. यहां एक तरफ वह यूपी पुलिस है, जिस पर मामले को दबाने की कोशिशों के आरोप लगते हैं. परंतु यहीं कुछ ऐसे पुलिस अफसर और अधिकारी हैं, जो हर हाल में दोषियों को सजा दिलाने के लिए प्रतिबद्ध हैं. इसी तरह से राजनीति के भी दो चेहरे हैं. एक चेहरा जो बाहुबलियों का अपने हक में इस्तेमाल करता है और दूसरा चेहरा, जो पूरी बेशर्मी से न केवल मौका आने पर पल्ला झाड़ता है बल्कि फिर से उसे अपने वोटबैंक के लिए आजमाना चाहता है. यहां वे पत्रकार भी हैं, जिनकी रिपोर्टिंग घटनाक्रम में शामिल किरदारों के दावों की पड़ताल करती है. कई बार उनका झूठ भी पकड़ लेती है. यहां बात मधुमिता शुक्ला की उस महत्वाकांक्षा की भी होती है, जिसने इस कवयित्री को सत्ता के शीर्ष तक पहुंचने का दुस्साहस दिया. इसी महत्वाकांक्षा के शॉर्टकट में वह इस्तेमाल हुई और मारी गई. यह रोचक सीरीज है. राजनीति के कई चेहरों को आप एक साथ देखना चाहते हैं, तो इसे देखें. प्यार और अपराध की कहानियों में आपकी रुचि है तो यह आपको पसंद आएगी.


निर्देशकः दीपक चतुर्वेदी
ओटीटीः डिस्कवरी प्लस
रेटिंग***


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