Shahid Kapoor Film: कहते हैं कि भगवान जो भी करता है अच्छे के लिए ही करता है. यदि आपके साथ कुछ गलत होने वाला हो तो वह पहले ही आगाह कर देता है. ऐसा ही कुछ हुआ था शाहिद कपूर के साथ. दरअसल बात दिल मांगे मोर (2004) के प्रीमियर के दौरान की है. जब फिल्म का प्रीमियर होना था, उसी समय शाहिद कपूर की अगली फिल्म मिलेंगे मिलेंगे (2010) की टीम को थाईलैंड (Thailand) के लिए निकलना था. लेकिन शाहिद कपूर दिल मांगे मोर (Dil Mange More) का प्रीमियर अटैंड करना चाहते थे. इसलिए उन्होंने मिलेंगे मिलेंगे के प्रोड्यूसर तथा डायरेक्टर बोनी कपूर (Bonny Kapoor) तथा सतीश कौशिक से आग्रह किया कि वह शूटिंग शेड्यूल को आगे बढ़ा दें क्योंकि वह दिल मांगे मोर का प्रीमियर अटेंड करना चाहते हैं.


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टिकट हो गए थे बुक
बोनी कपूर के लिए यह आसान नहीं था. क्योंकि फिल्म की शूटिंग की पूरी तैयारी हो चुकी थी. शूटिंग पर जाने वाले सभी क्रू मेंबर्स के टिकिट हो चुके थे. ऐसे में एक सिर्फ शाहिद के लिए सब कुछ कैंसिल करके डेट्स आगे बढ़ाना आसान नहीं था. उनका काफी नुकसान हो जाता. फिर भी उन्होंने शाहिद के लिए शूटिंग शेड्यूल आगे बढ़ाया. लेकिन उनके द्वारा लिए गए इस सही फैसले ने पूरी शूटिंग टीम की जान बचा ली. दरअसल जो शूटिंग शेड्यूल पहले तैयार किया गया था वह 26 दिसंबर, 2004 के आस पास का था. यह वही दिन था जब थाईलैंड में सुनामी आई थी. मिलेंगे मिलेंगे की पूरी यूनिट को ठहराने के लिए जो होटल बुक किया गया था वह होटल इस सुनामी में पूरा बर्बाद हो गया. यदि शाहिद कपूर शूटिंग की डेट्स आगे बढ़ाने के लिए नहीं कहते तो क्या से क्या हो जाता.


सच्चे प्यार की कहानी
दिल मांगे मोर 31 दिसंबर 2004 को रिलीज हुई थी. शाहिद कपूर के अलावा सोहा अली खान (Soha Ali Khan), आयशा टाकिया (Ayesha Takia) तथा ट्यूलिप जोशी (Tulip Joshi), गुलशन ग्रोवर (Gulshan Grover) तथा जरीना वहाब की फिल्म में मुख्य भूमिकाएं थी. सोहा अली खान ने इसी फिल्म से अपने करियर की शुरुआत की थी. अंनत महादेवन ने फिल्म का निर्देशन किया था. फिल्म बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप साबित हुई थी. फिल्म की कहानी निखिल माथुर (शाहिद कपूर) के सच्चे प्यार को पाने के सफर की है. प्यार की तलाश में वह यहां वहां भटकता रहता है. उसका प्यार सच्चा है. लेकिन उसे कोई ऐसी लड़की नहीं मिलती जो उससे सच्चा प्यार करे. उसके जीवन में तीन लड़कियां नेहा (सोहा अली खान), सारा (ट्यूलिप जोशी) तथा शगुन (आयशा टाकिया) आती हैं. सब उसे अपने हिसाब से इस्तेमाल करती है, फिर छोड़कर आगे बढ़ जाती है. आखिर में उसे पता पड़ता है कि एक शगुन ही है जो उससे सच्चा प्यार करती है.