Film Censor Board: क्या आप जानते हैं कि 1950 और 1960 के दौर में ऐसा भी समय था, जब हर निर्माता-निर्देशक को अपनी फिल्म बनाने के लिए सेंसर बोर्ड से इजाजत लेनी पड़ती थी. उन्हें अपनी फिल्म की तीन रील बनाकर सेंसर बोर्ड को दिखानी पड़ती थी. सेंसर बोर्ड के सदस्यों को वह रील और फिल्म का विषय अच्छा लगता, उसमें कुछ आपत्तिजनक नहीं लगता, तो वह आगे फिल्म बनाने की इजाजत देते थे. ऐसा इसलिए कि बाद में निर्माता-निर्देशक का सेंसर के साथ टकराव न हो. 1962 में शम्मी कपूर स्टारर फिल्म प्रोफेसर, 1950 के आखिरी वर्षों में गुरुदत्त प्रोड्यूस करने वाले थे और दो रील शूट करने के बाद सेंसर बोर्ड को दिखाई थी. मगर सेंसर को विषय आपत्तिजनक लगा. यह फिल्म एक प्रोफेसर के एक महिला शिक्षक और उसकी छात्र, भतीजी के प्यार में पड़ने की कहानी थी. फिल्म में किशोर कुमार और वहीदा रहमान थे. सेंसर के इंकार के बाद गुरु दत्त ने फिल्म को ठंडे बस्ते में डाल दिया.


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शुरुआत नए सिरे से
गुरु दत्त के लिए यह फिल्म उनके दोस्त और सहायक अबरार अल्वी ने लिखी थी. अबरार की युवा लेख टंडन से दोस्ती थी. कुछ साल बाद लेख टंडन ने अबरार अल्वी से स्क्रप्ट ली और इस फिल्म का निर्माण किया. उन्होंने स्क्रिप्ट में बदलाव किए और प्रोफेसर की कहानी स्कूल-कॉलेज के दायरे से बाहर निकाली. हां, उन्होंने मूल कहानी को नहीं छेड़ा और आप देखते हैं कि नकली उम्रदराज प्रोफेसर (शम्मी कपूर) पर लड़कियों के साथ उनकी बूढ़ी मगर सख्त केयरटेकर (ललिता पवार) का भी दिल आ जाता था. शम्मी कपूर चाहते थे कि यह फिल्म नासिर हुसैन या शक्ति सामंत डायरेक्टर करें. परंतु लेख टंडन ने कहा कि वह यह स्क्रिप्ट किसी दूसरे डायरेक्टर को नहीं देंगे. तब शम्मी कपूर ने शर्त रखी कि यदि तीन रील के बाद उन्हें लेख का काम पसंद नहीं आया, तो वह अपनी पसंद का निर्देशक रखेंगे. मगर प्रोड्यूसर और वितरक फिल्म की शुरुआती रील देख कर खुश हुए. फिल्म के अधिकार तत्काल बिक गए. शम्मी कपूर ने लेख टंडन को गले लगा लिया.


आवाज दे के हमें तुम बुलाओ
खैर, फिल्म बनी और बॉक्स ऑफिस पर जबर्दस्त हिट रही. शम्मी कपूर और ललिता पवार के काम को लोगों पसंद किया. फिल्म में कल्पना और बेला बोस हीरोइनें थीं. फिल्म का संगीत हिट रहा. शंकर जयकिशन को बेस्ट म्यूजिक डायरेक्टर का फिल्मफेयर अवार्ड मिला. मैं चली मैं चली, ऐ गुलबदलन, खुली पलक में झूठा गुस्सा और आवाज दे के हमें तुम बुलाओ जैसे गाने आज भी सुने जाते हैं. इस फिल्म में सलीम खान ने एक छोटी-सी भूमिका निभाई थी. 1993 में यह फिल्म दिल तेरा आशिक नाम से फिर बनी, जिसमें सलीम के बेटे सलमान खान और माधुरी दीक्षित लीड रोल में थे.


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