The Song Of Scorpions Review: बरसों लंबा रेगिस्तान पार करके आई है यह फिल्म, फिर जिंदा हुए इरफान
Irrfan Khan Film: यह इरफान खान की आखिरी फिल्म बताई जा रही है. असल में यह संभवतः उनकी अंतिम रिलीज है. इसकी मेकिंग 2015 में हुई थी. यह अंतरराष्ट्रीय फिल्म समारोहों में दिखाई गई और यूरोप में रिलीज हुई. अब भारत में आई है. इरफान के फैन्स के साथ सिनेमा से प्यार करने वालों को फिल्म देखनी चाहिए.
Irrfan Khan Last Film: कहते हैं कि फिल्मों की भी अपनी किस्मत होती है. वे बन जाती हैं पर रिलीज नहीं होतीं. कभी रिलीज होती भी है, तो लंबा अर्सा लग जाता है. ऐसा ही कुछ इरफान खान की फिल्म द सांग ऑफ स्कॉर्पियंस के साथ हुआ है. फिल्म में आदम बने इरफान, अपने गीत से बिच्छू का जहर उतारने वाली नूरन (गोलशिफतेह) से कहते हैं: ‘पूरा रेगिस्तान पार करना पड़ेगा, तेरे पास पहुंचने के लिए! वो भी करूंगा. बार-बार करूंगा.’ द सांग ऑफ स्कॉर्पियंस को भी दर्शकों तक पहुंचने के लिए बरसों लंबा रेगिस्तान पार करना पड़ा. फिल्म की शूटिंग 2015 में जैसलमेर में हुई और 2017 में स्विट्जरलैंड के लोकार्नो फिल्म फेस्टिवल में वर्ल्ड प्रीमियर हुआ था. 2019 में फिल्म यूरोप में रिलीज हुई और लोगों ने इसे खूब पसंद किया. मगर फिर कुछ कारणों से फिल्म लंबे समय तक भारत में रिलीज नहीं हो पाई. अब इरफान के गुजरने के दो साल बाद भारत में रिलीज हुई है.
अंदर भरा जहर
इरफान के फैन्स के लिए यह फिल्म मस्ट वॉच है, मगर आप सिर्फ सिनेमा से प्यार करते हैं तब भी इसे देखा जाना चाहिए. ऐसा लगेगा यह शानदार अभिनेता कहीं गया नहीं, हमारे आस-पास ही है. इरफान का अभिनय देखना हमेशा सुखद अनुभव है. द सांग ऑफ स्कॉर्पियंस में वह ऊंट व्यापारी आदम बने है, जो गांव में मंतर फूंककर बिच्छू के काटे और सांप के डसे जहर को उतारने वाली नूरन से प्यार करता है. लेकिन नूरन का एक अतीत है. जिससे वह खुद संघर्ष कर रही है. आदम उसे निकाह करने के लिए मनाता है. उसकी हर शर्त मानने को तैयार है. लेकिन नूरन उसे खुद से दूर रहने को कहती है. उसका कहना है कि मेरे अंदर जहर भरा है. क्या है यह जहरॽ क्या आदम के प्यार की जीत होगीॽ कहानी में छुपी हुई परतें क्या हैंॽ अंत आपको चौंकाता है.
ब्लैक एंड व्हाइट शेड्स
निर्देशक अनूप सिंह ने ही फिल्म का स्क्रीन प्ले लिखा है. कहानी तथा किरदारों में उन्होंने कई परतें बुनी हैं. नूरन यहां अपनी मां जुबैदा (वहीदा रहमान) से जहर उतारने का गीत सीखती है. जबकि मां उसे चेतावनी देती है कि यह काम अपनी जान पर खेलने समान है. लेकिन नूरन इस चुनौती को स्वीकार करती है, जिसमें पहले उसकी आवाज चली जाती है और जिंदगी में अंधेरा छा जाता है. वहीं आदम के किरदार में भी ब्लैक एंड व्हाइट शेड्स साफ नजर आते हैं. जो उसे लगातार रोचक बनाए रखते हैं. इरफान ने इस रोल को बहुत सहजता से पर्दे पर जिंदा किया है. वास्तव में द सांग ऑफ स्कॉर्पियंस ऐसी महिला की कहानी है, जो पाती है उसके आस-पास की दुनिया सांपों-बिच्छुओं से कम जहरीली नहीं है.
चेहरे पर दर्द की लहरें
नूरन के किरदार में ईरानी-फ्रेंच अभिनेत्री गोलशिफतेह राजस्थानी महिला के रूप में बहुत खूबसूरत लगी हैं. वह फिल्म देखने की पर्याप्त वजह हैं. उनका अभिनय सुंदर-सहज है. नूरन के रूप में उनकी बॉडी लैंग्वेज ग्रामीण राजस्थानी महिला को पर्दे पर साकार करती है और चेहरे पर छुपे हुए दर्द की लहरें लगातार तैरती हुईं अपनी तरफ खींचती हैं. इरफान के साथ उनकी जोड़ी जमी है. नूरन की मां के किरदार में वहीदा रहमान याद रहती हैं. शशांक अरोड़ा इरफान के दोस्त मुन्ना के रूप में अपनी छाप छोड़ने में कामयाब हैं. फिल्म का कैमरावर्क और बैकग्राउंड म्यूजिक कहानी तथा किरदारों को बेहतर ढंग से उभारने में मदद करते हैं. फिल्म की भाषा मुख्य रूप से राजस्थानी है.
निर्देशकः अनूप सिंह
सितारे: इरफान खान, गोलशिफतेह फरहानी, शशांक अरोड़ा, वहीदा रहमान, तिलोत्तमा शोम, कृतिका पांडे
रेटिंग***