Tigmanshu Dhulia Webseries: पॉलीटिक्स निर्देशक तिग्मांशु धूलिया का प्रिय विषय है. इसमें ही वह ज्यादातर सफल रहे हैं. हासिल तथा साहेब बीवी और गैंगस्टर सीरीज की उन्हें शोहरत दिलाने वाली फिल्में. उनका सिनेमा राजनीति से प्रेरित है. सोनी लिव पर तिग्मांशु अपने इसी पुराने मैदान में लौटे हैं. छात्र राजनीति के रंग दिखाने वाली वेब सीरीज गर्मी की कहानी में तिग्मांशु काफी हद तक अपने रंग में नजर आते हैं. हालांकि यह बात भी है कि कहीं-कही बात बनती नहीं दिखती. जिसकी वजह है सीरीज की राइटिंग और तकनीकी पक्ष. इसके बावजूद यह वेब सीरीज देखने योग्य है और खास तौर पर उत्तर भारत में इसे पसंद भी किया जाएगा.


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कहानी का तापमान
ओटीटी प्लेटफॉर्मों ने हिंसा और गाली-गलौच को सहज बना दिया है. तिग्मांशु अपनी फिल्मों में इसे आम जीवन और आम आदमी के संवादों की तरह देखते हैं. गर्मी में आप यह देख सकते हैं. उनकी कहानी का मुख्य अरविंद शुक्ला (व्योम यादव) किरदार लालगंज से 130 किलोमीटर दूर स्थित त्रिवेणीपुर के विश्वविद्यालय में पढ़ने आता है. वह गर्म मिजाज है और उसे जरा भी अपमान बर्दाश्त नहीं होता. यह बात लगातार कहानी के तापमान को बढ़ाए रखती है. यूं तो अरविंद शुक्ला अपने पिता की इच्छा के मुताबिक आईएएस बनने की तैयारी के तहत अपने कस्बे को छोड़ कर इस शहर में आता है, लेकिन देखते ही देखते वह छात्र राजनीति से मुख्य राजनीति का मोहरा बन जाता है.


बदलती परिस्थितियां
वेबसीरीज की शुरुआत धीमी गति से होती है. औसतन 50-50 की नौ कड़ियों वाली इस सीरीज में पहली तीन कड़ियों की मंद रफ्तार असहज करती है, मगर फिर आगे स्थितियां तेजी से करवट बदलती हैं. तब दर्शक इसके साथ सहज हो जाता है. छात्र राजनीति में अलग-अलग गुटों का टकराव, जाति के मसले और इसमें पुलिस की एंट्री, विश्वविद्यालय का माहौल, थोड़ा रोमांस और ज्यादा संघर्ष. यह सब मिलाकर गर्मी के की गाड़ी को समय-समय पर अलग-अलग ट्रेक पर डालते हैं. अरविंद शुक्ला की गर्लफ्रेंड सुरभि (दिशा ठाकुर) की मृत्यु के बाद कहानी का टेंपरेचर बढ़ता है और पारा फिर नीचे नहीं आता.


यह प्रयागराज है
अगर आप छात्र राजनीति से जुड़े कंटेंट के शौकीन हैं और इस जिंदगी के बहाने राजनीति और जाति व्यवस्था पर टिप्पणियां देखना चाहते हैं, तो गर्मी आपके लिए है. निर्देशक के रूप में तिग्माशु की कहानी पर जरूर पकड़ है और उन्होंने एक्टरों से भी अच्छा काम लिया है. त्रिवेणीपुर भले ही कहानी में काल्पनिक जगह है, लेकिन लोगों की इलाहाबादी बोल-चाल और ढंग साफ बताते हैं कि यह प्रयागराज है. लेकिन सीरीज को और बेहतर ढंग से शूट किया जा सकता था. इस कहानी का दूसरा सीजन आएगा और उम्मीद की जा सकती है, वह पहले से बेहतर होगा.


एक्टरों ने जमाया रंग
सीरीज में अगर कोई सबसे अधिक प्रभावित करता है, तो वह हैं व्योम यादव. उनका काम बताता है कि वह आगे जाएंगे. बिंदु सिंह बने पुतिन सिंह, गोविंद मौर्य बने अनुराग ठाकुर, इंस्पेक्टर मृत्युंजय सिंह बने जतिन गोस्वामी एक-दूसरे के किरदारों को सहयोग करते हुए आगे बढ़ते हैं. सुरभि के रूप में दिशा ठाकुर के रोल को विस्तार नहीं मिला, परंतु वह प्रभाव छोड़ती हैं. वहीं उनकी दोस्त बनी अनुष्का कौशिक के किरदार (रुचिता) का भी दूसरे सीजन में इंतजार रहेगा. बाबा वैरागी के रोल में विनीत कुमार जमे हैं. वास्तव में सीरीज की ताकत इसके कलाकार हैं. अगर आपके पास समय है और आप तिग्मांशु धूलिया के सिनेमा को पसंद करते हैं, तो सोनी लिव पर यह वेब सीरीज देख सकते हैं.


निर्देशकः तिग्मांशु धूलिया
सितारे: व्योम यादव, पुनीत सिंह, जतिन गोस्वामी, अनुराग ठाकुर, दिशा ठाकुर, विनोद कुमार, मुकेश तिवारी 
रेटिंग***


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