हिंदी सिनेमा की गोल्डन गर्ल हेलन (Helen). इनके बिना 60-70 और 80 के दशक का हर आइटम सॉन्ग अधूरा रहा. आइटम सॉन्ग, कैमियो और सपोर्टिंग रोल में नजर आने के बावजूद ये ऐसी स्टार रहीं, जिनकी फैन फॉलोविंग उस जमाने की टॉप एक्ट्रेसेस के बराबर रही. चाहनेवाले ऐसे कि ये भीड़ से बचने के लिए बुरका पहनकर घर से निकला करती थीं. हेलन का वो रुतबा था, जो हिंदी सिनेमा के इतिहास की किसी डांसर के पास नहीं था.


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बर्मा से पैदल इंडिया आई थीं हेलन
स्टार बनने के बाद जो हेलन ने हासिल किया, वो हर कोई जानता है, लेकिन यहां तक पहुंचने का जो सफर है, उससे चंद लोग ही वाफिक हैं. ये महज 3 साल की उम्र में बर्मा से भारत करीब 800 KM पैदल चलकर पहुंची थीं. भुखमरी से शरीर कंकाल बन गया था, मां का गर्भपात हो गया था और भाई जिंदा नहीं बच सका. हेलन का जन्म 21 नवंबर 1938 को रंगून, बर्मा में हुआ. पिता फ्रेंच थे और मां बर्मी. पति से अलग होने के बाद इनकी मां ने ब्रिटिश मूल के रिचर्डसन से दूसरी शादी की थी. वर्ल्ड वॉर 2 में हुई बमबारी से इनके पिता गुजर गए. जापान ने बर्मा पर कब्जा कर वहां के लोगों को देश से निकाल दिया. जान बचाते हुए इनकी गर्भवती मां तीन बच्चों के साथ भारत पलायन करने को मजबूर थीं. इन्होंने कई गांव और जंगल पार किए.



हावड़ा ब्रिज से मिला बड़ा ब्रेक
न खाना था, ना कपड़े. हेलन की गर्भवती मां का रास्ते में ही मिसकैरेज हो गया और छोटे भाई की तबीयत और बिगड़ गई. असम पहुंचते ही ब्रिटिश सैनिकों ने इन्हें अस्पताल में भर्ती करवाया. हेलन कंकाल बन चुकी थीं, वहीं भाई ने दम तोड़ दिया था. हालात सुधरने पर पहले इनका परिवार कोलकाता गया और फिर मुंबई आकर बसा. गरीबी ऐसी थी कि 13 साल की उम्र में हेलन को पढ़ाई छोड़नी पड़ी. एक फैमिली फ्रैंड और डांसर कुकू ने हेलन को डांस की ट्रेनिंग दिलवाई और पहला ब्रेक भी. 1951 की शाबिस्तान और आवारा में हेलन को कोरस में डांस करने का मौका मिला. 19 साल की हेलन को हावड़ा ब्रिज के गाने से बड़ा ब्रेक मिला. इसके बाद हेलन आगे बढ़ती चली गयीं. 2009 में इन्हें फिल्म जगत को दिए योगदान के लिए भारत सरकार ने इन्हें पद्मश्री से नवाजा था.