Muzaffarpur: बिहार के मुजफ्फरपुर जिले में कोरोना की लहर काफी घातक सिद्ध हो रही है. दिन प्रतिदिन डराने वाले आंकड़े सामने आ रहे है. बीते 24 घंटों में जिले के विभिन्न अस्पतालों में इलाजरत 15 लोगों की मौत हो गई है, जिसमें एक सीनियर एडवोकेट, एक पैथोलॉजी के डॉक्टर और नगर निगम के स्वास्थ्य प्रशाखा के प्रभारी भी शामिल हैं. 


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सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, जिले में अब तक 138 लोगों की मौत कोरोना (Corona Death) की वजह से हो गई है. हालांकि, इसमें होम आइसोलेशन और निजी अस्पतालों में हुई बड़ी संख्या में मौत का आंकड़ा शामिल नहीं है.


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दूसरी ओर अगर बीते 24 घंटों की बात करें तो जिला प्रशासन की ओर से जारी किए गए आंकड़ों के अनुसार, कोरोना पॉजिटिव के 338 नए मामले सामने आए हैं और एक्टिव केस की संख्या अब 6,000 के पार हो गई है. इसे देखते हुए जिले में नए 48 कंटेनमेंट जोन भी बनाए गए हैं. 
कुल मिलाकर अब तक सात सौ के लगभग कंटेनमेंट जोन बना दिए गए हैं. 


वहीं, जिला प्रशासन ने मौत की बढ़ती हुई संख्या को लेकर कोविड से हुई मौत की ऑडिट कराने का भी निर्णय लिया है. इसके लिए सिविल सर्जन डॉ सुरेंद्र कुमार चौधरी की अध्यक्षता में तीन सदस्यों की कमेटी भी बना दी गई है. 


इधर, कोविड से हुई मौत का अध्ययन करने वाले विशेषज्ञ बताते हैं कि 'इस बीमारी से मरने वालों में लगभग आधे लोग 45 वर्ष की उम्र तक के ही हैं.' वहीं, जिले के एक शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. अरुण शाह बताते हैं कि 'दूसरी लहर में अबतक 7 फीसदी बच्चे भी संक्रमित हो रहे हैं.'


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बीते 24 घंटों में हुई 15 लोगों की मौत में से 9 लोगों ने जिले के SKMCH में इलाज के दौरान दम तोड़ दिया. इस बात की अनौपचारिक मीडिया में खबर आई कि SKMCH में कुछ देर के लिए ऑक्सीजन की पाइप खराब हो गई थी, संभवतः इसी वजह से सभी 9 पॉजिटिव मरीजों की मौत हुई है, लेकिन जिला प्रशासन ने ऑक्सीजन की उपलब्धता का ब्योरा जारी करते हुए इस खबर को अफवाह बताया और खारिज कर दिया.


ऐसे में राहत की खबर यह है कि बीते 24 घंटों में जिले के विभिन्न अस्पतालों से कोविड-19 रिपोर्ट निगेटिव आने के बाद 334 लोगों को डिस्चार्ज भी कर दिया गया है जो अपने अपने घरों में चले गए हैं.


लेकिन अगर सरकारी आंकड़ों कि बात की जाए तो, जिले में इस महामारी से निपटने के लिए गम्भीर मरीजों के इलाज के लिए मात्र SKMCH में ही पांच वेंटिलेटर की सुविधा उपलब्ध है. जिसके भरोसे से मुजफ्फरपुर का स्वास्थ्य विभाग का सिस्टम कोरोना महामारी पर काबू करने में लगा है.


इसकी पुष्टि जिला सूचना एवं जनसंपर्क अधिकारी कमल सिंह ने की है कि पांच वेंटिलेटर सिस्टम संचालित है. SKMCH में और वेंटिलेटर बनाए जा रहे है, तो वहीं दूसरी ओर कोविड-19 जांच रिपोर्ट में एक सप्ताह से अधिक का समय भी लग रहा है. मुजफ्फरपुर के डीएम प्रणव कुमार ने भी अपनी जब टेस्ट कराया तो उनकी रिपोर्ट पांचवें दिन आई. इसके बाद स्वास्थ्य विभाग के कई अधिकारियों को कड़ी फटकार भी लगी कि आखिर यह देरी कैसे हो रही है.
लेकिन अब तक इस सिस्टम को दुरुस्त नहीं किया गया है. किसी भी आदमी की कोरोना टेस्ट रिपोर्ट एक सप्ताह से पहले नहीं आ रही है. इससे संक्रमण का खतरा काफी बढ़ गया है.


इस पूरे मामले पर जब मुजफ्फरपुर के सिविल सर्जन डॉ सुरेंद्र कुमार चौधरी से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि 'रिपोर्ट आने में विलंब हो रहा है. इसे जल्द दुरुस्त किया जाएगा.'  वहीं दूसरी ओर जहां कंटेनमेंट जोन बनाया जा रहा है उसका पूरा डिटेल भी स्वास्थ्य विभाग के पास उपलब्ध नहीं है. इसको लेकर सिविल सर्जन ने एक पत्र जारी करते हुए जिले के विभिन्न शहर से लेकर गांव तक के स्वास्थ्य विभाग के प्रभारियों को पत्र निकाला है और उसमें यह लिखा है कि कंटेनमेंट जोन की पूरी जानकारी कब घोषित हुई और आगे क्या स्थिति है इसका आदतन रिपोर्ट मुख्यालय को सौंपी जाए. लेकिन अब तक कोई ठोस रिपोर्ट नहीं मिल पाई है.  


स्वास्थ्य विभाग द्वारा जिले में कई लापरवाही बढ़ती जा रही है. इस मामले पर पूछे जाने पर जिला सूचना एवं जनसंपर्क पदाधिकारी ने कहा कि 'सुधार किया जा रहा है जल्द ही पूरा सिस्टम ठीक हो जाएगा.' लेकिन सवाल उठता है कि सिस्टम ठीक करने में स्वास्थ्य विभाग की लचर व्यवस्था आखिर कब तक कितनों की जान ले लेगी. 


(इनपुट- मनोज कुमार)