Mona Murder Case: दो साल पहले दिल्ली पुलिस में एक महिला कॉन्स्टेबल लापता हो गई थी. दिल्ली पुलिस ने उसकी बहुत तलाश की लेकिन वो नहीं मिली. लेकिन लड़की के घरवालों को एक शख्स का फोन आता था. फोन करने वाले व्यक्ति ने खुद को लड़की का पति बताया. उसने कहा कि दोनों ने भागकर शादी कर ली है और पंजाब में रह रहे हैं. उसके बाद से 2 साल गुजर गए लेकिन पुलिस लड़की और उसके तथाकथित पति का पता नहीं लगा पाई. लेकिन 2 साल बाद पुलिस ने लापता उस महिला कॉन्स्टेबल की मिस्ट्री सुलझा ही ली और जब रहस्य से पर्दा उठा तो पुलिस के पैरो तले जमीन खिसक गई.


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एक लड़की जो बनना चाहती थी IAS अधिकारी


दिल्ली पुलिस तो उसने इसलिए छोड़ दी थी क्योंकि वह हायर सब-इंस्पेक्टर सेलेक्ट हो चुकी थी. यूपीएससी में भी चांसेस थे. एक पुलिस कॉन्स्टेबल जिसे वो डैडा यानी पिता बुलाती थी, वही उसका कातिल निकला. रहस्य और दर्द से भरी ये कहानी दिल्ली की रहने वाली एक महिला कॉन्स्टेबल की है. उसका नाम मोना था. मोना दिल्ली पुलिस में कॉन्स्टेबल थी और उसका सेलेक्शन यूपी पुलिस में सब इंस्पेक्टर के पद पर हो गया था. लेकिन वो IAS या IPS बनना चाहती थी. इसलिए उसने दिल्ली पुलिस से इस्तीफा देकर मुखर्जी नगर में यूपीएससी की तैयारी शुरू कर दी थी. इस बीच अचानक वो लापता हो गई.


मोना मर्डर केस पर बड़ा खुलासा


फिर परिवार ने मोना की गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई. लेकिन 2 सालों तक उसका कोई पता नहीं चला. लेकिन पुलिस चुपचाप जांच करती रही और आखिरकार पुलिस की मेहनत रंग लाई. 2 साल बाद मोना की गुमशुदगी से पर्दा उठा और मोना की गुमशुदगी का खुलासा हुआ तो पुलिस को यकीन नहीं हुआ क्योंकि मोना लापता नहीं थी. उसका मर्डर हो चुका था. मर्डर भी किसी और ने नहीं दिल्ली पुलिस में काम कर रहे हेड कॉन्स्टेबल सुरेंद्र सिंह राणा ने किया था.


2 साल बरामद हुआ कंकाल


42 साल का सुरेंद्र सिंह राणा 12 सालों से पीसीआर में तैनात था. खुद मर्डर और दूसरे अपराधों की दर्जनों कॉल पर मौका-ए-वारदात पर गया लेकिन किसी को पता नहीं था एकतरफा प्यार में पागल होकर वो खुद कातिल बन जाएगा. पुलिस ने मोना का कंकाल 2 साल बाद बरामद कर लिया है. लेकिन मोना की हत्या का राज दफ्न रहे, इसके लिए सुरेंद्र सिंह राणा ने 2 सालों तक जो तरीके अपनाए उसे सुनकर आप दंग रह जाएंगे.


पुलिस की नौकरी छोड़ की UPSC की तैयारी


जान लें कि मोना ने 2014 में बतौर कॉन्स्टेबल दिल्ली पुलिस ज्वाइन की थी. सुरेंद्र सिंह 2012 में दिल्ली पुलिस में भर्ती हुआ था. दोनों ही पीसीआर में तैनात थे. वहीं से सुरेंद्र और मोना की मुलाकात हुई. मोना, सुरेंद्र को डैडा यानी पिता बुलाती थी और सुरेंद्र भी मोना को बेटा बोलता था. लेकिन मोना को पता नहीं था कि सुरेंद्र राणा उस पर बुरी नजर रखने लगा था. इसी बीच मोना दिल्ली पुलिस की नौकरी छोड़कर मुखर्जी नगर में पीजी में रहकर यूपीएससी की तैयारी करने लगी. सुरेंद्र उसे तंग करने लगा. उसने अपनी नाजायज मांग भी मोना के सामने रख दी. लेकिन मोना ने उसकी मांगे मानने से इनकार कर दिया. इस बात को लेकर 8 सितंबर 2021 को दोनों के बीच तीखी बहस हुई. सुरेंद्र राणा मोना को बुराड़ी पुश्ता ले गया, जहां एक सुनसान जगह पर उसने मोना का गला घोंट दिया और बाद में उसे पास के नाले में डुबो दिया. शव ऊपर न आए इसके लिए उसने लाश के ऊपर पत्थर रख दिया.


सुरेंद्र ने रचा चक्रव्यूह


मोना की हत्या करने के बाद सुरेंद्र सिंह राणा ने अपने गुनाह को छिपाने के लिए 2 सालों तक ऐसा चक्रव्यूह रचा जिसमें पुलिस भी फंसकर रह गई. मोना की हत्या करने के बाद सुरेंद्र ने उसके घरवालों को बताया कि वो कहीं लापता हो गई है. मोना के घरवालों के साथ मिलकर सुरेंद्र सिंह उसे तलाश करने का ड्रामा करता रहा. कई बार वो मोना के घरवालों के साथ वो पुलिस थाने भी गया.


सुरेंद्र की सबसे बड़ी चाल


मोना को जिंदा साबित करने के लिए सुरेंद्र राणा ने जो सबसे बड़ी चाल चली उसे सुनकर पुलिस के होश उड़ गए. पुलिस और मोना के घरवालों  को बरगलाने के लिए सुरेंद्र राणा ने अपने साले का इस्तेमाल किया. सुरेंद्र राणा का साला राविन मोना का पति बनकर मोना के घरवालों को फोन किया करता था. राविन खुद को मोना का पति अरविंद बताता था. उसने अरविंद बनकर मोना के घरवालों को 5 बार फोन किया. राविन ने बताया कि दोनों ने शादी कर ली है और वो दोनों बहुत खुश हैं. पुलिस को धोखा देने के लिए राविन एक कॉल गर्ल के साथ पंजाब, हरियाणा, देहरादून, ऋषिकेश और मसूरी गया. वहां से वो मोना के घर फोन करके कहता था कि मोना उसके साथ है. वो जानबूझकर मोना से जुड़े कागजात की फोटोकॉपी होटल में गिरा देता था. पुलिस फोन को ट्रेस करके जब होटल पहुंचती थी तो होटल वाले पुष्टि कर देते थे कि उनके यहां लड़की आई थी.


इससे पुलिस को भी लगता था कि पीड़िता खुद ही अपने मां-बाप के पास जाना नहीं चाहती. यही नहीं सुरेंद्र ने मोना को जिंदा दिखाने के लिए किसी और लड़की को कोरोना वैक्सीन लगवाकर मोना का फर्जी कोरोना वैक्सीन सर्टिफिकेट भी बनवा दिया. वो मोना के बैंक अकाउंट से लेनदेन भी करता था ताकि लगे कि वो जिंदा है. सुरेंद्र सिंह मोना के सिमकार्ड का भी इस्तेमाल करता रहा. आरोपी सुरेश के पास मोना के कई ऑडियो थे जिसे ऑडिट कर वो मोना के साथ अपनी बातचीत परिवार को भेज देता था जिससे मोना के घरवालों को लगे की मोना जानबूझकर नहीं आ रही है.


लेकिन वो कहते हैं ना की कातिल कितना भी शातिर क्यों न हो कोई न कोई गलती कर ही बैठता है. सुरेंद्र सिंह राणा ने भी एक छोटी सी गलती कर दी. पुलिस ने उस मोबाइल नंबर की जांच की जिससे सुरेंद्र का साला राविन अरविंद बनकर फोन करता था. जांच में पता चला कि ये नंबर पवन नाम के शख्स का है जो कि फर्जी नाम-पता निकला. लेकिन फोन नंबर पर डीपी राजपाल नाम के शख्स की लगी थी. बस फिर क्या था पुलिस ने राजपाल नाम के शख्स की तलाश शुरू कर दी. बहुत जल्द राजपाल का पता चल गया उसने पूछताछ में खुद को राविन का दोस्त बताया और उसके सारे राज खुद-ब-खुद खुलते गए.