Chhattisgarh Crime News: हाल के वर्षों में बैंक ट्रांजेक्शन में धोखाधड़ी, फर्जी दस्तावेजों के जरिए गबन और दूसरे तमाम तरह के वित्तीय घोटालों के कई मामले सामने आए हैं. इनमें छत्तीसगढ़ में हाल ही में हुई एक वारदात अब तक दर्ज की गई सबसे दुस्साहसिक योजनाओं में से एक है. किसी फिल्म की सीन की तरह, अपराधियों ने भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) की फर्जी शाखा बनाकर बड़े पैमाने पर बैंकिंग धोखाधड़ी की साजिश रची और उसे अंजाम दिया. 


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अवैध ज्वाइनिंग, फर्जी ट्रेनिंग सेशन, जॉब स्कैम, लेनदेन में धोखाधड़ी


इस फर्जी बैंक के घोटाले में अवैध नियुक्तियां, फर्जी प्रशिक्षण सत्र और बेरोजगार व्यक्तियों और स्थानीय ग्रामीणों दोनों को ठगने के लिए विस्तृत व्यवस्था शामिल थी. एनडीटीवी की रिपोर्ट के मुताबिक, छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर से लगभग 250 किलोमीटर दूर, शक्ति जिले के छपोरा नामक एक शांत गांव में छह अनजान लोगों को देश के सबसे बड़े बैंक स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (एसबीआई) में वैध नौकरी के लिए भर्ती किया गया था.


10 दिन पहले खुली फर्जी शाखा में दिखीं असली बैंक की सभी खूबियां


10 दिन पहले ही खुली इस शाखा में असली बैंक की सभी खूबियां मौजूद थीं. इनमें नया फर्नीचर, पेशेवर कागजात और काम करने वाले बैंक काउंटर वगैरह दिख रहे थे. चल रहे घोटाले से अनजान ग्रामीणों ने खाते खोलने और लेन-देन करने के लिए "बैंक" जाना शुरू कर दिया. नए नियुक्त कर्मचारी भी एक प्रतिष्ठित बैंक में नौकरी पाकर रोमांचित थे. 


सब कुछ सामान्य लग रहा था, लेकिन अचानक सब बदल गया. पड़ोस की डबरा शाखा के मैनेजर द्वारा संदेह जताए जाने के बाद 27 सितंबर को पुलिस और एसबीआई के आला अधिकारी पूछताछ के लिए बैंक में आए. पता चला कि छपोरा में "बैंक की ब्रांच" एक धोखाधड़ी थी और वहां दी गई नियुक्तियां फर्जी थीं.


छपोरा फर्जी बैंक मामले में पुलिस ने की चार आरोपियों की पहचान


वरिष्ठ पुलिस अधिकारी राजेश पटेल ने कहा, "डबरा शाखा के प्रबंधक ने हमें छपोरा में चल रहे एक फर्जी बैंक के बारे में अपने संदेह से अवगत कराया. जांच करने पर, यह पुष्टि हुई कि बैंक फर्जी था और कई कर्मचारियों को फर्जी दस्तावेजों के साथ नियुक्त किया गया था." उन्होंने कहा कि अब तक घोटाले में शामिल चार लोगों की पहचान की गई है. इनमें रेखा साहू, मंदिर दास और पंकज शामिल हैं, जिन्होंने खुद को फर्जी एसबीआई शाखा का प्रबंधक बताया था. सभी आरोपी आपस में जुड़े हुए हैं. 


बैंक में कई पदों पर तैनात कर्मचारियों को दिए गए थे ऑफर लेटर


एसबीआई की फर्जी शाखा ने असली दिखने वाले ऑफर लेटर देकर मैनेजर, मार्केटिंग ऑफिसर, कैशियर और कंप्यूटर ऑपरेटर जैसे पदों पर काम करने वाले कर्मचारियों को नियुक्त किया था. जालसाजों ने सभी नई भर्ती पाने वाले कर्मचारियों को प्रशिक्षण भी दिया. हालांकि, इन नौकरियों के लिए कीमत चुकानी पड़ती थी. उन सभी कर्मचारियों को अपनी नौकरी सुरक्षित करने के लिए 2 लाख से 6 लाख रुपये तक देने पड़े थे. बैंक ब्रांच घोटाले के पीछे के मास्टरमाइंड ने बेरोजगारों से बहुत ज्यादा फीस मांगी थी और बदले में उन्हें आकर्षक सरकारी नौकरी दिलाने का वादा किया था. 


फर्जी बैंक ब्रांच का ऐसे खुला राज, साइनबोर्ड पर नहीं लिखा था कोड 


स्थानीय ग्रामीण अजय कुमार अग्रवाल ने छपोरा में एसबीआई कियोस्क के लिए आवेदन किया था. जब उन्हें पता चला कि रातों-रात अचानक एसबीआई की शाखा खुल गई है, तो उन्हें संदेह हुआ. उनकी निकटतम वैध शाखा डबरा में थी और उन्हें विश्वास नहीं हो रहा था कि बिना सूचना के कोई नई शाखा खुल सकती है. पूछताछ करने पर बैंक के कर्मचारी संतोषजनक उत्तर देने में विफल रहे और साइनबोर्ड पर शाखा का कोई कोड नहीं लिखा था. अजय के संदेह और डबरा शाखा प्रबंधक को दी गई रिपोर्ट से इस जटिल घोटाले का पर्दाफाश हुआ.


किराए के कैंपस में एसबीआई की फर्जी शाखा, बायोमेट्रिक्स से अटेंडेंस 


फर्जी एसबीआई शाखा गांव के निवासी तोष चंद्र के किराए के कैंपस में खोली गई थी. इस जगह का किराया 7,000 रुपए प्रति माह था. जालसाज ने बैंक को वैध दिखाने के लिए उचित फर्नीचर और साइनेज की भी व्यवस्था की थी. उनके मुख्य लक्ष्य कोरबा, बालोद, कबीरधाम और शक्ति सहित विभिन्न जिलों के बेरोजगार व्यक्ति थे. बैंक में कर्मचारी के रूप में काम करने के दावे के साथ ज्योति यादव ने कहा, "मैंने अपने दस्तावेज जमा किए, बायोमेट्रिक्स पूरा किया और उन्होंने मुझे बताया कि मेरी जॉइनिंग कंफर्म हो गई है. मुझे 30,000 रुपए का वेतन देने का वादा किया गया था." 


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फर्जी बैंक चलता रहता, तो ग्रामीणों से हो सकती थी करोड़ों की ठगी


दूसरी पीड़ित संगीता कंवर ने कहा, "मुझसे 5 लाख रुपए मांगे गए, लेकिन मैंने उनसे कहा कि मैं इतना नहीं दे सकती. आखिरकार हम 2.5 लाख रुपए पर राजी हुए. मुझे 30-35,000 रुपए वेतन देने का वादा किया गया था." स्थानीय दुकान मालिक योगेश साहू ने कहा, "कई ग्रामीण नई शाखा को लेकर उत्साहित थे और बैंक के पूरी तरह चालू हो जाने के बाद उन्होंने लोन लेने पर भी विचार किया था." ग्रामीण राम कुमार चंद्र ने कहा, "अगर फर्जी बैंक चलता रहता, तो कई लोगों ने पैसे जमा कर दिए होते और करोड़ों की ठगी हो सकती थी."


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आर्थिक नुकसान और कानूनी परेशानियों से जूझ रहे बेरोजगार पीड़ित


स्टेट बैंक ऑफ इंडिया की फर्जी शाखा का पर्दाफाश होने के बाद बेरोजगार पीड़ितों को न केवल आर्थिक नुकसान का सामना करना पड़ रहा है, बल्कि कानूनी परेशानियों का भी सामना करना पड़ रहा है. उनमें से कई ने फर्जी नियुक्तियों के लिए गहने गिरवी रख दिए या कर्ज ले लिया था. अब वे सभी इसके बुरे असर से जूझ रहे हैं. उनमें से कई पीड़ितों ने पुलिस के सामने अपनी शिकायत दर्ज कराई है. पुलिस ने मामले की जांच के लिए टीम का गठन किया है.


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