DNA: नकली नोट वाला मदरसा.. मदरसे में टकसाल, यूपी पुलिस ने किया पर्दाफाश
यूपी के एक मदरसे में इतने बड़े पैमाने पर नकली नोट छापे जा रहे थे, और मदरसे में किसी को पता नहीं था, इस बयान पर सुरक्षा एजेंसियों को शक है। यही वजह है कि IB की टीम, मदरसे के लोगों से पूछताछ कर रही हैं. इसके वो इस पूरे नेक्सस को पकड़ना चाहती है.
पाकिस्तान, भारत में दो तरह के आतंकवाद फैलाता है. पहला है सैन्य आतंकवाद यानी अपने पालतू आतंकियों की मदद से हमले करवाना और दूसरा है आर्थिक आतंकवाद, यानी नकली भारतीय नोट बनाकर, भारत को आर्थिक रूप से कमजोर करना है. लेकिन अफसोस, भारत में आर्थिक आतंकवाद फैलाने वाली, नई पीढ़ी तैयार हो गई है. ये पीढ़ी भारत में ही रहती है. ये भारत का ही खाती है और भारत को ही आर्थिक रूप से कमजोर बना रही है.
असल में आर्थिक आतंकवाद का एक ऐसा ही सेंटर उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में चल रहा था. आर्थिक आतंकवाद का ये सेंटर, एक मदरसे में चल रहा था. जिस मदरसे में ईमान की शिक्षा देने की बात कही जाती है, उसी मदरसे के दूसरी मंजिल पर बेईमानी का धंधा चल रहा था. यूपी पुलिस को पिछले कई दिनों से बाजार में नकली भारतीय नोटों की शिकायतें मिलीं. खुफिया टीम ने जांच की तो पता चला कि जामिया हबीबिया नाम के एक मदरसे में नकली नोटों की टकसाल खुली हुई है. इस टकसाल का मुखिया एक मौलवी है. मौलवी के तीन चेले 100 और 500 के नकली भारतीय नोट छाप रहे थे.
ये केवल नाम से ही मदरसा है . काम से तो ये नकली नोटों की टकसाल है. किसी तरह की गलतफहमी मत पालिएगा. ये मत सोचिएगा कि यहां ईमान की शिक्षा मिलती है. सच तो ये है कि यहां पर बेईमानी का धंधा चल रहा था. सफेद दीवारों से घिरे इस मदरसे में नकली भारतीय नोट छापने का काला कारोबार चलाया जा रहा था.
पुलिस ने जब यहां छापेमारी की, तो 100 और 500 के बहुत सारे नोट मिले. पूछताछ में पता चला कि असली दिखने वाले ये नोट....मेड इन मदरसा हैं. 15 हजार रु. के असली नोटों के बदले. 45 हजार रुपये के नकली नोट इसी मदरसे से मिलते थे. वो भी फुल क्वालिटी चेक के साथ. दीपक भूकर, डीसीपी, प्रयागराज ने बताया कि 15 हजार में 45 हजार देते थे. पानी की बोतल खरीदकर क्वालिटी चेक करवाते थे.
मेड इन मदरसा नोटों को देखकर पुलिस भी परेशान हो गई. ये नोट इतने असली दिखते थे, कि इनकी पहचान करना बहुत मुश्किल था. लेकिन पुलिस ने जब सख्ती की पता चला की मदरसे का मौलवी इस खेल का मास्टरमाइंड था. मोहम्मद तफसीरुल, जो मदरसे में मौलवी था. और इसकी ही देखरेख में Made in Madarsa नकली नोट छापे जा रहे थे. तफसीरुल ने ही मदरसे का एक कमरा, नकली नोट छापने की फैक्ट्री लगाने के लिए दिया था.
दूसरा वाले नाम है जाहिर खान, ये आदमी मदरसे में ही रहता था. कहने के लिए जाहिर खान, तफसीरुल का दोस्त था, लेकिन असल नकली नोट छापने की सारी तकनीकि जाहिर खान के पास थी. इन दोनों के अलावा दो और आरोपियों को पकड़ा है. उन दोनों काम था मार्केट में नकली नोट खरीदने वाले ग्राहक तलाशना. (मो गुरफान,संवाददाता,जी मीडिया)