Mukhtar Ansari Munna Bajrangi: मुख्तार अंसारी की मौत के बाद उससे जुड़े किस्से और अनसुनी कहानियों का सिलसिला शुरू हो गया है. मुख्तार की जिंदगी में बहुत सारे किरदार रहे. लेकिन एक किरदार उसके जिंदा रहने से लेकर मौत तक साथ बना रहा. उस किरदार  का नाम है- मुन्ना बजंरगी. 
मुख्तार अंसारी और मुन्ना बंजरगी. नाम दो लेकिन काम एक. दोनों का एक ही काम- अपनी सत्ता चलाना. अपनी धमक से अपने विरोधियों की जान आफत में डालना. जो विरोध करे उसे धरती से उठा देना. जो बात मान जाए उस पर रहम कर देना. दोस्ती ऐसी कि जान जोखिम में आ जाए तो कोई गम नहीं. बस दुश्मन बचकर नहीं जाना चाहिए. मुख्तार और मुन्ना दोनों एक दूसरे के पूरक थे. तभी तो मुख्तार ने एक बार मुन्ना की जान बचाने के लिए अपनी सारी जान लगा दी थी.


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एक ओर जहां मुख्तार को सुपुर्दे खाक करने की तैयारी चल रही है वहीं मुख्तार से जुड़े किस्सों को भी पढ़ा जा रहा है.


आइए जानें मुख्तार के 'भाईजान' बनने की कहानी
मुन्ना बजरंगी का मुख्तार प्रेम ऐसे ही नहीं बना था. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक एक मामले में मुन्ना को गोली लग गई. ‌इसकी सूचना जैसे ही मुख्तार अंसारी को हुई मुन्ना की जान बचाने के लिए अंसारी ने जी जान लगा दिया. जब मुन्ना ठीक हुए तो मुख्तार के प्रति उनका प्रेम और बढ़ गया. तभी से मुख्तार मुन्ना के भाईजान हो गए.


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मुख्तार को मिला मुन्‍ना बजरंगी का साथ
वहीं दूसरी तरफ लोगों का कहना है कि मुख्तार ने मुन्ना की जान अपने फायदे के लिए ही बचाया था. मुख्तार अंसारी ने अपने को मज़बूत रखने के लिए मुन्ना बजरंगी को आश्रय दिया. उन दिनों मुन्ना जुर्म की दुनिया में कदम रखकर खुद को आगे बढ़ा रहा था. मुख्तार से दोस्ती होने के बाद धीरे-धीरे छोटे-छोटे अपराध करने वाला 'मुन्ना' बड़ा माफिया डॉन बन गया था. मुन्ना बजरंगी की कहानी भी अपराधों से पटी पड़ी है.


मुख्तार के कहने पर कृष्णानंद राय की हत्या
तमाम मीडिया रिपोर्ट में मुन्ना और मुख्तार के बारे में लिखा गया है, इस मामले में दोनों की तरफ से कोई आधिकारिक बयान सामने नहीं है. लोग उस दौर और घटी घटनाओं के आधार पर दोनों के रिश्तों पर कयास लगाते हैं. उसी से जुड़ा एक घटना और भी है, जिससे कहा जाता है कि मुन्ना और मुख्तार के बीच अच्छी दोस्ती रही.  29 नवंबर, 2005 को मुख्तार अंसारी के कहने पर मुन्ना बजरंगी ने भाजपा विधायक कृष्णानंद राय को दिन दहाड़े मौत की नींद सुला दिया.  इस हत्याकांड ने सूबे के सियासी हलकों में हलचल मचा दी. हर कोई मुन्ना बजरंगी के नाम से खौफ खाने लगा. इस हत्या को अंजाम देने के बाद वह मोस्ट वॉन्टेड बन गया था.


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मुन्ना बजंरगी की मौत
29 अक्टूबर 2009 को दिल्ली पुलिस ने मुन्ना को मुंबई के मलाड इलाके में गिरफ्तार कर लिया था.  9 जुलाई 2018 को बागपत जेल में बंद मुन्ना की हत्या कर दी गई. उनके शरीर पर 12 गोलियों के निशान पाए गए थे. हत्या के मामले में पश्चिमी उत्तर प्रदेश के सरगना सुनील राठी और उसके गिरोह का हाथ बताया गया था.