मुंबई: शिवसेना सांसद संजय राउत एक बयान ने सियासी गलियारे में सनसनी फैला दी है. राउत ने बुधवार को एक कार्यक्रम के दौरान दावा किया कि पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी, अंडरवर्ल्ड डॉन करीम लाला से मिलती थीं. विवाद बढ़ने पर संजय राउत ने माफी मांग ली है. आइए जानते हैं कि करीम लाला के बारे में जिसको लेकर महाराष्ट्र से लेकर दिल्ली की सियासत में बवाल मचा हुआ है. 


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नाम:  क़रीम लाला (डॉन के तौर पर इसी नाम से जाना जाता था) 
पूरा नाम- अब्दुल क़रीम  शेर खान
जन्म स्थान- अफगानिस्तान


करीम लाला का जन्म 1911 में अफगानिस्तान में हुआ था. वह पश्तून था. वो 21 साल की उम्र में यानी 1930 में काम की तलाश में पेशवर से मुंबई आया था. मुंबई आकर उसने गुजारे के लिए छोटे मोटे काम किए लेकिन बचपन से ही उसमें ढेर सारी दौलत कमाने की चाहत थी, इसलिए जल्दी ही उसके क़दम जुर्म की दुनिया में पड़ गए. उसने ग्रांट रोड स्टेशन के पास एक मकान किराए पर लिया और उसमें सोशल क्लब के नाम से जुए  का अड्डा शुरू कर दिया. जुए का उसका गैरकानूनी कारोबार चल निकला. कहते हैं बड़े-बड़े सेठ भी उसके अड्डे पर दांव लगाने आते थे. 


लेकिन करीम लाला की दौलत की भूख और बढ़ गई. मुंबई बंदरगाह पर सोने चांदी और हीरो की तस्करी शुरू कर दी. इस धंधे से उसकी बेशुमार कमाई होने लगी. जुर्म की दुनिया में अपनी बादशाहत जमाने वाला करीम लाला उन दिनों अकेला शख्स नहीं था. हाजी मस्तान और वरदराजन मुदलियार जैसे डॉन भी अपनी ताक़त आजमा रहे थे. आखिरकार तीनों ने समझौता किया और अपने अपने इलाके बांट लिए ताकि आपस में गैंग वार ना हो. 


1960 के दशक से लेकर 1980 तक मुंबई में तीन बड़े माफियाओं यानी हाजी मस्तान, करीम लाला और वरदराजन मुदलियार का सिक्का चलता था. करीम लाला पठान गैंग चलाता था और ज्यादातर उसका दबदबा दक्षिण मुंबई में मुस्लिम बहुल इलाकों डोंगरी, नागपाडा, भिंडी बाजार और मोहम्मद अली रोड में था. पठान गैंग का मुख्य धंधा सट्टा, ज़मीन हथियाना , हफ्ता वसूली , अपहरण, प्रोटेक्शन, सुपारी लेकर हत्या करना, जाली नोट और अवैध शराब का कारोबार था.


इसी दौरान मुंबई पुलिस के हेड कांस्टेबल इब्राहिम कासकर के दो बेटे हाजी मस्तान गैंग से जुड़ गए. इनमें से एक दाउद इब्राहिम और दूसरा शब्बीर इब्राहिम था. दाउद इब्राहिम कोई और नहीं आज का अंडरवर्ल्ड डॉन दाउद ही है. कहा जाता है कि दाउद और उसके भाई ने मिलकर करीम लाला के इलाके में तस्करी शुरू कर दी. इससे नाराज होकर करीम लाला ने दाउद को जमकर पीटा था. किसी तरह दाउद ने भागकर अपनी जान बचाई थी लेकिन दाउद ने करीम लाला के इलाके में तस्करी करने से फिर भी तौबा नहीं की. नतीजतन 1981 में करीम लाला के पठान गैंग ने दाउद के भाई शब्बीर की हत्या करवा दी. इसका बदला लेते हुए दाउद ने 1986 में करीम लाला के भाई रहीम खान की हत्या कर दी थी.


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एक ज़माने में करीम लाला का दबदबा इस कदर था कि उसकी पार्टियों और ईद समारोह में बॉलीवुड की हस्तियां भी आती थीं. बॉलीवुड की फिल्म जंजीर में प्राण ने जिस शेर खान का किरदार निभाया था, कहा जाता है कि वो किरदार करीम लाला से प्रेरित था. करीम लाला के संपर्क में राजनीति से जुड़े लोग भी थे. करीम लाला साप्ताहिक दरबार भी लगा था, जहां लोग अपनी-अपनी समस्याएं लेकर आते थे और वो अपनी ताकत और दबदबे के दम पर उनकी मदद करता था.


धीरे-धीरे दाउद और पठान गैंग के बीच दुश्मनी इस कदर बढ़ गई थी कि दाउद ने करीम लाला के भतीजे समद खान की हत्या भी करवा दी थी. इसके बाद दाउद ने पठान गैंग का सफाया कर दिया. नतीजतन अस्सी के दशक में करीम लाला की सेहत खराब होने लगी और उसने जुर्म की दुनिया से तकरीबन रिटायरमेंट ले लिया. करीम लाला की 90 साल की उम्र में 19 फरवरी 2002 को मुंबई में मौत हो गई थी.