Board Exam Preparation: अब तक कई महापुरुषों और लेखकों ने स्टूडेंट्स लाइफ और परीक्षाओं के बारें में बहुत कुछ लिखा हैं. इन सबमें अगर उनकी भावनाओं को महसूस कर, उनके लिए किसी ने महत्वपूर्ण कदम उठाया है तो वह हैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी. उन्होंने बोर्ड परीक्षाओं के दौरान होने वाले छात्रों के तनाव और बेहतर करने के सामाजिक दबाव को समझते हुए स्टूडेंट्स के लिए एक संवाद कार्यक्रम 'परीक्षा पर चर्चा' की शुरुआत की. आइए जानते हैं पीएम ने 'परीक्षा पर चर्चा 2023' में बच्चों को क्या जरूरी टिप्स दिए हैं...


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टाइम मैनेजमेंट है जरूरी
पीएम ने स्टूडेंट्स से कहा टाइम मैनेजमेंट के लिए एक बहुत ही शानदार बात कही, जो न सिर्फ छात्र बल्कि हर व्यक्ति ध्यान में रखें तो कभी काम ही न टले. उन्होंने कहा "केवल परीक्षा के लिए ही नहीं हमें अपने जीवन में हर स्तर पर टाइम मैनेजमेंट को लेकर जागरूक रहना चाहिए. आप ऐसा स्लैब बनाइए कि जो विषय आपको कम पसंद है उसे पहले समय दीजिए, उसके बाद जो विषय आपको पसंद है, उसे समय दीजिए."


स्मार्टनेस के साथ करें हार्डवर्क
पीएम मोदी ने छात्रों से कहा कि पहले हमें भी जिस चीज की जरूरत है उस पर फोकस करना चाहिए. अगर कुछ अचीव करना है तो स्पेसिफिक एरिया पर फोकस करना होगा... तभी रिजल्ट मिलेगा. हम सभी को 'स्मार्टली हार्डवर्क' करना चाहिए, तभी बेहतर परिणाम हासिल हो. 


लोगों को आलोचना करने दें 
पीएम मोदी ने कहा, "कभी-कभी आलोचना करने वाला कौन है ये देखना महत्वपूर्ण होता है. जो अपना है वो कहता है तो आप उसे सकारात्मक लेते हैं, लेकिन जो आपको पसंद नहीं है वो कहता है तो आपको गुस्सा आता है. आलोचना करने वाले आदतन ऐसा करते रहते हैं तो उसे एक बक्से में डाल दीजिए, क्योंकि उनका इरादा कुछ और है."


बढ़ता स्क्रीन-टाइम चिंता का विषय 
पीएम ने कहा हमारे देश में अब गैजेट-उपयोगकर्ता के लिए औसतन 6 घंटे का स्क्रीन-टाइम है. यह गंभीर चिंता की बात है. इससे लोगों की क्रिएटिविटी पर विपरीत प्रभाव पड़ रहा है. यह निश्चित तौर पर वह समय और एनर्जी है, जो लोग अर्थहीन और उत्पादकता के बिना निकाल देते हैं. 


सामाजिक प्रतिष्ठा के लिए उम्मीद करना खतरनाक
इसके साथ ही पीएम मोदी ने स्टूडेंट्स के अभिभावकों को भी महत्वपूर्ण संदेश दिया, जिसके बारे में यकीनन लोगों को सोचना जरूरी है, क्योंकि आपकी सामाजिक प्रतिष्ठा के चक्कर में बच्चे तनाव में आ जाते हैं. पीएम ने कहा, "परिवारों को अपने बच्चों से उम्मीदें होना स्वाभाविक है, लेकिन अगर यह सिर्फ 'सामाजिक स्थिति' बनाए रखने के लिए है, तो यह खतरनाक हो जाता है."