Pavbhaji History:  पाव भाजी की पहचान पहले मायानगरी मुंबई से होती है. हर गली नुक्कड़ पर आप पाव भाजी की दुकान को देख सकते हैं. लेकिन अब देश के अलग अलग हिस्सों में लोग चाव से खा अपनी भूख मिटाते हैं लेकिन क्या आपको इसके इतिहास के बारे में जानकारी है. अगर नहीं तो परेशान होने की जरूरत नहीं. यहां विस्तार से बताएंगे कि आखिर कैसे पाव भाजी अब हर भारतीय घरों में अपनी पहचान बना चुका है.


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अमेरिकी सिविल वार का असर


खान पान के जानकारों के मुताबिक 19वीं सदी के सातवें दशक में जब अमेरिका में सिविल वार छिड़ा तो उसका असर मुंबई में दिखाई देने लगा. मुंबई में कॉटन मिल में काम करने वालों के कामगारों पर दबाव बढ़ा तो उन्हें लंच टाइम के लिए पर्याप्त समय मिलना मुश्किल होने लगा. ऐसी सूरत में स्ट्रीट वेंडर्स ने एक ऐसे डिश पर सोचने का काम शुरू किया जो ना बनाने में आसान हो बल्कि कम पगार पाने वालों की भूख को कम कीमत पर शांत कर सके. इसे बनाने के लिए स्ट्रीट वेंडर्स ने बची हुई सब्जियों को टमाटर, आलू और करी पाउडर के साथ मिक्स कर पाव के साथ बेचना शुरू कर दिया. इसकी सबसे बड़ी खासियत यह है कि इसे बनाना और खाना दोनों आसान है.


पुर्तगाल से भी कनेक्शन


कुछ लोगों का मानना है कि इस भारतीय डिश का संबंध पुर्तगाल से भी है. पुर्तगाल में लोग अलग अलग सब्जियों को मिलाकर पाव के साथ पेश करते थे. पुर्तगाल में ब्रेड को Pao यावी पाव कहा जाता है. अगर हिंदी भाषा में देखें तो इसे एक चौथाई कहा जाता है. टेक्सटाइल मिल के मजदूरों के लिए बनाया जाने वाला यह व्यंजन तेजी से लोकप्रिय होता गया. पिछले 160 साल में इसके रेसिपी में समय समय पर बदलाव नजर आया. अब पाव भाजी को बटर, चीज,गार्लिक तड़के साथ पेश किया जाता है, कुछ जगहों पर पाव भाजी में प्याज और आलू का भी इस्तेमाल नहीं किया जाता है.पाव भाजी अब अलग फ्लेवर में भी मिलता है, पहले इसकी पहचान स्ट्रीट फूड के तौर पर होती थी लेकिन अब इसने अपनी धमक रेस्टोरेंट और होटलों में भी दिखा दी है. इसे दक्षिण एशिया का लोकप्रिय स्ट्रीट फूड कहा जाता है.