नई दिल्ली. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने का एलान किया है. प्रधानमंत्री के इस फैसले का जहां किसानों ने स्वागत किया है. वहीं, राजनीतिक एक्सपर्ट्स ने इसे चुनावी फायदा बताया है. इधर, किसान नेता राकेश टिकैत ने भी कह दिया है कि जब तक कृषि कानूनों को संसद में निरस्त नहीं किया जाता है, तब -तक वो आंदोलन जारी रखेंगे. ऐसे में आइए जानते हैं सरकार कृषि कानूनों को कैसे निरस्त करेगी और इसका प्रोसेस क्या होगा? 


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पहला तरीका
जी मीडिया से बात करते हुए संविधान एक्सपर्ट विराग गुप्ता ने बताया कि कृषि कानूनों को उसी तरह वापस लिया जाएगा, जिस तरह उसे लागू किया गया था. यानि कि सबसे पहले सरकार संसद के दोनों सदनों में इस संबंध में बिल पेश करेगी. इसके बाद संसद के दोनों सदनों में इस कानून को बहुमत के साथ पारित किया जाएगा. वहीं, जब बिल पारित हो जाएगा तो उसे राष्ट्रपति के पास भेजा जाएगा. फिर राष्ट्रपति के मुहर के बाद कानून रद्द करने का नोटिस जारी किया जाएगा. ऐसे में इस पूरी प्रक्रिया में 3 दिन का समय लगेगा.


ऐसे में माना जा रहा है कि 29 नवंबर  से 23 दिसंबर तक चलने वाले शीतकालीन सत्र के पहले ही दिन इस कानून को निरस्त करने के लिए बिला पेश किया जाएगा. इसके बाद वोटिंग कराई जाएगी और फिर राष्ट्रपति के पास भेजा जाएगा और राष्ट्रपति की तरफ से कानून को रद्द करने का नोटिस जारी कर दिया जाएगा.


दूसरा तरीका
विराग गुप्ता के मुताबिक कृषि कानूनों को सरकार सुप्रीम कोर्ट के जरिए भी वापस ले सकती है. इसके लिए अगर सरकार चाहे तो वैकल्पिक तौर पर सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा देकर भी इन कानूनों को रद्द करने के लिए अपनी सहमति दे सकती है. इसके बाद सुप्रीम कोर्ट न्यायिक आदेश कानून को रद्द कर सकता है. हालांकि इस बात की उम्मीद बहुत कम है. मोदी सरकार चाहेगी कि कृषि कानून को संसद में ही वापस लिया जाए.


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