IITK Alumnus Ashish Karandikar: शिक्षा अंधकार से उजाले की ओर लेकर जाती हैं और एक शिक्षित व्यक्ति अपने साथ-साथ पूरे समाज का हित करने की क्षमता रखता है. कुछ लोग शिक्षा के अधिकार को बहुत ज्यादा महत्वपूर्ण नहीं समझते, लेकिन कुछ लोग अपने शिक्षित होने के प्रति आजीवन उन लोगों और संस्थानों के प्रति आधारी रहते हैं, जहां वह अपना छात्र जीवन बिताते हैं.


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ऐसे लोग किसी एक समाज ही नहीं, बल्कि पूरे देश के लिए एक उदाहरण पेश करते हैं. आज हम आपके सामने एक ऐसी ही मिसाल लेकर आए हैं, जहां भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान कानपुर के एक पूर्व छात्र ने आईआईटी कानपुर को करोड़ों रुपये दान किए हैं. 


संस्थान को दान किए 1.6 करोड़
हम बात कर रहे हैं अमेरिका में रहने वाले आशीष करंदीकर की. आशीष ने नवाचार, उत्कृष्टता और अकादमिक विकास को बढ़ावा देने के उद्देश्य से तीन संपन्न कार्यक्रमों की स्थापना के लिए अपने अल्मा मेटर को 200,000 अमरीकी डालर का दान दिया है, जो भारतीय रुपये 1,60,00,000 के बराबर है. यह धनराशि आईआईटी कानपुर के इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग विभाग के लिए दी गई है. संस्थान ने एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर यह जानकारी साझा की है. 


आशीष के भाई भी हैं आईआईटी कानपुर के पूर्व छात्र
जानकारी के मुताबिक आशीष करंदीकर, आईआईटी कानपुर और आईआईटीके फाउंडेशन, यूएसए के बीच एक त्रिपक्षीय समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर करके कार्यक्रम शुरू किए गए हैं. आशीष साल 1995 बैच के इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग ग्रेजुएट हैं. करंदीकर भारत सरकार के विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के सचिव, आईआईटी कानपुर के पूर्व निदेशक और पूर्व छात्र अभय करंदीकर के भाई हैं.


आईआईटी कानपुर के निदेशक ने जताया आभार
इस अवसर पर आईआईटी कानपुर के निदेशक प्रो. एस. गणेश ने कहा, "हम इस दयालुता के लिए आशीष करंदीकर के आभारी हैं, जो उन्हें पूर्व छात्रों की एक विशिष्ट विरासत का हिस्सा बनाता है, जिन्होंने संस्थान में उदारतापूर्वक योगदान दिया है. इन संपन्न कार्यक्रमों की स्थापना से हमारे संकाय, शोधकर्ताओं और ईई विभाग के छात्रों के लिए विकास के नए रास्ते खुलेंगे, जिससे संस्थान में समृद्ध अनुसंधान एवं विकास पारिस्थितिकी तंत्र में भी योगदान मिलेगा."


शिक्षा में जीवन बदलने की शक्ति है: आशीष
आशीष करंदीकर वर्तमान में NVIDIA के वाइस प्रेसीडेंट हैं. उन्होंने ने कहा, "मैं मूल रूप से मानता हूं कि शिक्षा में जीवन बदलने की शक्ति है. इसने निश्चित रूप से मुझे बदल दिया है और आईआईटी शिक्षा ने इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग मेरा जुनून है, अभय और मैं हम दोनों, इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग विभाग और आईआईटी में योगदान करना चाहते थे और इस अवसर के लिए आभारी हैं."