Significance of the Horse Legs on Statues: आपने भारत के बड़े से बड़े योद्धाओं की गाथा सुनी होगी. यहां तक कि शहर के कई अहम चौराहों पर उनके स्टेचू लगे हुए भी देखे होंगे. जहां वे अपने घोड़े पर सवार अपना हथियार लिए हुए होते हैं. अगर आपने कभी इन योद्धाओं के स्टेच्यू को गौर से देखा होगा, तो आपने शायद एक बात गौर की होगी कि कुछ योद्धाओं के घोड़े के सामने वाले दोनों पैर ऊपर हवा में होते हैं, तो कुछ योद्धाओं के घोड़े का सामने वाला केवल एक पैर हवा में होता है. जबकि कुछ योद्धाओं के घोड़े के सामने वाले दोनों पैर नीचे जमीन पर लगे होते हैं. 


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अब क्या आप यह जानते हैं, कि आखिर ऐसा क्यों होता है. क्यों कभी घोड़ों की टांगे ऊपर, तो कभी नीचे, या फिर कभी केवल एक टांग हवा में होती है. अगर आप इसके पीछे की खास वजह के बारे में नहीं जानते, तो कोई बात नहीं. आज हम आपको इसके पीछे की खास वजह के बारे में बताएंगे.


स्टेच्यू में घोड़े की दोनों टांगें हवा में होने का यह है मतलब 
अगर आप कहीं देखते हैं कि किसी स्टेच्यू में योद्धा के घोड़े की दोनों टांगें हवा में हैं, तो आप समझ जाना की वह योद्धा रणभूमि में दुश्मन से युद्ध करते हुए वीरगति को प्राप्त हुआ था. यह एक ऐसा महान योद्धा है जिसने रणभूमि में दुश्मन से लड़ते हुए अपने प्राण त्यागे थे. 


जानें क्या है घोड़े की एक टांग हवा में और एक टांग जमीन पर होने का संदेश
अगर बात करें कि अगर किसी महान योद्धा के स्टेच्यू में उसके घोड़े की एक टांग हवा में और दूसरी टांग जमीन पर है, तो इसका क्या मतलब है. ऐसे में बता दें कि इसका मतलब है कि वह योद्धा रणभूमि में युद्ध के दौरान गंभीर रूप से घायल हो गया था और युद्ध के दौरान ही शरीर में लगे घाव के कारण ही उस योद्धा की मृत्यु हुई है. 


अगर घोड़े की चारों टांगे जमीन पर हो, तो होता है यह मतलब 
अगर किसी महान योद्धा के घोड़े की चारों टांगे जमीन पर हैं तो इसका सीधा मतलब यह है उस योद्धा की मृत्यु ना तो युद्ध भूमि में हुई है और ना ही रणभूमि में घायल होने की वजह से हुई है. बल्कि उस महान योद्धा की मृत्यु प्राकृतिक कारणों से हुई है. योद्धा ने एक सफलतम जीवन जिया है और सामान्य मृत्यु को प्राप्त हुआ है.