नई दिल्ली. नेशनल अकादमी ऑफ लीगल स्टडीज एंड रिसर्च (Nalasar) भारत का पहला  न्यूट्रल जेंडर (तीसरा वर्ग) इंस्टीट्यूट बनेगा. इसको लेकर इंस्टीट्यूट ने लिंग और यौन अल्पसंख्यकों के लिए समावेशी शिक्षा की नीति पेश की है.


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नालसर के अधिकारियों की मानें तो भारत की अधिकतर यूनिवर्सिटीज में न्यूट्रल जेंडर के नामपर हॉस्टल और वॉशरूम तक नहीं हैं. लेकिन न्यूट्रल जेंडर पॉलिसी के तहत नाल्सर इंस्टीट्यूट एलजीबीटीक्यू प्लस समुदाय के लिए हॉस्टल और कैम्पस बनाएगा. 


नालसर के कुलपति ने बताया कि इंस्टीट्यूट में हम छात्रों के आत्म-पहचान को प्रोत्साहित करेंगे, जिसमें छात्र निर्दिष्ट लिंग के माध्यम से खुद को पहचान सकेंगे. हालांकि हम छात्रों द्वारा उनकी गोपनीयता और स्वायत्तता का सम्मान करने की घोषणा को स्वीकार करेंगे और यदि आवश्यक होगा तो ऐसे छात्रों को उनके माता-पिता और अभिभावकों से भी सुरक्षित रखेंगे.


उन्होंने कहा कि संस्थान के पास पहले से ही एक अंतरिम नीति है और परिसर में समावेशी शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए एक मसौदा नीति को अंतिम रूप देने की प्रक्रिया में है. एक बार नीति तैयार हो जाएगी, इसके बाद इसे इंस्टीट्यूट के सभी विभागों से अप्रूव कराया जाएगा. 


वहीं, मीडिया रिपोर्ट की मानें तो संस्थान ने कुछ लोगों की पहचान भी कर ली है. ऐसे में उनके नाम से 'मिस' और 'मिस्टर' भी हटा दिया गया है. संस्था ने उनके डिग्री प्रमाणपत्रों पर "मिस" और "मिस्टर" जैसे लिंग अभिवादन को भी हटा दिया है. इंस्टीट्यूट के कुलपति ने बताया कि इसमें अब पुरुष / महिला छात्रावास नहीं बल्कि लिंग-तटस्थ होंगे. "हमने पहले ही लड़कियों के छात्रावास -6 के भूतल को लिंग-तटस्थ स्थान के रूप में निर्धारित किया है, जिसमें छात्रों को एलजीबीटीक्यू के सदस्यों के रूप में स्वयं की पहचान करने वाले कमरे आवंटित किए गए हैं.


इसके अलावा अकादमिक ब्लॉक के भूतल पर वॉशरूम को भी लिंग-तटस्थ वॉशरूम के रूप में नामित किया गया है. साथ ही इंस्टीट्यूटशन में ऐसी कोई पॉलिसी भी नहीं होगी, जहां पर ड्रेसिंग सेंस और हेयरस्टाइल के नाम पर छात्रों से भेदभाव हो. इसके अलावा एलजीबीटीक्यू प्लस समुदाय के छात्रों को छात्रवृत्ति भी दी जाएगी. साथ ही छात्रों में संवेदनशीलता बढ़ाने के लिए लिंग और यौन अल्पसंख्यकों पर विशेष पाठ्यक्रम भी शुरू किए जाएंगे.