Success Story: विदेश में पाया बड़ा मुकाम और एक दिन सब छोड़कर की वतन वापसी, औरों से अलग है IAS Abhishek Surana की कहानी
Success Story: जानें आईएएस अभिषेक सुराणा की सफलता की कहानी, जिन्होंने अपना सपना पूरा होने तक हार नहीं मानी और लगातार बिना रुके मेहनत करते रहे. उनकी कहानी ऐसे युवाओं के लिए एक मिसाल है, जो वेल सेटल्ड होने के बाद भी अपने देश के लिए कुछ करने का जज्बा रखते हैं.
Success Story: ज्यादातर भारतीय युवाओं का सपना होता है कि वे विदेशों में पढ़ाई करें या फिर पढ़ाई कंप्लीट होने के बाद उन्हें देश के बाहर अच्छे पैकेज पर नौकरी मिल जाए. वहीं, कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जो अपनी बेहतरीन जॉब को छोड़कर देश का कर्ज चुकाने के लिए वापस लौट आते हैं. ऐसे लोगों की फेहरिस्त में एक नाम शामिल है अभिषेक सुराणा का.
जी हां, आज हम बात कर रहे हैं आईएएस अभिषेक सुराणा (IAS Abhishek Surana) की. इनकी सफलता की कहानी (UPSC Success Story) आपके दिल को छू लेगी और आप सोचने पर मजबूर हो जाएंगे कि क्या वाकई लोग देश के लिए अपनी अच्छी खासी लाइफ छोड़कर आ सकते हैं.
राजस्थान के रहने वाले हैं अभिषेक
27 वर्षीय अभिषेक राजस्थान के भीलवाड़ा के रहने वाले हैं. उनके यूपीएससी का सफर शुरू करने की कहानी औरों से बिल्कुल अलग है. उनकी कहानी युवाओं को प्रेरित करती हैं कि जब तक कुछ बेहतर ना पा लो थमना नहीं है.
बैंकिंग करियर से चुना UPSC का रास्ता
यूपीएससी का एग्जाम क्रैक करने से पहले अभिषेक सुराणा ने आईआईटी दिल्ली से इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल की. इसके बाद सिंगापुर में बार्कलेज इन्वेस्टमेंट बैंक में एक हाई पेइंग जॉब हासिल की. इसके बाद उन्होंने लंदन में बैंक के लिए भी काम किया.
हालांकि, अभिषेक यहीं नहीं रुके उन्होंने नौकरी के बाद खुद की एक मोबाइल बेस्ड एप स्टार्ट अप कंपनी की शुरू की और चिली में काम करना शुरू किया. यहां भी उन्होंने कुछ कमी महसूस की. इसके बाद साल 2014 में अभिषेक ने एक बड़ा फैसला लिया और वतन वापसी का. इसके बाद उन्होंने सिविल सर्विस परीक्षा की तैयारी शुरू कर दी.
लगातार तीन बार हुए असफल
देश की सबसे कठिन परीक्षा यूपीएससी के लिए अभिषेक सुराणा ने मेहनत करनी शुरू कर दी. हालांकि, कड़ी मेहनत के बाद भी उन्हें अपने पहले अटेम्प्ट में उन्हें सफलता नहीं मिली. इसके बाद उन्हें अपने पहले प्रयास में भी असफलता ही हाथ लगी. तीसरे प्रयास में उन्हें सफलता तो मिली, लेकिन वे इससे नाखुश थे, क्योंकि उनकी 250 रैंक आई थी. अभिषेक की मंजिल थी आईएएस बनना. तीसरे प्रयास के बाद वे रुके नहीं और इसके लिए अभिषेक ने एक बार फिर से मेहनत की. चौथी बार में उन्होंने शानदार सफलता हासिल की और उन्हें ऑल इंडिया रैंक 10 हासिल हुई.