Success Story: पानीपत के माटी में कुछ तो है बात, हाथ गंवाने के बावजूद फौजी बना रहा फौलाद, जीते पदक
Success Story: दीपक बताते हैं कि साल 2014 में उनकी लंबाई कम थी. तब दोस्त भी उनका मजाक बनाते थे. इन सब के बीच उन्होंने कुछ करने की ठानी. दीपक बचपन से ही फौजी बनना चाहते थे. वह खेल कोटे से सेना में भर्ती भी हो गए, लेकिन वहां एक ऐसा दर्दनाक हादसा हुआ, जिसने उनकी जिंदगी ही बदल कर रख दी.
Success Story: कहते हैं मंजिल उन्हीं को मिलती है, जिनके सपनों में जान होती है. पंखों से कुछ नहीं होता, हौसलों से उड़ान होती है. इसी बात को पानीपत के लाल दीपक कुमार ने सही साबित किया है. दीपक मूल रूप से जींद के मोरखी गांव के रहने वाले हैं. इंडियन आर्मी के इस जांबाज ने ट्रेनिंग के दौरान अपने हाथ गंवा दिए, लेकिन जीत का जज्बा कभी कम ना होने दिया.
बता दें कि दीपक ने 2022 में आयोजित सर्विसेज गेम्स में 100 मीटर दौड़ में स्वर्ण और लॉन्ग जंप में रजत पदक जीता. अब दीपक 2023 में होने वाले पैरा एशियन गेम्स की तैयारियों में जी-जान से जुटे हुए हैं. आइए आपको बताते हैं जांबाज दीपक की कहानी.
आपको बता दें कि पानीपत के बसंत नगर के रहने वाले 23 वर्षीय दीपक कुमार बचपन से ही फौजी बनना चाहते थे. वह खेल कोटे से सेना में भर्ती भी हो गए, लेकिन वहां एक ऐसा दर्दनाक हादसा हुआ, जिसने उनकी जिंदगी ही बदल कर रख दी. बता दें कि बस के दरवाजे में फंसकर उनका बायां हाथ कट गया, जिसके बाद वह बेबस से आठ महीने तक बेड पर पड़े रहे.
दीपक ने ऐसे किया कम बैक
दीपक को निराशा ने घेरना शुरू कर दिया. इस बात की चिंता भी थी कि हाथ तो गया अब नौकरी भी जाएगी. नौकरी गई तो वह कभी भी पदक नहीं जीत पाएंगे, लेकिन फौज के साथियों, सीनियर अफसरों और साथी खिलाड़ियों ने उनका हौसला बढ़ाया. जिसके बाद दीपक ने अपने आत्मविश्वास के दम पर कभी हार नहीं मानी.
स्वस्थ होने के बाद उन्होंने फरवरी 2022 में आयोजित सर्विसेज गेम्स में हिस्सा लिया और 100 मीटर दौड़ में स्वर्ण जीता. वहीं, लॉन्ग जंप में रजत पदक हासिल किया. फिलहाल, दीपक इंडिया कैंप में है. वह 2023 में होने वाले पैरा एशियन गेम्स की प्रिपरेशन में जी जान से जुटे हुए हैं.
एथलेटिक्स चैंपियनशिप में 12 पदक जीते
आपको बता दें कि दीपक ने अपने कभी ना हारने वाले जज्बे और हौसले के दम पर मानो पदकों की झड़ी लगा दी है. वह राज्य व राष्ट्रीय एथलेटिक्स चैंपियनशिप में लॉन्ग जंप में 12 पदक हासिल कर चुके हैं.
बनाया जाता था दीपक का मजाक
आपको बता दें कि जब दीपक की लंबाई कम थी तो उनका मजाक भी बनाया जाता था. दीपक बताते हैं कि साल 2014 में उनकी लंबाई कम थी. तब लोगों के साथ ही दोस्त भी उनका मजाक बनाते थे. इन सब के बीच उन्होंने कुछ करने की ठानी और शिवाजी स्टेडियम पहुंच गए. जहां उनकी मुलाकात सीनियर एथलीट रविंद्र आंतिल, एथलेटिक्स कोच महीपाल गौड़, मनीष तरार व सन्नी सिंह से हुई. उन्होंने दीपक को लॉन्ग जंप करने की सलाह दी.
लगभग आठ महीने के कठिन परिश्रम और अभ्यास के बाद उन्होंने अंडर-14 टीम में जगह मिली. जहां दीपक ने अंडर-14 राज्य स्तरीय स्कूल प्रतियोगिता में सबसे बेहतर लॉन्ग जंप लगाया और स्वर्ण पदक जीता. यह कारवां यहीं नहीं रुका, इसके बाद भी उन्होंने राज्य व राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिताओं में 12 पदक जीते.
दीपक आज एक बहुत बड़ी मिसाल बन चुके हैं
आपको बता दें कि दीपक साल 2017 में खेल कोटे से आर्मी में भर्ती हुए. आर्मी के अहमदनगर आर्म्ड कोर में उनकी भर्ती हुई. जिसके बाद 5 जनवरी 2021 कि वह तारीख थी जिसमें दीपक की जिंदगी बदल दी. वह हिसार के आर्मी स्कूल की बस से अपने कमरे पर जा रहे थे. अचानक बस से उतरते वक्त दरवाजे में उनका हाथ फंसकर कट गया. हादसे ने दीपक की आशा के दीपक को भी बुझा दिया था. इसी दौरान कमांडिंग ऑफिसर एसपी साहू ने उन्हें प्रोत्साहित किया.
इसके बाद उनका चयन आर्मी स्पोर्ट्स नीरज चोपड़ा स्टेडियम पुणे में हुआ. जहां उन्होंने पैरा एशियन गेम और पैरालंपिक में लॉन्ग जंप में स्वर्ण पदक जीतने की ठानी. आपको बता दें कि आर्मी कोच सूबेदार नवीन की निगरानी में इस समय वह प्रतिदिन सुबह-शाम तीन-तीन घंटे अभ्यास कर रहे हैं. दीपक नए कीर्तिमान बनाने की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं. उनके प्रैक्टिस और मेहनत में यह भूख साफ देखी जा सकती है. दिव्यांगों के लिए आज दीपक बहुत बड़ी मिसाल हैं.