UP PCS J Success Story: आज हम आपको एक ऐसे युवा की कहानी बताने जा रहे हैं, जिन्होंने विपरीत परिस्थितियों में खुद के लिए बेहद कठिन रास्ता चुना और आज जिंदगी के सबसे बेहतरीन मुकाम पर खड़े हैं और इस सफर में उनका बराबर से साथ देकर उनकी मां ने इस सफर को आसान बनाया. हम आज अहद अहमद की सफलता की कहानी लेकर आए हैं...


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30 अगस्त को यूपी में PCS-J के जो नतीजे जारी हुए, जिसमें अहद ने 157 वीं रैंक हासिल कर अपने परिवार की नैया पार लगा दी. जानकारी के मुताबिक अहद के परिवार में उनकी मां अफसाना, पिता शहजाद हैं, जो प्रयागराज से करीब 30 किमी दूर बरई हरख गांव में रहते हैं. 


पंक्चर की दुकान से होता था परिवार का भरण-पोषण
साल 1985 में घर के बगल में ही शहजाद के पिता साईकिल रिपेयरिंग का काम कर रहे हैं. आज कामयाबी हासिल करने वाले अहद कभी 10वीं में फेल हो गए, जिसके बाद साईकिल रिपेयरिंग का काम सीख वह दुकान संभालने लगे. दुकान की कमाई घर खर्च निकालना मुश्किल हो रहा था, जिसके बाद अफसाना ने भी सिलाई करके जिम्मेदारी और घर खर्च में हाथ बंटाना शुरू कर दिया.


अफसाना ने गांव की महिलाओं के कपड़े सिलने लगीं. उनका बड़ा बेटा पढ़ाई पूरी कर प्राइवेट नौकरी करने लगा था. वहीं, अहद ने प्रयागराज जाकर पढ़ने की इच्छा जताई. घर के हालत खराब थे, लेकिन मां ने पढ़ाई के लिए उसे जिला मुख्यालय भेजा.


कर्ज लेकर माता-पिता ने बेटे को पढ़ाया
प्रयागराज मे गवर्नमेंट इंटर कॉलेज से 12वीं पास करने के बाद साल 2014 में इलाहाबाद यूनिवर्सिटी में बीए एलएलबी के लिए अहद का सिलेक्शन भी हो गया, लेकिन कॉलेज की फीस भरने के लिए पैसे नहीं थे. इस मुश्किल समय में पढ़ाई के महत्व को समझते हुए उनके माता-पिता ने बेटे को पढ़ाने के लिए कर्ज लिया.


इलाहाबाद हाईकोर्ट में करते थे प्रैक्टिस 
अहद ने इलाहाबाद सेंट्रल यूनिवर्सिटी से बीए एलएलबी किया. इसके बाद अहद ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में थोड़ी बहुत प्रैक्टिस शुरू की लेकिन कोविड कोर्ट बंद होने के बाद प्रैक्टिस भी बंद हो गई. कोरोना के दौरान उन्होंने घर पर रहकरपीसीएस जे की पढ़ाई करना शुरू कर दिया. अहद ने पैसे की तंगी के कारण  पीसीएस-जे की तैयारी के लिए कोचिंग भी नहीं ली.


जब रिजल्ट आया तो उनके दोस्त ने उन्हें यह खुशखबरी दी कि अहद की पीसीएस जे में 157वीं रैंक आई है. अहद ने मां को खबर देते हुए गले से लगाया तो उनकी आंखों से आंसू बह लगे. माता-पिता दोनों के वर्षों की मेहनत और बेहतर परवरिश अब सफल हो चुकी थीं.