Winter Effects On Body: भारत में सर्द मौसम दस्तक दे चुका है. बहुत से लोगों का यह सबसे पसंदीदा मौसम होता है. सुबह- शाम की ठंड के साथ ही सर्दियों के मौसम की शुरुआत हो चुकी है. इसी के साथ लोगों के गर्म कपड़े बाहर निकलने लगे हैं. आपने अक्सर यह देखा होगा कि कुछ लोगों को बहुत ज्यादा ही ठंड लगती है. आखिर ऐसा क्यों होता है कि किसी को बहुत ज्यादा तो किसी को कम ठंड लगती है?  


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ठंड कैसे महसूस होती है?
एक्सपर्ट्स के मुताबिक इंसानों को सबसे ज्यादा त्वचा पर ठंड महसूस होती है. इसके कारण हमारे शरीर के रोएं खड़े हो जाते हैं और हमारे हाथ-पैरों की उंगलियां सुन्न हो जाती हैं. बाहर के टेम्प्रेचर में बदलाव होने का अहसास सबसे पहले हमारी स्किन को होता है. हमारी स्किन के नीचे मौजूद थर्मो-रिसेप्टर नर्व्स हमारे मस्तिष्क को ठंड का संदेश भेजती हैं. स्किन से निकलने वाली तरंगें दिमाग के हाइपोथैलेमस में पहुंचती हैं, जो बॉडी के इंटरनल टेम्प्रेचर और पर्यावरण का बैलेंस बनाने में मददगार है. इसी बैलेंस के चलते हमारे शरीर के रोएं खड़े हो जाते हैं और मांसपेशियां सिकुड़ने जाती हैं.


इस वजह से लगती है ज्यादा सर्दी 
दरअसल, शरीर की आंतरिक क्षमता से जुड़ा होता है. हाइपोथर्मिया के कारण ठंड का ज्यादा अहसास होता है. त्वचा के नीचे मौजूद नर्व ब्रेन को ठंड लगने का संकेत भेजते हैं, जिससे दिमाग शरीर के अंदर के तापमान को गिरने से रोकता है. ब्रेन हमारी बॉडी के सभी अंगों को मैसेज भेजता है कि तापमान गिर रहा है और उन्हें सुरक्षित रखना चाहिए. इसके बाद शरीर की सभी मांसपेशियां अपनी गति को कम कर देती हैं. हमारा शरीर तापमान के ज्यादा कम हो जाने को झेल नहीं पाता है. 


एक्सपर्ट्स के मुताबिक अगर टेम्प्रेचर बहुत ज्यादा कम हो जाता है तो शरीर के कई अंग काम करना बंद कर देते हैं. कई बार इस वजह से मल्टी ऑर्गन फेलियर हो सकता है, जिससे इंसान की मौत भी हो सकती है. इस तरह से लगनी वाली ज्यादा ठंड 'हाइपोथर्मिया' कहलाता है, जिससे व्यक्ति की जान भी जा सकती है.


इस कारण कांपता है शरीर
जब हमारे बॉडी ऑर्गन्स धीमी गति से काम करते हैं, तो उनसे ज्यादा मेटाबॉलिक हीट जनरेट होती है. इससे हमारी बॉडी में अचानक कंपकंपी छूटने लगती है, जिसका मतलब है कि शरीर अंदरी और बाहरी तापमान को संतुलित कर रहा है.