Bollywood Retro: आज के इस दौर में अभिनेता और अभिनेत्रियां पर्दे पर इंटीमेट होने से कतराते नहीं हैं, लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि स्क्रीन पर किस करने का चलन आज आपको दिखने वाले इन अभिनेता-अभिनेत्रियों ने नहीं शुरू किया था, बल्कि करीब 90 साल पहले एक हीरोइन ने इस चलन की शुरुआत की थी. यह सीन करीब चार मिनट लंबा था, जिस पर बाद में काफी विवाद हुआ था.


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हम बात कर रहे हैं साल 1933 में रिलीज हुई फिल्म 'कर्मा' (Karma)की, जिसमें देविका रानी (Devika Rani) और हिमांशु राय (Himanshu Rai) एक साथ नजर आए थे. इस फिल्म में पहली बार किसिंग सीन (Devika Rani Himanshu Rai Kiss Scene) फिल्माया गया था. दोनों के बीच फिल्माया गया ये सीन करीब 4 मिनट लंबा था. जब यह पहली बार रिलीज हुई थी तो काफी विवाद हुआ था. आपको यह भी बता दें कि देविका रानी और हिमांशु राय दोनों असल जिंदगी में भी पति-पत्नी थे, इसलिए इस सीन को शूट करने में दोनों को कोई परेशानी नहीं हुई. लेकिन उस समय फिल्मी पर्दे पर इस तरह के सीन को सार्वजनिक रूप से दिखाए जाने पर काफी हंगामा मचा, जिसका असर देविका रानी की छवि पर भी पड़ा था.



देविका रानी को  'ड्रैगन लेडी' के रूप में जाना जाता था
उस दौर में देविका रानी अपनी समकालीन नायिकाओं से काफी आगे मानी जाती थीं. सिर्फ किसिंग सीन ही नहीं बल्कि उन्हें शराब और सिगरेट का भी शौक था और उन्होंने कभी अपने इस शौक को छुपाने की कोशिश नहीं की. देविका रानी को उनके 'धूम्रपान, शराब पीने, गाली देने और गर्म स्वभाव' के लिए 'ड्रैगन लेडी' के रूप में जाना जाता था.


पति हिमांशु राय के साथ मिलकर की 'बॉम्बे टॉकीज' की स्थापना
देविका रानी ने अपने पति हिमांशु राय के साथ मिलकर 'बॉम्बे टॉकीज' की भी स्थापना की. इस बैनर तले उन्होंने 'जवानी की हवा' जैसी हिट फिल्म दी. 1940 में हिमांशु राय की मृत्यु हो गई, जिसके बाद देविका रानी अकेले ही 'बॉम्बे टॉकीज' चलाती थीं. 1945 में, उन्होंने फिल्मों से संन्यास ले लिया और रूसी चित्रकार स्वेतोस्लाव रोएरिच से शादी की. इसके बाद वह बैंगलोर के बाहरी इलाके में रहने चली गईं. उसके बाद अगले पांच दशकों तक उन्होंने बहुत ही एकांतप्रिय जीवन व्यतीत किया.



कहा जाता है भारतीय सिनेमा की प्रथम महिला
देविका रानी को भारतीय सिनेमा की प्रथम महिला कहा जाता था. 1958 में, भारत सरकार ने देविका रानी को पद्मश्री से सम्मानित किया और वह 1969 में फिल्मों के लिए देश के सर्वोच्च पुरस्कार दादा साहब फाल्के पुरस्कार की पहली विजेता बनीं. देविका रानी की 9 मार्च, 1994 को बैंगलोर में ब्रोंकाइटिस से मृत्यु हो गई. उनके अंतिम संस्कार में देविका रानी को पूर्ण राजकीय सम्मान दिया गया था.