Ramayan: ऐसे समय जबकि सिनेमा के पर्दे पर भगवान राम आदिपुरुष (Film Adipurush) एक बार फिर से चर्चा में हैं, यह बात साफ हो गई है कि भारतीयों के मन में सदियों पुरानी उनकी आस्था में रत्ती भर बदलाव नहीं आया है. यही वजह है कि स्वतंत्रता संग्राम के दौर में फिल्मों को खास तवज्जो न देने वाले राष्ट्रपति महात्मा गांधी (Mahatma Gandhi) ने भी अपने जीवन में देश में बनी जो एकमात्र फिल्म देखी थी, वह भगवान राम की कहानी थी. 1943 में निर्देशक विजय भट्ट की फिल्म राम राज्य (Film Ram Rajya) को इस साल 80 बरस हो रहे हैं. इस फिल्म को महात्मा गांधी ने 1945 में तब देखा देखा था, जब वह कुछ दिनों के लिए मुंबई आए हुए थे.


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ये थे राम और सीता
विजय भट्ट की राम राज्य में प्रेम आदिब (Prem Adib) और शोभना समर्थ (Shobhna Samarth) भगवान राम (Lord Ram) तथा देवी सीता (Goddess Sita) की भूमिका में थे. इससे साल भर पहले बापू ने केवल अंग्रेजी फिल्म मिशन टू मॉस्को (Mission To Moscow) देखी थी. मिशन टू मॉस्को एक अमेरिकी अंबेसडर के रूस में काम करने के अनुभवों पर लिखी किताब पर आधारित थी. महात्मा गांधी अपने जीवनकाल में केवल यही दो फिल्में देखीं. 1940 के उस दौर में भगवान राम के रोल में प्रेम अदीब बेहद लोकप्रिय हुए थे. उन दिनों वह पहाड़ी सान्याल, अशोक कुमार, पीसी बरुआ, मास्टर विनायक जैसे शीर्ष अभिनेताओं के बराबर माने जाते थे. 25 साल के करियर में उन्होंने 60 से ज्यादा फिल्मों में काम किया.


मिले सिर्फ 40 मिनिट
अदीब को भरत मिलाप (1942) में भगवान राम के रूप में उनकी भूमिका के लिए सबसे ज्यादा याद किया जाता है. भरत मिलाप (1942) और राम राज्य (1943) में राम की भूमिका निभाने के बाद प्रेम अदीब लोकप्रिय हो गए. इसके बाद वह शोभना समर्थ के साथ रामबाण (1948) में भी राम बन कर आए थे. विजय भट्ट (Vijay Bhatt) से राम राज्य के पहले भी गांधीजी से मुलाकातें थी और उन्होंने बापू के कहने पर नरसी मेहता (Narsi Mehta) पर फिल्म बनाई थी. नरसी मेहता का भजन वैष्णव जन तो... गांधीजी का पसंदीदा भजन था. विजय भट्ट वह फिल्म महात्मा गांधी को नहीं दिखा पाए थे. तब से उनके मन में था कि अपनी कोई फिल्म बापू के जरूर दिखाएं. 1945 में जब उन्हें पता चला कि गांधीजी जुहू (Juhu Mumbai) में शांतिकुमार मोरारजी के घर आए हुए हैं. तब उन्होंने गांधीजी की सचिव श्रीमती सुशीला नायर से मुलाकात करके गांधी को फिल्म दिखाने का समय लिया. उन्हें तब फिल्म दिखाने के लिए केवल 40 मिनट का समय दिया.


गांधी का राम राज्य
जब राम राज्य शुरू हुई, तो गांधीजी इतने तल्लीन हो गए कि उन्होंने इसे 90 मिनट से अधिक समय तक बिना रुके देखा. खास बात यह थी उस दिन गांधीजी का मौनव्रत था,  लेकिन अंत में उन्होंने प्रशंसा में भट्ट की पीठ थपथपाई. राम राज्य 1943 की तीसरी सबसे ज्यादा कमाई करने वाली भारतीय फिल्म थी. यह पहली भारतीय फिल्म थी, जिसका अमेरिका में प्रीमियर हुआ था. महात्मा गांधी को यह फिल्म इसलिए पसंद आई थी कि वह अक्सर धार्मिक लोकतांत्रिक शासन पर जोर देने के लिए ‘राम राज्य’ का हवाला देते थे.