Amitabh Bachchan Legend: अमिताभ बच्चन की जागरूकता ने बनवाया ये कानून, आज नई संसद की छत पर गर्व से खड़ा है राष्ट्रीय चिह्न
Amitabh Bachchan In Parliament: अमिताभ बच्चन 1984 से 1987 के बीच देश की संसद के सदस्य थे. हालांकि उन्होंने संसद की सदस्यता से इस्तीफा देते हुए राजनीति को भी अलविदा कह दिया था. लेकिन अपने संसदीय कार्यकाल में उन्होंने एक महत्वपूर्ण बात नोट करते हुए, अहम कानून बनवाया.
Amitabh Bachchan Biography: सोमवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश के नए संसद भवन की छत पर विशाल अशोक स्तंभ का अनावरण किया. चार मुंह के शेर और उसके नीचे बने अशोक चक्र का यह चिह्न देश का प्रतिनिधित्व करता है. एक दौर था जब अमिताभ बच्चन ने इस राष्ट्रीय चिह्न को लेकर देश की संसद में आवाज उठाई थी और उससे जुड़ा एक महत्वूर्ण कानून बनवाया था. उल्लेखनीय है कि अमिताभ बच्चन ने 1984 में देश की राजनीति में कदम रखा और इलाहाबाद से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ते हुए हेमवती नंदन बहुगुणा जैसे दिग्गज नेता को हराया था. संसद में पहुंच कर अमिताभ लंबे समय तक वहां नहीं रहे लेकिन उन्होंने जागरूक नेता के तौर पर अपनी उपस्थिति अवश्य दर्ज कराई थी.
राष्ट्रपति के डिनर में पहुंचे अमिताभ
अक्सर खामोशी से अपना काम करने वाले अमिताभ ने संसद में अपने इस महत्वपूर्ण काम के बारे में कभी शोर नहीं किया. लेकिन उन्होंने राष्ट्रीय चिह्न से जुड़ा एक मुद्दा संसद में उठा कर बड़ा कानून बनवाया था. असल में हुआ यह कि जब अमिताभ बच्चन सांसद थे, तब एक बार सभी सांसदों और अन्य मेहमानों के लिए राष्ट्रपति भवन में डिनर का आयोजन किया गया. सांसद के रूप में अमिताभ बच्चन भी इस डिनर में पहुंचे थे. जब वहां छोटे-से समारोह के बाद भोजन शुरू हुआ तो अमिताभ डिनर करने में हिचकिचाए. उन्होंने देखा कि जिन प्लेटों में लोग भोजन कर रहे हैं, उन पर डिजाइन के रूप में राष्ट्रीय चिह्न बना हुआ है. अमिताभ को यह बात अच्छी नहीं लगी कि राष्ट्रीय चिन्ह से सजी उन प्लेटों में भोजन किया जा रहा है.
संसद में रखी अपनी बात
इसके बाद अमिताभ ने संसद में अपनी बात रखने के लिए समय मांगा और जब उनकी बारी आई तो उन्होंने इस बात पर आपत्ति जताई कि राष्ट्रीय चिह्न का उपयोग खाने की प्लेटों पर किया जाए. उन्होंने संसद में कहा कि यह अनुचित है कि राष्ट्रीय चिह्न ऐसे खाने-पीने के लिए उपयोग में लाई जाने वाली वस्तुओं पर बनाए जाएं. यह राष्ट्रीय चिह्न का अपमान है. संसद का ध्यान इस तरफ गया तो सबने अमिताभ की प्रशंसा की और यह तय हुआ कि इस संबंध में कानून बनाया जाना चाहिए. अमिताभ बच्चन की पहल पर संसद में यह कानून लाया गया कि खाने-पीने के उपयोग की अथवा अन्य वस्तुओं पर राष्ट्रीय चिह्न बनाया जाना, गैर-कानूनी है.
अपने पिता से मिली प्रेरणा
खामोशी से लगातार काम करने वाले अमिताभ ने यह बात फिल्म मैं आजाद हूं की शूटिंग के दौरान राजकोट में उस वक्त बताई थी, को-स्टार शबाना आजमी से उनसे सवाल पूछा था कि सांसद रहते हुए आपने क्या कोई खास काम किया था. तब अमिताभ ने यह बताते हुए कहा था कि उनके ये विचार अपने पिता हरिवंश राय बच्चन द्वारा सिखाई बातों से प्रेरित थे. उल्लेखनीय है कि वह कानून बनने के बाद खाने-पीने के काम में उपयोगी सरकारी चीजों पर राष्ट्रीय चिह्न का प्रयोग बंद कर दिया गया. आज संसद की केंटीन में मिलने वाले बर्तनों पर संसद भवन का चित्र बना होता है.
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