Aruna Irani: 500 से ज्यादा फिल्मों में काम कर चुकीं अरुणा ईरानी ने चाइल्ड आर्टिस्ट के रूप में करियर शुरू किया. घर में गरीबी थी और पिता भी अरुणा को देखकर कहते कि उनकी जगह कोई लड़का होता, तो ठीक रहता. लेकिन बाद में अरुणा ईरानी ने घर की जिम्मेदारियां संभाली तो पिता की राय बदल गई. खैर, कैरेक्टर आर्टिस्ट के रूप में अरुणा को युवावस्था में काम मिलने लगा. परंतु उन्हें चिंता अपने घर की रहती थी. इसी दौरान उनकी मुलाकात मुलाकात महमूद हुई. इस मुलाकात से उनकी जिंदगी ने एक मोड़ ले लिया. उन्होंने अरुणा ईरानी के करियर में बहुत मदद की.


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एक्ट्रेस की मजबूरी
अरुणा ईरानी मानती हैं कि महमूद (Mehmood) ने उन्हें छोटी-छोटी चरित्र भूमिकाओं से फिल्म की हीरोइन तक बनाया. वह फिल्म प्रोड्यूसर और डायरेक्टर भी थे. लेकिन खास बात यह की अरुणा ईरानी का करियर खत्म करने के जिम्मेदार भी वही जिम्मेदार थे. वजह थी, प्यार! अरुणा ईरानी ने बाद में मीडिया में स्वीकार किया कि मेरा उनके प्रति झुकाव था मगर मुझे उससे कभी प्यार नहीं था. उन्होंने साफ कहा कि मैं छोटी आर्टिस्ट थी और हर दूसरे शख्स की नजर मुझ पर थी. इसलिए मैंने सोचा कि मेरे लिए एक ही व्यक्ति के साथ रहना बेहतर होगा. तब मैंने महमूद अली को चुना. अरुणा ईरान ने यह भी कहा कि यह संबंध वैसा ही था, जैसे एक इंसान किसी के एहसानों तले दबा होता है. मैं उन्हें किसी भी चीज के लिए ना नहीं कह सकती थी.


शादी की अफवाह
जब अरुणा ईरानी का ग्लैमर बढ़ा और वह फिल्म हीरोइन के रूप में जम गई तो महमूद को उनसे प्यार हो गया. वह नहीं चाहते थे कि अरुणा बाहर काम करें. तब उन्होंने अफवाह फैलाना शुरू कर दी कि हम दोनों ने शादी कर ली है. वह लोगों से कहते कि अरुणा अब फिल्मों में काम नहीं करना चाहती. अरुणा ईरानी को इन बातों का पता नहीं चला. वर्षों बाद विनोद खन्ना ने उन्हें बताया कि वह अपनी हीरोइन के रूप में उन्हें एक फिल्म में चाहते थे. उन्होंने महमूद से बात की, लेकिन महमूद ने उनसे कहा कि अरुणा केवल टॉप के सितारों के साथ काम करेंगी. तब विनोद खन्ना (Vinod Khanna) सितारे नहीं थे. फिर अरुणा ईरानी को और भी बातें पता चली और उन्हें सच्चाई का एहसास हुआ. साथ ही जब उनकी शादी की झूठी खबर फैली, तो फिल्म प्रोड्यूसरों-डायरेक्टरों ने उनसे संपर्क करना बंद कर दिया. उस समय चूंकि शादीशुदा एक्ट्रेसों को काम नहीं मिलता था. अरुणा ईरानी को बाद में एहसास हुआ कि उस समय अगर वह मीडिया से बात करके सच्चाई बता देतीं तो करियर बच सकता था. उन्हें काम मिलना बंद हो गया और उन्हें घर बैठना पड़ा. करीब साढ़े तीन साल तक यही स्थिति रही.


नेगेटिव रोल, पॉजिटिव असर
1980 और 1990 के दौर में उन्हें नेगेटिव रोल मिलने लगे. सच यह है कि दुष्ट मां और क्रूर सास की भूमिकाओं ने उन्हें बाद में वैंप के रूप में पहचान दिलाई. कादर खान के साथ उनकी जोड़ी जमी. मवाली, बेटी नं. 1 और हमेशा में उन्होंने यादगार नेगेटिव रोल किए. परंतु जिस रोल ने उन्हें जबर्दस्त तारीफें दिलाई थी, वह था लालची-क्रूर मां के रूप में. फिल्म थी, बेटा. अनिल कपूर (Anil Kapoor) और माधुरी दीक्षित (Madhuri Dixit). वह इस फिल्म में बेटे की सारी जायदाद हड़प लेना चाहती है. इस रोल के लिए उन्हें आज भी याद किया जाता है. आज भी यह फिल्म देखी और पसंद की जाती है.