S.N. Tripathi: हिंदी सिनेमा के इतिहास में ऐसे सैकड़ों कलाकार हुए, जिन्होंने महानता की नई ऊंचाइयों को छुआ. चाहे अभिनय हो, गीत-संगीत या फिर लेखन-निर्देशक. लेकिन कुछ ऐसे भी दिग्गज हुए हैं जिन्होंने सिनेमा की अलग-अलग विधाओं में खुद को आजमाया और हर क्षेत्र में अपनी पहचान बनाई. ऐसे ही दिग्गजों में 1950 और 1960 के दशक में एस.एन. त्रिपाठी का भी नाम था. लेकिन दुख की बात है हिंदी फिल्म इंडस्ट्री ने उन्हें भुला दिया. त्रिपाठी न केवल शानदार म्यूजिक डायरेक्टर थे, बल्कि राइटर और एक्टर भी थे. उस दौर में एस.एन. त्रिपाठी का नाम नौशाद और पंकज मलिक जैसे संगीतकारों के साथ लिया जाता था. रोचक बात यह है कि संगीत के साथ उन्होंने एक्टिंग में धाक जमाई और खास तौर पर पौराणिक तथा धार्मिक फिल्मों में शानदार किरदार निभाए.


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लीड रोल में हनुमान
त्रिपाठी उत्तर प्रदेश के रहने वाले थे. 14 दिसंबर 1912 को बनारस में जन्मे एस.एन. त्रिपाठी मैट्रिक के बाद इलाहाबाद आगे की पढ़ाई के लिए गए. वहां उन्होंने बीएससी किया. इसके बाद लखनऊ में संगीत की पढ़ाई के लिए आए. जहां उनकी मुलाकात हिंदी फिल्म इंडस्ट्री की पहली म्यूजिक डायरेक्टर सरस्वती देवी (खुर्शीद होमजी) से हुई. वह उनके सहायक बन गए. फिर उनके साथ मुंबई आ गए. यहां उनके उस दौर के प्रसिद्ध निर्माताओं जेबीएच और होमी वाडिया के साथ अच्छे संबंध बने. उनकी दर्जनों फिल्मों में त्रिपाठी ने म्यूजिक दिया. परंतु जब होमी वाडिया ने फिल्म राम भक्त हनुमान (1948) बनाई तो उसमें उन्होंने त्रिपाठी को हनुमान का लीड रोल दिया.


पौराणिक फिल्मों के हीरो
ऊंची कद-काठी के त्रिपाठी इस रोल में हिट हो गए और इसके बाद उन्हें एक के बाद एक फिल्में ऑफर होने लगीं. खास तौर पर कई फिल्मों में उन्हें हनुमान के रोल ऑफर हुए और लोगों ने उन्हें खूब पसंद किया. एक दौर में दारा सिंह से पहले एस.एन. त्रिपाठी हिंदी फिल्मों के सबसे लोकप्रिय हनुमान थे. राम भक्त हनुमान के बाद एस.एन. त्रिपाठी की गणेश महिमा, श्रीकृष्ण विवाह, नाग दुर्गा, नाग पंचमी, राम हनुमान युद्ध, विष्णु पुरान, नाग मेरे साथी और खुदा का बंदा जैसी फिल्में हिट हुईं. रोचक बात यह है कि राम भक्त हनुमान का किरदार निभाने वाले एस.एन. त्रिपाठी ने 1948 में ही आई निर्देशक रामचंद्र ठाकुर की फिल्म जय हनुमान में रावण का रोल निभाया. 1950 का दशक खत्म होते-होते पौराणिक फिल्मों की जगह ऐतिहासिक फिल्मों ने लेनी शुरू कर दी. लेकिन यहां भी एस.एन. त्रिपाठी की मांग बनी रही.


साथ में भोजपुरी भी
एक्टिंग और म्यूजिक में एस.एन. त्रिपाठी का फिल्मी करियर करीब 50 साल (1935-1985) का रहा. उन्होंने 111 फिल्मों में संगीत दिया और अपने दौर के बड़े से बड़े निर्माता-निर्देशकों-लेखकों के साथ काम किया. हिंदी के साथ-साथ उन्होंने दस भोजपुरी फिल्मों का भी संगीत तैयार किया. हालांकि 1960 और 1970 के दशक में फिल्म संगीत में बड़े बदलाव आए, मगर त्रिपाठी लगातार काम करते रहे. उन्होंने 1985 में फिल्म महासती तुलसी के लिए अपना आखिरी गाना रिकॉर्ड कराया. 28 मार्च, 1986 में 66 साल की उम्र में उनका निधन हो गया.