Films Against Domestic Violence: इस हफ्ते ओटीटी पर रिलीज हो रही डार्लिंग्स में आलिया भट्ट घरेलू हिंसा का मुद्दा उठा रही हैं. इस डार्क कॉमेडी में वह ऐसी पत्नी के रोल में हैं, जो घरेलू हिंसा करने वाले वाले पति से हिसाब बराबर करने के लिए मां की मदद लेती हैं. दोनों मिलकर उसका अपहरण कर लेती हैं, और जैसे को तैसा अंदाज में जवाब देती हैं. लेकिन कहानी में ट्विस्ट है और घटनाएं आगे रोचक अंदाज में मुड़ जाती हैं. इससे पहले भी हिंदी सिनेमा के पर्दे पर घरेलू हिंसा का मुद्दा आता रहा है. जिनमें हीरोइनें अपने-अपने ढंग से जुल्मी पति को सबक सिखाती हैं. अपने ऊपर हुई हिंसा का बदला लेती हैं. जानते हैं ऐसी ही कुछ फिल्मों के बारे में.


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थप्पड़, क्यों मारा
हाल में आई निर्देशक अनुभव सिन्हा की फिल्म थप्पड़ में घरेलू हिंसा के प्रतिरोध का मॉडर्न वैचारिक अंदाज दिखाया गया. तापसी एक अच्छी वाइफ हैं लेकिन एक दिन पति द्वारा एक थप्पड़ मारे जाने पर वह तलाक लेने का फैसला कर लेती हैं. सब उसे समझाते हैं कि इतनी छोटी सी बात पर कौन तलाक लेता है. पति-पत्नी के जीवन में यह सब चलता रहता है. लेकिन उसका पॉइंट ऑफ व्यू एक ही होता है कि क्यों मारा? नहीं मार सकता. 


प्रोवोकड, जला दिया जिंदा
2006 में आई ऐश्वर्या राय बच्चन की फिल्म प्रोवोकड की कहानी में पति द्वारा पत्नी को फिजिकली और मेंटली बहुत प्रताड़ित किया जाता है. तमाम क्रूरताओं से तंग आकर आखिरकार शादी के दस साल बाद पति अपने पति का खून कर देती है. वह सोते हुए पति पर पेट्रोल छिड़ कर उसे जिंदा जला देती है. यह फिल्म ब्रिटेन में किरनजीत अहलूवालिया की सच्ची कहानी पर आधारित थी, जिसे जग मूंदड़ा ने निर्देशित किया था.


अग्निसाक्षी, ड्रामाई क्लाइमेक्स
नाना पाटेकर ने अग्निसाक्षी में ऐसे पति का किरदार निभाया था, जो अपनी पत्नी को अपनी जागीर समझता है. वह अपनी पत्नी को प्यार तो बहुत करता है लेकिन उसका प्यार पजेसिवनेस के कारण गुस्से में कब तब्दील हो जाता है, उसे पता ही नहीं चलता. ऐसे में पत्नी अपनी आइडेंटिटी बदलकर नाना से दूर चली जाती है. ड्रामाई क्लाइमेक्स में पति खुद को गोली मार लेता है.


खून भरी मांग, मगरमच्छ का भोजन
खून भरी मांग में रेखा ऐसी विधवा महिला के किरदार में थी, जिसकी दौलत पाने के लिए एक व्यक्ति (कबीर बेदी) उससे शादी कर लेता है. वह पत्नी का सब कुछ छीनकर उसे मगरमच्छों के बीच फेंक कर मारने की कोशिश करता है. लेकिन वह किसी तरह बच जाती है और फिर आखिर में उसे हंटरों से पीट कर उसी नदी में फेंकती है, जहां मगरमच्छ उस व्यक्ति को चबा जाता है.


मेहंदी, चिता से गोली तक
रानी मुखर्जी की फिल्म मेहंदी दहेज प्रथा को दिखाती है. किस तरह से इस कुप्रथा से कई लड़कियों का जीवन बर्बाद हो जाता है. फिल्म में रानी मुखर्जी की शादी जिस परिवार में होती है, वह दहेज न मिलने के कारण रानी को हर तरह से परेशान करता है. हीरोइन को चिता पर जिंदा लाने की कोशिश होती हैं. लेकिन ड्रामाई द एंड में वह पति को गोली मार देती है.


दमन, सेल्फ डिफेंस में मर्डर
2001 में आई रवीना टंडन की दमन भी घरेलू हिंसा की कहानी बयां करती है. यह एक ऐसी महिला की कहानी थी, जिसमें रवीना का पति द्वारा शारीरिक शोषण किया जाता है. जिससे तंग आकर वह अपने पति को छोड़कर जाने का फैसला लेती है और जब वह रवीना को रोकने की कोशिश करता है तो सेल्फ डिफेंस में उसे मार डालती है.


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