Diwali Celebrations: दिवाली को लेकर सबके अपने-अपने अनुभव होते हैं. कई बार जिंदगी में दिवाली भी अलग-अलग तरह से आती है. बचपन की यादें कुछ और होती है. मगर बड़े होने पर दिवाली का अलग रंग दिखता है. बॉलीवुड की एक्ट्रेसों (Bollywood Actresses Diwali) के बारे में भी यही बात है. हर किसी ने अपने-अपने ढंग से इस त्यौहार को देखा, महसूस किया और मनाया है. जानिए इन एक्ट्रेसों ने जिंदगी में देखी कैसी-कैसी दिवाली...


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सान्या मल्होत्रा (Sanya Malhotra): मेरे परिवार में दिवाली बहुत धूमधाम से मनती है. दिवाली पर मेरी मां को सब कुछ व्यवस्थित चाहिए होता है. दिल्ली में दिवाली पर ताश खेलने का चलन खूब है. परंतु मुझे ताश खेलना पसंद नहीं, इसलिए मैं दिवाली पर कहीं नहीं जाती और घर में मां-पिताजी के साथ दिवाली मनाती हूं. मेरी दिवाली की यादें, मेरे परिवार की खुशियों से जुड़ी है.


सयानी गुप्ता (Sayani Gupta): मेरे बचपन की जो दिवालियां मुझे याद है, उनमें यही है कि हम छोटे थे तो दिवाली के दिन बहुत सारे बम-पटाखे फोड़ते थे. हालांकि अब मैं इनके बिल्कुल खिलाफ हूं. मुझे दुख होता है कि पर्यावरण को लेकर हमारे यहां अब भी जागरूकता नहीं है.


अमायरा दस्तूर (Amyra Dastur): मेरी यादगार दिवाली तब की है, जब मैं 12-13 साल की थी. हमारा परिवार मेरे तमाम चचेरे भाइयों-बहनों के साथ खंडाला के फार्महाउस पर गए थे. हमने तय किया था कि पटाखे नहीं जलाएंगे. हम लोग पूरी रात ताश खेलते रहे, बातें करते रहे. उस वक्त हम लोगों को एक-दूसरे के बारे में ऐसी तमाम बातें पता चली, जो पहले नहीं जानते थे.


सनी लियोनी (Sunny Leone): इंडिया आने से पहले मैंने दिवाली के बारे में सुन रखा था, परंतु मैं नहीं जानती थी कि यह कैसा त्यौहार है. लेकिन यहां मैंने दिवाली के रंग, रोशनी और पटाखे देखे. इतने सारे लोग इसे मनाते हैं, यह बात चकित करती है. दिवाली का त्यौहार नए साल के जश्न से भी बड़ा है. पूरे हफ्ते चलता है और कई बार तो उससे भी ज्यादा.


रवीना टंडन (Raveena Tandon): मैं वह दिवाली कभी नहीं भूल सकती. 17-18 साल हो रहे हैं. दिवाली की आरती के बाद अनिल (Anil Thadani) ने मुझे मेरे माता-पिता के घर में प्रपोज किया था. उस साल दिवाली और मेरा जन्मदिन एक ही दिन थे. तारीख थी, 26 अक्टूबर. बर्थडे, दिवाली और प्रपोजल मिलाकर मेरी जिंदगी में उस दिन ट्रिपल धमाका हुआ था.


रकुल प्रीत सिंह (Rakul Preet Singh): बचपन में मैं हर साल खूब पटाखे जलाती थी. एक दिवाली पर मुझे पिताजी ने 500 रुपये का नोट दिया और कहा कि इसे जला दो. यही तुम हर साल करती हो. यही पैसे अगर गरीब को दे दो, तो वह खाना या मिठाई ले लेगा. तुम्हें दुआ देगा. तब से मैंने पटाखे जलाने बंद कर दिए.