वेब सीरीज रिव्यू: कॉल मी बे
कास्ट: अनन्या पांडे, वरुण सूद, वीर दास , गुरफतेह पीरजादा, विहान, मुस्कान जाफरी और मिनी माथुर
निर्देशक:  कॉलिन डि कुन्हा
मेकर्स: करण जौहर , अपूर्व मेहता और सोमेन मिश्रा
राइटर: इशिता मोइत्रा , समीना मोटलेकर और रोहित नायर
OTT: अमेजन प्राइम वीडियो (6 सितंबर 2024)


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'पू' बनी 'पार्वती'... करण जौहर और एकता कपूर की देन हैं ये दो किरदार. 'कभी खुशी कभी गम' में करीना कपूर ने चुलबुली, फैशनेबल और कॉन्फिडेंस से लबरेज लड़की का किरदार निभाया था, जिसका नाम था 'पूजा'. कम उम्र और आधुनिक दौर की 'पूजा' ने अपना निक नेम रख लिया था 'पू'. जिसे कॉलेज में सब इसी नाम से बुलाते थे. अब आते हैं एकता कपूर की 'पार्वती' पर. ये किरदार था 'कहानी घर-घर की' सीरियल में, जिसे साक्षी तंवर ने निभाया था. ये सीरियल और रोल इतना पॉपुलर हुआ कि 'पार्वती' संस्कारी बहू-बेटी का पर्यावाची बन गया. अब करण जौहर के धर्माटिक प्रोडक्शन में बनी लेटेस्ट वेब सीरीज देखेंगे तो आपको अनन्या पांडे के किरदार 'बेला' को देखकर यही सब दिमाग में तैरने लगेगा.


अनन्या पांडे ने करण जौहर की फिल्म 'स्टूडेंट ऑफ द ईयर 2' से एक्टिंग डेब्यू किया था और अब 5 साल बाद उन्हें की वेब सीरीज से ओटीटी डेब्यू किया है. ये चंकी पांडे की बेटी की पहली सीरीज है, जो बेहद अमीर लड़की की गरीबी की कहानी पर बनी है. सीरीज में बेला ने भी अपना निक नेम रखा है बे. वह हर किसी को इसी नाम से पुकारने को कहती हैं.


'कॉल मी बे' की कहानी 
दिल्ली के रईस खानदान में बेला (अनन्या पांडे) का जन्म हुआ. पिता ने दूसरी शादी की. अब उनके एक बेटा समर राजवंश (शिव मंसद) और एक बेटी बेला है. इनकी मां गायत्री राजवंश (मिनी माथुर) हैं, जो परिवार की अमीरी सोच में 2 चम्मच चतुराई की चाशनी घोलने का काम करती हैं. परिवार दिल्ली के सबसे रईस खानदान में से एक हैं जो कभी राजस्थान की शाही फैमिली हुआ करते थे और फिर दिल्ली आकर बस गए. समय के साथ साथ परिवार के हिस्से होते गए और दौलत कम पड़ती गई. प्राइवेट जेट, डायमंड, ब्रैंड्स और ऑडी जैसी गाड़िया बिल्कुल आम है. 


अमीरी में इनका कोई जवाब नहीं, लेकिन दिक्कतें वही है जो एक समाज में होती है. बेटा-बेटी की परवरिश में वो अंतर साफ दिख जाएगा जिसे एक आम लड़की अपनी जिंदगी में झेल चुकी होती है या वो महसूस किया होता है. गायत्री की बेटी बेला काफी खूबसूरत है. वह बहुत चीजें करना तो चाहती हैं लेकिन फैमिली उसे लेकर बहुत कैलकुलेटिव हैं. वह नहीं चाहते कि बेटी एमबीए में समय बर्बाद करे. बल्कि वह तो चाहते हैं बेला समय से रईस खानदान में शादी करें और परिवार के बिजनेस में चार चांद लगाए.


बस इसी सोच के साथ बेला की शादी रईस खानदान के अगस्त्य चौधरी (विहान समत) के साथ तय कर दी जाती है. शुरुआत में बेला शादी नहीं करना चाहती थीं लेकिन घरवालों ने कहा कि अगस्त्य के आने से उसके भाई का करियर अच्छा हो जाएगा. तो इसलिए बेला न बिना ना-नकुर किए शादी कर ली. वह अगस्त्य के साथ न्यूयॉर्क में कई कोर्सेज भी करती है. फिर आकर महल जैसे घर में रहती है. मगर यहां कमी थी तो सिर्फ प्यार की. पति अपने साम्राज्य को संभालने में इतना व्यस्त है कि उसे फर्क नहीं पड़ता कि बेला क्या चाहती है. उसे लगता है कि दौलत और शोहरत सब दे रखा है तो उसे किसी चीज की भला क्यों जरूरत.


जैसे तैसे बेला की शादी को 3 साल गुजर गए थे. सब ठीक भी था लेकिन एक दिन जिम ट्रेनर प्रिंस भसीन (वरुण सूद) के आकर्षण में आकर वह बहक जाती है. ये सब अगस्त्य और तमाम मीडिया को पता चल जाता है. यहीं से बेला की जिंदगी 360 डिग्री एंगल से घूम जाती है. उसे पति और परिवार घर से बेघर कर देता है और वह भी जिंदगी के संघर्ष की रेस में उतर जाती है. अब कैसे वह छोटे से रेंट के घर में कुछ दोस्तों के साथ रहती है. बड़ी मुश्किलों के बाद न्यूज रूम में इंटरर्न शिप की नौकरी करती है. अब कैसे रईसजादी बेला ये सब सहती है. ये सब आपको 8 एपिसोड में देखने को मिलेगा.


किरदार एकदम अलग है
अनन्या पांडे का किरदार बेला काफी अलग है. ये थोड़ा बुद्धू, थोड़ा समझदार और थोड़ा सच्चाई से जुड़ा है. बिगड़ैल नहीं है, लेकिन महंगे शौक है. छोटी चीजों में एडजस्ट करने में दिक्कत भी आती है. लेकिन ये बिगड़ैल बच्चों की तरह नहीं कि हारकर बैठ जाए. इसी तरह बेला की दोस्त सायरा (मुस्कान जाफरी) का किरदार है. जो मॉर्डन और इंडिपेंडेंट हैं. अब इन शोहरत और आधुनिकता को दिखाने के लिए राइटर और डायरेक्टर ने वन नाइट स्टैंड, शराब और ब्रैंड्स का इस्तेमाल किया है. वहीं वीर दास का किरदार तो टीआरपी नाम के न्यूज चैनल का हठी एंकर है, जो हाफ पैंट और महंगे ब्लेजर पहनकर जर्नलिज्म की हत्या करता है. ये बिल्कुल काल्पनिक किरदार है जिसे फेसम एंकर से कॉपी करके बनाया गया है. मगर ये सीरीज में मसाला डालने का काम जरूर करते हैं.



कॉली मी बे का रिव्यू
अनन्या पांडे इस रोल के लिए परफेक्ट है. वह फैशन, अमीरी, ब्रैंड्स और सोशल मीडिया जैसी चीजों का इस्तेमाल करती हुई जमती हैं. मगर एक्सप्रेशंस में कहीं कहीं ऊपर-नीचे लगती हैं. करण जौहर की सीरीज है तो ग्रैंज विजुअल्स तो आम है. बहुत ही चमचमाते सीन्स देखने को मिलेंगे. तारीफ करनी पड़ेगी कॉस्टूयम डिजाइनर की जिन्होंने जबरदस्त काम किया है.इस तरह के टॉपिक पर बनी सीरीज में उन्होंने कपड़ों के जरिए जबरदस्त रंग भरे हैं. 


करण जौहर ने अनन्या पांडे को भरपूर एक्सपोजर दिया है. सीरीज सिर्फ और सिर्फ उन्हीं पर है. हर एक सीन में वही दिखती हैं. कॉलिन डि कुन्हा के निर्देशन में बनी सीरीज ये अच्छी तरह दिखाती है कि चमचमाते घरों, बड़े-बड़े बंगलों और लाखों के कपड़ों से लदे लोगों की जिंदगी में भी वही क्लेश हैं. वह भी समाज की रूढ़िवादी सोच से पीड़ित हैं. 


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क्यों देखें और क्यों न
'कॉल मी बे' का कैमरा वर्क, एडिटिंग और म्यूजिक सब जमता है. काम की जरूरत कुछ चीजों का संतुलन बनाने में करनी चाहिए थी. ये सीरीज एक खास तबके के दर्शकों के लिए है. जो दर्शक 'रक्तांचल', 'शमशेरा', 'गैंग्स ऑफ वासेपुर' और '12वीं फेल' जैसी फिल्मों को देखना पसंद करते हैं तो वह इस सीरीज को झेल नहीं पाएंगे. इसी अंतर को पाटने के लिए डायरेक्टर  और राइटर को मेहनत करनी थी. वह वरुण सूद, मुस्कान जाफरी और वीर दास जैसे किरदारों को अच्छे से पका सकते थे लेकिन वह यहां चूक जाते हैं.