Ghallughara: 21 कट लगा दिए सेंसर बोर्ड ने दिलजीत दोसांझ की फिल्म में, जानिए आखिर ऐसा क्या है इसमें!
Diljit Dosanjh Film: सेंसर बोर्ड किसी फिल्म में 21 कट लगा दे तो इसे सामान्य बात नहीं माना जाता. हर कोई जानना चाहता है कि आखिर ऐसा क्या है, जो सेंसर ने ऐसे कैंची चलाई. सेंसर ने दिलजीत दोसांझ और अर्जुन रामपाल स्टारर फिल्म में 21 कट लगाए. ऐसा क्या है फिल्म में, जानिए...
Arjun Rampal Film: पिछले दिनों फिल्म आदिपुरुष (Adipurush) की रिलीज के बाद कई लोगों ने सवाल किया था कि आखिर सेंसर बोर्ड ने इस फिल्म को प्रमाणपत्र कैसे दे दियाॽ अब एक बार फिर सेंसर बोर्ड सुर्खियों में है. पंजाबी-बॉलीवुड एक्टर दिलजीत दोसांझ (Diljit Dosanjh) और हिंदी फिल्मों के अभिनेता अर्जुन रामपाल (Arjun Rampal) की फिल्म घल्लूघारा (Ghallughara) में 21 कट लगाए हैं. घल्लूघारा का मतलब होता है, घोर तबाही. केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (सीबीएफसी) ने फिल्म को 21 कट्स के साथ ए (वयस्क) प्रमाणपत्र दिया है. यह सामान्य नहीं है क्योंकि इतने सारे कट्स के बाद सेंसर बोर्ड फिल्मों को यू/ए या यू सर्टिफिकेट देता है. फिल्म का निर्माण करने वाली प्रोड्यूसर रॉनी स्क्रूवाला (Ronnie Screwvala) की कंपनी आरएसवीपी मूवीज ने कट्स के विरुद्ध बॉम्बे हाई कोर्ट में अपील दायर की है. फिल्म को पिछले साल दिसंबर में सर्टिफिकेशन के लिए भेजा गया था.
सिख मानवाधिकार कार्यकर्ता
घल्लूघारा का निर्देशन हनी त्रेहान (Honey Trehan) ने किया है. यह एक सिख मानवाधिकार कार्यकर्ता (Sikh human rights activist) जसवंत सिंह खालरा (Jaswant Singh Khalra) के जीवन पर आधारित है. खालरा पंजाब में 1980 और 1990 के दशक के उग्रवाद काल के दौरान मानवाधिकारों को लेकर सक्रिय थे. खालरा अमृतसर (Amritsar) में एक बैंक के निदेशक थे. उन्होंने आतंकवाद और 1984 के सिख विरोधी दंगों के बाद पुलिस को मिले असीमित अधिकारों के समय में हजारों लोगों की रहस्यमय मौत के लेकर अभियान चलाया था. उन्होंने कहा था कि पंजाब में करीब 25 हजार लोगों को अवैध तरीके से खत्म कर दिया गया. यहां तक कि पुलिस ने खुद अपने 2000 लोगों की हत्या कर दी, जो उसके कामों में सहयोग नहीं कर रहे थे.
गाइडलाइंस के मुताबिक
खालरा सितंबर 1995 में लापता हो गए. आखिरी बार उन्हें अपने घर के सामने कार धोते देखा गया था. बाद में उनके अपहरण और हत्या के मामले में पंजाब पुलिस के छह अधिकारियों को लिप्त पाया गया था. सीबीएफसी के मुताबिक फिल्म संवेदनशील है और इसके दृश्यों तथा संवादों कटौती उनकी गाइडलाइंस के मुताबिक ही गई है. सेंसर बोर्ड के मुताबिक फिल्म से हटाए गए संवाद और दृश्य सांप्रदायिक हिंसा और सिख युवाओं को भड़काने वाले थे. अतः इन्हें संवेदनशील मानकर हटाया गया है.