रविशंकर राजू भूपतिराजू. पूरा नाम है आपके चहेते रवि तेजा का. तेलुगू सिनेमा के एक्टर और प्रोड्यूसर रवि तेजा बड़े ही खास दिन अपना जन्मदिन सेलिब्रेट करते हैं. 26 जनवरी 1968 को आंध्र प्रदेश के जगमपेट्टा में उनका जन्म हुआ. एक्टर के पिता फार्मिस्ट थे तो मां घर संभालती थीं. एक्टर ने एक्टिंग के लिए पढ़ाई भी छोड़ दी थी. चलिए रवि तेजा की कहानी सुनाते हैं एक्टर के बर्थडे पर.


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

रवि तेजा ने ग्रेजुएशन को छोड़कर फिल्मों में करियर बनाने लिए मद्रास का रुख किया. ये है साल 1988 की बात. तब तेलुगू फिल्मों के डायरेक्टर औऱ राइटर गुनाशेखर और वाईवएस चौधरी उनके रूममेट्स हुआ करते थे. खूब धक्के खाने के बाद उन्हें 'कर्तव्यम', 'अभिमन्यू' और  'चैतन्या' जैसी फिल्मों में छोटे मोटे रोल मिले. आगे चलकर उन्होंने असिस्टेंट डायरेक्टर के तौर पर भी काम किया. 


उस छोटे से रोल ने चमका दी थी किस्मत
साल 1996 में रवि तेजा की किस्मत चमकी, वो भी छोटे से रोल से. दरअसल उनकी मुलाकात हुई कृष्ण वाम्सी से. उन्होंने पहले तो रवि तेजा को असिस्टेंट डायरेक्टर के तौर पर काम पर रखा और फिर एक छोटा सा रोल भी ऑफर किया. उस छोटे से किरदार के जरिए कृष्ण वाम्सी समझ गए थे कि इस लड़के में जरूर कोई बात है.


बस फिर क्या, अगले ही साल उन्होंने 'सिंधुरम्' नाम की एक फिल्म बनाई और फिल्म और उसके हीरो ते रवि तेजा. एक्टर की किस्मत ने ऐसी करवट ली कि इस बार वह सिर्फ हिट नहीं हुए, काम ही नहीं मिला बल्कि झोली में आ गया नेशनल अवॉर्ड. जी हां, रवि तेजा की इस फिल्म ने  न सिर्फ बॉक्स ऑफिस पर अच्छा बिनेजस किया था बल्कि तेलुगू की सर्वश्रेष्ठ फीचर फिल्म का नेशनल अवॉर्ड भी अपने नाम किया था.


आगे चलकर जीता नंदी अवॉर्ड
रवि तेजा ने आगे चलेकर श्रीनु वैतल्या की 'नी कोसम' फिल्म की जिसे सिल्वर नंदी का बेस्ट फिल्म का अवॉर्ड मिला. इतना ही नहीं रवि तेजा ने नंदी फिल्म का बेस्ट एक्टर का अवॉर्ड भी अपने नाम किया था.


किक से लेकर राउडी राठौड़ तक इन्हीं की देन
आपने सलमान खान की किक और अक्षय कुमार की राउडी राठौर को खूब प्यार दिया था. लेकिन इन फिल्मों का असली श्रेय रवितेजा और डायरेक्टर रवि जगन्नाथ को जाता है. इन्होंने ही ऑरिजनल फिल्म बनाई थी. इतना ही नहीं, रवि तेजा की फिल्म इटलु श्रावणी सुब्रमण्यम को प्रियंका चोपड़ा और रणबीर कपूर की फिल्म अंजाना अंजानी के रूप में बनाया गया था. ये फिल्में साउथ में ताबड़तोड़ सफलता हासिल करने में कामयाब हुई थी. आज भी रवि तेजा की हिंदी डब फिल्मों को देखना का खूब चलन है. 'जीने नहीं दूंगा' से लेकर 'खिलाड़ी' जैसी फिल्मों को खूब पसंद किया गया है.