Hrishikesh Mukherjee death anniversary: ऋषिकेश मुखर्जी की पहचान अनुराधा, छाया, असली नकली, अनुपमा, आशीर्वाद, गुड्डी, बावर्ची, नमक हराम, चुपके चुपके, गोलमाल और आनंद जैसी शानदार फिल्मों के लिए है. उन्होंने धर्मेंद्र, जया भादुड़ी, अमिताभ बच्चन, राजेश खन्ना, रेखा और अमोल पालेकर से लेकर उत्पल दत्त जैसे शानदार सितारों-एक्टरों के साथ काम किया. हिंदी सिनेमा को नई ऊंचाई दी. वास्तव में ऋषिकेश मुखर्जी की फिल्में भले संजीदा कर देती हों, मगर वह जिंदादिल इंसान थे. खूब हंसते थे और शरारतें भी करते थें. वह सीमित बजट में हिंदी की बेहतरीन फिल्में बनाने वाले मेकर थे, लेकिन उनकी एक फिल्म का अक्सर ही जिक्र नहीं किया जाता. यह फिल्म हिंदी की पहली सेक्स कॉमेडी (Sex Comedy) थी.


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लल्लू और शंकर की कहानी
1972 में आई फिल्म सबसे बड़ा सुख (Sabse Bada Sukh) के बारे में न तो ऋषिकेश मुखर्जी की फिल्मों पर बात करने वाले कुछ कहते हैं और उनके प्रशंसक भी इस पर खामोश रह जाते हैं. यह सच है कि उनसे पहले कोई मेकर हिंदी में सेक्स कॉमेडी बनाने की हिम्मत नहीं कर सका था. इस फिल्म में बंगाली के प्रसिद्ध एक्टर रवि घोष (Rabi Ghosh) और विजय अरोड़ा (Vijay Arora) लीड रोल में थे. इनके साथ असरानी (Asrani), उत्पल दत्त, केश्टो मुखर्जी और टुनटुन जैसे एक्टर थे. फिल्म की कहानी शंकर और लल्लू की है. शंकर के रोल में विजय अरोड़ा थे और लल्लू बने थे. रवि घोष. कहानी में गांव में जन्मा लल्लू मुंबई जाता है और वहां से एक अमीर आदमी बनकर लौटता है.


पकड़ी मुंबई की ट्रेन
गांव में लल्लू अपने दोस्त, शंकर उर्फ भोंपू से मिलता है और मुंबई की रंगीन जिंदगी की कहानियां सुनाता है. उसे वहां की बिंदास महिलाओं, सेक्स और प्लेबॉय पत्रिका के बारे में बताता है. इसी दौरान गांव के पास ही एक बॉलीवुड फिल्म निर्देशक (असरानी) फिल्म की शूटिंग कर रहा है. दोनों वहां जाते हैं और फिल्म की खूबसूरत एक्ट्रेस उर्वशी (रजनी बाला) से मिलते हैं. उर्वशी से मिलने के बाद शंकर घर में तेज खांसी का बहाना बनाता है और कहता है कि इसका इलाज मुंबई में ही होगी. उसे वहीं जाकर इलाज करना चाहिए. इस बहाने से लल्लू और शंकर मुंबई के लिए अगली ट्रेन पकड़ते हैं. रंगीन सपने देखते हैं. फिल्म आगे यही बताती है कि क्या मुबई में उन्हें जीवन का सबसे बड़ा सुख मिलता हैॽ


मृत्यु परम सत्य है
फिल्म बॉक्स ऑफिस पर बुरी तरह से फ्लॉप रही थी. अपने एक इंटरव्यू में ऋषिकेश मुखर्जी ने कहा था कि कभी-कभी आप रोना चाहते हैं, तो कभी-कभी आप अपना सिर पकड़कर हंसना चाहते हैं. कई बार आलोचक मुझसे पूछते हैं कि मेरी फिल्मों में हमेशा मौत का दृश्य क्यों होता है. मुझे लगता है कि इसलिए होता है क्योंकि मृत्यु परम सत्य है. फिर उन्होंने इंटरव्यू में अपनी फिल्म सबसे बड़ा सुख (Sabse Bada Sukh) को याद करते हुए कहाः देवेन वर्मा ने मुझसे एक बार कहा था सबसे बड़ा सुख ही मेरी एकमात्र फिल्म है, जिसमें किसी की मृत्यु नहीं हुई थी. तब मैंने देवेन से कहा कि यह बात गलत है. यह इतनी बुरी तरह फ्लॉप हुई थी कि इसने वितरकों की जान ले ली थी.