नई दिल्ली : अभिनेता जावेद जाफरी का कहना है कि एक आदर्श लोकतंत्र में अलग-अलग विचारों का सह-अस्तित्व होना चाहिए. पुलवामा आतंकी हमले के बाद अपनी टिप्पणियों को लेकर अभिनेता निशाने पर आ गए थे, जिसके बाद उन्हें माफी मांगनी पड़ी थी. मशहूर अभिनेता व कॉमेडियन जगदीप के बेटे जावेद ने कहा कि अगर मेरी राय लोगों के बीच राय या विचार के समान नहीं है तो फिर इसे राष्ट्र विरोधी कहना गलत है और निश्चित रूप से दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र इस तरह से काम नहीं कर सकता. उन्होंने कहा कि बेशक, ये लोग जो दूसरों पर अपनी राय थोपने की कोशिश करते हैं और अलग-अलग राय रखने वालों की पसंद को दबाते हैं, संख्या में मामूली हैं लेकिन दुर्भाग्य से ये शोर मचाने व बवाल करने वालों में से हैं. 


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14 फरवरी को जम्मू एवं कश्मीर के पुलवामा में हुए हमले के बाद जाफरी ने ट्वीट किया था कि वे खुद को 'जैश-ए-मोहम्मद' कहते हैं. पैगंबर के नाम के पीछे छिपना और इस्लाम के नाम पर इस तरह के जघन्य, अमानवीय और कायराना कृत्य करना कितनी शर्म की बात है. उन सभी धार्मिक संगठनों और सरकारों पर शर्म आती है जो अप्रत्यक्ष रूप से अपनी चुप्पी से इनका समर्थन करते हैं. 


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इस ट्वीट के बाद उन्हें काफी आलोचनाओं का सामना करना पड़ा और फिर उन्होंने ट्वीट कर माफी मांगी. उन्होंने ट्वीट कर कहा कि जो दोस्त, फॉलोअर और साथी भारतीय मेरे ट्वीट से आहत हुए हुए हैं, मैं उनसे तहे दिल से माफी मांगता हूं. जिस तरह से इसकी व्याख्या की गई, मेरा वह मतलब नहीं था. यह शब्दों का गलत चयन था. कृपया मुझे जज करने से पहले आतंकवादियों और पाकिस्तान की निंदा करने वाले मेरे पहले के ट्वीट्स को टाइमलाइन पर पढ़ लें. 



यह पूछ जाने पर कि क्या वह अपनी राय खुलकर व्यक्त करने को लेकर डरे हुए हैं तो उन्होंने कहा कि वे लोग यही चाहते हैं. वे हमारी आवाज दबाना चाहते हैं. अगर यह उनके शोरशराबे से नहीं मिलती, लेकिन, मैं ऐसा नहीं करूंगा. मैं एक सच्चे लोकतंत्र में विश्वास करता हूं. हर किसी की आवाज सुनी जानी चाहिए. अलग-अलग विचारों का सह-अस्तित्व होना चाहिए और किसी भी स्तर पर कोई भेदभाव नहीं होना चाहिए. अभिनेता जल्द ही जी5 की आगामी वेब सीरीज 'द फाइनल कॉल' में नजर आएंगे. 


(इनपुट : IANS)


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