Lust Stories 2 Review: भद्र लोक की ‘गंदी बात’ में है क्या अच्छा, देखने से पहले जान लीजिए...
Lust Stories 2 Film Review: लस्ट स्टोरीज 2 से अगर आप ज्वालामुखी फूटने जैसी कोई उम्मीद करेंगे तो यकीन मानिए कि ऐसा कुछ नहीं होगा. बड़े नाम निराश करेंगे. हां, निर्देशक के रूप में कोंकणा सेन शर्मा और अमित शर्मा जरूर प्रभावित करते है. कुमुद मिश्रा का परफॉरमेंस छाप छोड़ता है. बाकी भूल जाइए...
Lust Stories 2 Movie Review: लस्ट स्टोरीज 2 (Lust Stories 2) में दादी मां बनीं नीना गुप्ता (Neena Gupta) कहती हैः यह शरीर भी ना माउंट फूजी (Mount Fuji) की तरह एक ज्वालामुखी है, जिसे फूटने से ही संतुष्टि मिलती है. लेकिन नेटफ्लिक्स (Netflix) पर रिलीज इस एंथोलॉजी फिल्म (Anthology Film) में लव, सेक्स और लस्ट यानी कामुकता की चार कहानियों से आपको संतोष नहीं मिलता. फिल्म संतुष्टि के स्तर तक नहीं ले जा पाती. ज्यादातर मोर्चों पर कमजोर साबित होती हैं. ओटीटी पर इस फिल्म का तमाम दर्शकों को लंबे समय से इंतजार था. आप इसे एलीट क्लास यानी ‘भद्र लोक की गंदी बात’ भी कह सकते हैं. इसके कलाकार और निर्देशक दोनों ही बॉलीवुड के विशिष्ट क्लास से आते हैं. वे ‘गंदी बात’ वालों की तरह गुमनाम या बी ग्रेड नहीं हैं. लेकिन उस कामुकता का क्या करें, जिसका कोई क्लास नहीं और वह हर क्लास में बराबर होती है!
नाम बड़े और दर्शन छोटे
लस्ट स्टोरीज 2 में पहले सीजन जैसा आकर्षण नहीं है. अनुराग कश्यप (Anurag Kashyap), जोया अख्तर (Zoya Akhtar), दिबाकर बनर्जी (Dibakar Banerjee) और करण जौहर (Karan Johar) जैसे नाम नहीं हैं. कियारा आडवाणी (Kiara Advani), विक्की कौशल (Vicky Kaushal), भूमि पेडनेकर (Bhumi Pednekar), राधिका आप्टे (Radhika Apte) और मनीषा कोइराला (Manisha Koirala) जैसे चेहरे नहीं हैं. वास्तव में लस्ट स्टोरीज 2 की चार कहानियों में से दो ही ऐसी हैं, जिनमें कुछ बात हैं. जबकि दो कमजोर या फार्मूला टाइप हैं. इस एंथोलॉजी में आर.बाल्कि, कोंकणा सेन शर्मा, सुजॉय घोष और अमित रवींद्रनाथ शर्मा अपनी कहानियों के साथ हैं. कोंकणा की कहानी में लस्ट की परतें हैं और अमित शर्मा की कहानी अंत में झटका देती है.
पहली दो कहानियां
पहली कहानी मेड फॉर ईच अदर (Made For Each Other) में दम नहीं है. सिर्फ नीना गुप्ता यहां ऐसी बुजुर्ग महिला के रूप में चौंकाती हैं, जो अपनी पोती और उसके प्रेमी को शादी करने से पहले अपनी सेक्सुअल कंपीटिबिलीटी जांचने के लिए उकसाती है. विवाह पूर्व यौन संबंध की वकालत करती है. अंत में दोनों की सुहागरात के लिए अपने कमरे में उनकी सेज तैयार करती है. पूरी कहानी में सेक्सुअल कंपीटिबिलीटी की बात च्युंगन जैसी खींची गई है. इसमें कोई उतार-चढ़ाव नहीं है. न ही इसके स्क्रीनप्ले और डायलॉग्स में आकर्षण है. दूसरी कहानी द मिरर (The Mirror) में जरूर निर्देशक कोंकणा सेन शर्मा कुछ प्रभावित करती हैं. तिलोत्तमा शोम (Tilottama Shome) और अमृता सुभाष (Amruta Subhash) का परफॉरमेंस कहानी की जान है. अमृता एक कंपनी में ऊंचे पद पर नौकरी करने वाली महिला (तिलोत्तमा शोम) की हाउस मेड बनी हैं, जो उसके जाने के बाद अपने पति को फ्लैट में बुला लेती है. दोनों महिला के बिस्तर में संबंध बनाते हैं. महिला को इसका पता चल जाता है. यह ड्रामा काफी हद तक साइकोलॉजिकल है. जिसे आप सिर्फ महसूस कर सकते हैं. तिलोत्तमा और अमृता के झगड़े का दृश्य आकर्षक है. कहानी में कसावट होती और इसे कुछ अधिक स्पष्ट किया जाता, तो यह और बेहतर बन सकती थी.
सबसे अच्छी कहानी
तीसरी कहानी सेक्स विद एक्स (Sex With Ex) में विजय वर्मा (Vijay Verma) और तमन्ना भाटिया (Tamanna Bhatia) हैं. निर्देशक सुजॉय घोष की यह फिल्म कुछ-कुछ बॉलीवुड जैसा फील देती है, लेकिन ढेर सारे संवादों के बीच इसमें घटनाएं चुनिंदा हैं. कहानी में लव, सेक्स और धोखा तो है लेकिन लस्ट लगभग गायब है. तमन्ना सुंदर दिखी हैं और विजय वर्मा का अभिनय अच्छा है. फिल्म क्लाइमेक्स में चौंकाती है, लेकिन यह अलग आइडिये की तरह सामने नहीं आती. एंथोलॉजी की आखिरी फिल्म तिलचिट्टा जरूर झटका देती है. इसमें कामुकता भी है. अंत छू जाता है. कहानी ऐसी महिला (काजोल) की है, जिसे एक पुराने रईस (कुमुद मिश्रा) ने कोठे से उठा कर अपनी बीवी बना लिया. दोनों का एक बेटा है. यह रईस क्रूर, शराबी और अय्याश है. पत्नी उसे सबक सिखाना चाहती है, लेकिन अंत जो होता है, वह उसके प्रति दया का भाव पैदा करता है. तिलचिट्टा एक ड्रामाई ट्रेजडी है. कुमुद मिश्रा (Kumud Mishra ) ने शानदार अभिनय किया है. जो याद रहता है. बाकी किरदार अच्छे हैं. लेकिन काजोल इस रोल में फिट नहीं मालूम पड़तीं. अमित शर्मा का निर्देशन अच्छा है. चारों कहानियों में यह सबसे अच्छी कहानी है.
तीसरी का क्या मतलब
लस्ट स्टोरीज की यह एंथोलॉजी पहली वाली से हर स्तर पर हल्की है. कोंकणा सेन शर्मा (Konkana Sen Sharma) और अमित रवींद्रनाथ शर्मा (Amit Ravindranath Sharma) की फिल्में ही एक हद तक देखने योग्य हैं. दोनों का निर्देशन अच्छा है. वे बांध कर रखते हैं. जबकि दो बड़े नाम निराश करते हैं. अगर आपके पास समय और नेटफ्लिक्स का सब्सक्रिप्शन है तो इन दो कहानियों को देखा जा सकता है. अगर ऐसी ही एंथोलॉजी बननी है, तो तीसरी के इंतजार का कोई मतलब नहीं है.
निर्देशकः आर.बाल्कि, कोंकणा सेन शर्मा, सुजॉय घोष, अमित शर्मा
सितारे: काजोल, कुमुद मिश्रा, तमन्ना भाटिया, विजय वर्मा, तिलोत्तमा शोम, अमृता सुभाष, नीना गुप्ता, मृणाल ठाकुर
रेटिंग**1/2